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अनुराग कश्यप ने उड़ाया ‘सास-बहू’ सीरियल्स का मजाक, तो तिलमिलाई एकता कपूर ने यूं दिया निर्देशक को जवाब, जानें पूरा मामला

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फिल्ममेकर अनुराग कश्यप एक बार फिर अपने बेबाक बयानों की वजह से विवादों में आ गए हैं। नेटफ्लिक्स की मशहूर वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ के सह-निर्देशक रह चुके अनुराग ने हाल ही में नेटफ्लिक्स के सीईओ टेड सरांडोस के एक इंटरव्यू पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसमें टेड ने यह कहा था कि नेटफ्लिक्स को भारत में शुरुआत के लिए शायद ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसे शो से नहीं बल्कि कुछ और लोकल अपील वाले कंटेंट से शुरुआत करनी चाहिए थी। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अनुराग ने लिखा, “उन्हें सास बहू सीरियल से शुरुआत करनी चाहिए थी।” अनुराग का यह कमेंट न सिर्फ नेटफ्लिक्स सीईओ पर एक कटाक्ष था, बल्कि अप्रत्यक्ष तौर पर भारत के सबसे चर्चित टेलीविजन जॉनर ‘सास बहू सीरियल्स’ पर भी व्यंग्य था। यह वही जॉनर है जिसमें एकता कपूर का बड़ा योगदान रहा है और जो उन्हें टेलीविजन की ‘क्वीन’ बनाता है।

एकता कपूर का करारा पलटवार: “कला सबकी होती है”

अनुराग कश्यप के इस बयान से एकता कपूर नाराज हो गईं और उन्होंने बिना नाम लिए इंस्टाग्राम पर तीखा रिएक्शन दिया। उन्होंने अपनी इंस्टा स्टोरी में लिखा, “तुम कितने मूर्ख हो… ऐसा कहने से तुम्हें लगेगा कि मैं होशियार हूं, लेकिन नहीं। डार्लिंग, कैसा रहेगा दयालु रहना? या खुद से जानना-समझना? ये एक कला है, जो हर कलाकार के पास नहीं होती।” एकता ने आगे लिखा कि ‘सास बहू’ जैसे शोज का सामाजिक असर भारत की महिलाओं को आवाज देने में रहा है, और इसका अध्ययन शिकागो की एक विशेष शोध टीम ने भी डॉक्यूमेंट किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ आर्टिस्ट भले ही सबको एक समान मंच देने की बात करते हैं, लेकिन वे खुद ही क्लास डिविजन और भेदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।

विवाद की जड़: क्या था नेटफ्लिक्स सीईओ का बयान?

नेटफ्लिक्स के सीईओ टेड सरांडोस ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत में नेटफ्लिक्स के लॉन्च के समय ‘सेक्रेड गेम्स’ से शुरुआत करना शायद सही नहीं था। उनका कहना था कि भारत में एक बड़ी ऑडियंस बेस बनने से पहले उन्हें किसी ज्यादा ‘लोकल अपील’ वाले कंटेंट के साथ शुरुआत करनी चाहिए थी, जिसे आम भारतीय फैमिली आराम से देख सके। टेड के इसी बयान पर अनुराग ने इंस्टाग्राम के जरिए जवाब दिया और लिखा कि, “उन्हें सास बहू सीरियल्स से शुरुआत करनी चाहिए थी। वो अच्छा परफॉर्म करती, जो अब ये लोग कर भी रहे हैं। मुझे हमेशा से पता था कि जो इंसान टेक्नोलॉजी समझता है, वो स्टोरीटेलिंग के मामले में मूर्ख होता है। लेकिन टेड सरांडोस मूर्खता की एक परिभाषा हैं, जिसके बारे में मुझे अब जानकारी हो गई है। अब सब कुछ समझ आता है।” यह कमेंट उस वक्त आया जब नेटफ्लिक्स ने एकता कपूर की कंपनी ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’ के साथ नई पार्टनरशिप की घोषणा की थी। ऐसे में अनुराग के कटाक्ष को सीधा एकता पर निशाना माना गया।

रचनात्मक भिन्नता या व्यक्तिगत हमला?

यह विवाद सिर्फ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की रणनीति या दो कलाकारों के विचारों की भिन्नता तक सीमित नहीं रहा। यह अब कला और उसकी विविधता पर बहस का मुद्दा बन चुका है। एक ओर अनुराग कश्यप जैसे फिल्ममेकर्स हैं, जो अलग हटकर, नॉन-मेनस्ट्रीम कंटेंट में विश्वास रखते हैं, वहीं दूसरी ओर एकता कपूर जैसी निर्माता हैं, जिनकी कहानियां आम भारतीय परिवारों की भावनाओं और सामाजिक ढांचे पर आधारित होती हैं। इस विवाद ने यह सवाल उठाया है कि क्या भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में एक ही तरह की कहानी या शैली को श्रेष्ठ कहना सही है? और क्या एक आर्टिस्ट को दूसरों की कला का मजाक उड़ाने का अधिकार है?

क्या विवाद खत्म होगा या और बढ़ेगा?

फिलहाल दोनों ही पक्षों ने सीधे एक-दूसरे का नाम लिए बिना अपनी बात रखी है, लेकिन इंडस्ट्री में यह विवाद अब खुलकर चर्चा का विषय बन चुका है। सोशल मीडिया पर भी यूजर्स दो गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं – कुछ लोग अनुराग के बयान को सही ठहरा रहे हैं तो कुछ एकता कपूर के समर्थन में खड़े हैं।

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