भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार नियमों को सख्त किया जा रहा है। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर अब ई-चालान काटा जाता है, जिसे डिजिटल माध्यम से जारी किया जाता है। सड़कों पर जगह-जगह लगे ट्रैफिक कंट्रोल कैमरों और सेंसर से रीयल टाइम में नियम तोड़ने वालों पर नजर रखी जाती है। लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर कोई ई-चालान भरने से बचता है, तो क्या होता है? और अब सरकार इस व्यवस्था को और सख्त बनाने की तैयारी में क्यों है?
आइए इस पूरी व्यवस्था, इसके पीछे की मंशा और नए प्रस्तावित नियमों को विस्तार से समझते हैं।
ई-चालान व्यवस्था क्या है?
ई-चालान (Electronic Challan) एक डिजिटल चालान होता है, जो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर ट्रैफिक पुलिस या ऑटोमैटिक ट्रैफिक कैमरों के जरिए वाहन मालिक के नाम जारी किया जाता है। इसमें गाड़ी की तस्वीर, उल्लंघन की तारीख, समय और जगह की जानकारी होती है। ई-चालान को वाहन मालिक ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर देख और भर सकता है।
अभी क्या है स्थिति?
देश में फिलहाल जितने ई-चालान कटते हैं, उनमें से सिर्फ 40% की ही रिकवरी हो पाती है। यानी 60 प्रतिशत ई-चालान या तो पेंडिंग रहते हैं या फिर कोर्ट में जाकर माफ हो जाते हैं। इससे सरकार को भारी राजस्व हानि होती है, वहीं नियम तोड़ने वालों को सजा न मिलने से ट्रैफिक व्यवस्था पर भी असर पड़ता है।
दिल्ली में ई-चालान का रिकवरी रेट महज 14% है, जबकि कर्नाटक में 21%, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में 27% और ओडिशा में 29% है। वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में यह आंकड़ा 62% से 76% के बीच है।
क्यों जरूरी है बदलाव?
सरकार अब इस व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसमें सख्त नियमों का प्रावधान रखा गया है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
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सड़क सुरक्षा को मजबूत करना: जो लोग बार-बार नियम तोड़ते हैं, वे खुद के साथ-साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डालते हैं। ऐसे में उन पर सख्ती जरूरी है।
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ई-चालान रिकवरी रेट को सुधारना: पेंडिंग चालानों से सरकार को नुकसान होता है और ट्रैफिक नियमों का डर खत्म हो जाता है।
नए नियमों में क्या बदलाव हो सकते हैं?
ड्राफ्ट के अनुसार, सरकार कुछ अहम बदलाव लाने जा रही है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
1. ड्राइविंग लाइसेंस की जब्ती
यदि कोई व्यक्ति एक ही वित्तीय वर्ष में रेड लाइट जंपिंग, ओवर स्पीडिंग या रैश ड्राइविंग जैसे गंभीर उल्लंघन तीन बार करता है, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस 3 महीने तक जब्त किया जा सकता है।
2. बीमा प्रीमियम में वृद्धि
यदि किसी वाहन के 2 या उससे अधिक ई-चालान पेंडिंग हैं, तो वाहन बीमा का प्रीमियम बढ़ सकता है। बीमा कंपनियों को अब ई-चालान डाटा उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे जोखिम के अनुसार प्रीमियम तय कर सकें।
3. ई-चालान का लंबा पेंडिंग रहना
यदि ई-चालान लंबे समय तक पेंडिंग रहता है, तो वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट या रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं किया जाएगा।
क्यों माफ हो जाते हैं चालान?
जब कोई व्यक्ति चालान के खिलाफ कोर्ट में जाता है, तो कई बार ये पाया जाता है कि:
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उसे चालान की सूचना समय पर नहीं मिली।
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चालान तकनीकी त्रुटियों की वजह से गलत तरीके से जारी हुआ।
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अदालतों पर पहले से ही केसों का भारी दबाव है, जिसके चलते चालानों को माफ किया जाता है।
सरकार अब इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए डिजिटल सूचना तंत्र को और मजबूत करने पर भी काम कर रही है।
सरकार की नई योजना क्या कहती है?
सरकार के अनुसार, नया सिस्टम सिर्फ दंडात्मक नहीं होगा, बल्कि सुधारात्मक भी होगा। उदाहरण के तौर पर:
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बार-बार उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों को ‘हाई रिस्क ड्राइवर’ घोषित किया जाएगा।
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उन्हें सड़क सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग लेनी होगी।
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विशेष मामलों में ड्राइविंग टेस्ट दोबारा देना पड़ सकता है।
आम जनता पर क्या होगा असर?
नए नियमों से आम लोगों को यह एहसास होगा कि ट्रैफिक नियमों को तोड़ना एक छोटा अपराध नहीं है। इससे सड़क दुर्घटनाएं कम होंगी और शहरों में ट्रैफिक का दबाव भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
हालांकि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि चालान सिर्फ नियमों के उल्लंघन पर ही काटा जाए और फर्जी चालानों की गुंजाइश न हो।
क्या करें ताकि चालान से बच सकें?
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नियमों का पालन करें: रेड लाइट न जंप करें, सीट बेल्ट पहनें, हेलमेट लगाएं।
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ई-चालान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें: ताकि चालान की सूचना तुरंत मिल सके।
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टाइम पर भुगतान करें: देर करने पर जुर्माना और बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
ई-चालान व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार जो कदम उठा रही है, वह निश्चित ही ट्रैफिक नियमों के पालन को सुनिश्चित करेगा। यह न केवल नियमों की अनदेखी करने वालों पर लगाम लगाएगा, बल्कि सड़क सुरक्षा को भी मजबूती देगा।
नई व्यवस्था के लागू होने के बाद यह जरूरी हो जाएगा कि वाहन मालिक अपने ऊपर लगे चालानों को गंभीरता से लें और समय पर उनका भुगतान करें। वरना, लाइसेंस की जब्ती से लेकर इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ने तक उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।