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अंबाला का 150 साल पुराना शिव मंदिर, भारत की एकमात्र 306 किलो पारा शिवलिंग, दूर दूर से आते है श्रद्धालु

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हरियाणा के अंबाला जिले में धार्मिक आस्था और प्राचीनता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। अंबाला छावनी के अनाज मंडी क्षेत्र में स्थित भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर लगभग डेढ़ सौ वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। इसे सत्संग सभा शिवाला मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसमें एक नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित है, जिसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता बेहद खास है।

मंदिर के पुजारी देव ढ़ोड़ियाल ने बताया कि यह शिव मंदिर पिछले 150 सालों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। शुरुआत में यहां केवल भगवान भोलेनाथ का मंदिर था, जिसमें नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित था। समय के साथ मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गया और लोगों की आस्था को देखते हुए इसका पुनर्निर्माण एवं जीर्णोद्धार किया गया।

उत्तर भारत का एकमात्र 306 किलो का पारा शिवलिंग

मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहाँ स्थापित उत्तर भारत का एकमात्र 306 किलो वजन का पारा शिवलिंग। इस पारा शिवलिंग को लेकर स्थानीय लोगों में खास आस्था है। माना जाता है कि इस पारा शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से शरीर के सभी प्रकार के रोग और बीमारियां दूर होती हैं। भक्तजन श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पारा शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

पुजारी देव ढ़ोड़ियाल के अनुसार, इस पारा शिवलिंग की स्थापना से मंदिर की महत्ता और भी बढ़ गई है। हर शिवरात्रि पर कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लाकर इस नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। इससे आसपास के इलाके के लोग और भक्तों को भी आस्था और शांति मिलती है।

जन्माष्टमी और फूलडोल मेला

मंदिर में भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की भी विशेष पूजा की जाती है। खासतौर पर जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में पारा शिवलिंग का भव्य श्रृंगार किया जाता है। इसके दो-तीन दिन बाद फूलडोल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की पालकी पूरे बाजार में घुमाई जाती है। यह मेला स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

अंबाला छावनी की प्राचीन आस्था का प्रतीक

सत्संग सभा शिवाला मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि अंबाला छावनी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी प्रतीक है। यह मंदिर आसपास के क्षेत्रों के लिए श्रद्धा और विश्वास का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां हर साल हजारों की संख्या में भक्त भगवान शिव और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने आते हैं।

निष्कर्ष

अंबाला छावनी के अनाज मंडी में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर अपने 150 साल के इतिहास, नर्मदेश्वर शिवलिंग और उत्तर भारत के अनोखे 306 किलो पारा शिवलिंग के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा को भी जीवित रखता है। यदि आप भी अंबाला छावनी में हैं, तो इस प्राचीन और पवित्र स्थल पर दर्शन अवश्य करें और भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करें।

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