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अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन यात्रा, जानिए स्वतंत्रता सेनानी से राजनेता और कवि तक का यादगार सफर

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आज अटल बिहारी वाजपेयी की 7वीं पुण्यतिथि है। 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वे तीन बार प्रधानमंत्री पद पर रहे। पहली बार वे मात्र 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 8 महीने के लिए और तीसरी बार उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य दिग्गज नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आइए आज उनके जीवन के कुछ ऐसे पहलुओं पर नज़र डालते हैं जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन यात्रा: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और कवि
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। 1942 में, वे भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए। उन्होंने पत्रकारिता को अपना करियर चुना। फिर बाद में वे जनसंघ में शामिल हो गए और सक्रिय राजनीति में आ गए। वे जनसंघ से पहली बार सांसद बने। वे 1957 से 1977 तक जनसंघ में रहे। इसके बाद जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे।

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका
1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके अध्यक्ष बने। अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता, पत्रकार और कवि के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्हें 2015 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। उनके कुशल नेतृत्व का ही परिणाम था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन हुआ।

12 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड
अटल बिहारी वाजपेयी के नाम 12 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड है। जबकि, उन्होंने केवल 10 बार ही लोकसभा चुनाव जीता। वहीं, वे दो बार राज्यसभा सदस्य के रूप में भी संसद पहुँचे। इस वजह से, वाजपेयी जी सबसे ज़्यादा लोकसभा चुनाव जीतने वाले नेताओं की सूची में दूसरे स्थान पर थे।

चार राज्यों की 6 लोकसभा सीटों से लड़े चुनाव
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीतिक जीवन में छह अलग-अलग लोकसभा सीटों से चुनाव लड़े और जीते भी। ये छह लोकसभा सीटें चार अलग-अलग राज्यों की थीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव जीते। वे अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ने और जीतने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं।

पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध
13 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण करके उन्होंने पूरी दुनिया को चौंका दिया और भारत की एक मज़बूत छवि पेश की। इसके साथ ही, वाजपेयी जी ने यह संदेश दिया कि भारत दबाव और धार्मिक नेताओं के आगे झुकने वाला नहीं है। उनके कार्यकाल के दौरान ही 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए एक बार फिर पूरी दुनिया और पड़ोसी देशों को बता दिया कि भारत किसी भी विपरीत परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार है और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

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