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अभिनेता जॉन अब्राहम ने अपनी नई फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ के प्रचार के दौरान खुद को रूस का सबसे बड़ा प्रशंसक बताया, जानें क्यों?

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बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम इन दिनों अपनी आगामी फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ को लेकर सुर्खियों में हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने रूस और भारत के कूटनीतिक रिश्तों पर अपनी राय देकर खुद को एक बड़े विवाद के केंद्र में ला खड़ा किया है। एक प्रमुख न्यूज़ चैनल आजतक के साथ साक्षात्कार में जॉन ने खुलकर कहा कि वह “रूस के बहुत बड़े प्रशंसक” हैं। उन्होंने भारत-रूस की दीर्घकालिक साझेदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अपने पुराने मित्र के साथ संतुलित और मजबूत संबंध बनाए रखे हैं। जॉन अब्राहम ने नाटो (NATO) के पूर्व की ओर विस्तार पर भी टिप्पणी की, जिस पर रूस लंबे समय से आपत्ति जताता आया है। ऐसे समय में जब रूस-यूक्रेन युद्ध वैश्विक चर्चाओं का विषय बना हुआ है, अब्राहम का यह बयान विशेष रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जा रहा है।

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समर्थन और आलोचना के बीच घिरे जॉन अब्राहम

जहां कुछ लोगों ने जॉन के इस साहसिक बयान की तारीफ की, वहीं कई लोग इसे उनकी फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ का प्रचार मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि जॉन ने जानबूझकर यह बयान अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए दिया है। एक यूजर ने लिखा, “कम से कम कोई तो है जो खुलकर बोल रहा है। जॉन की हिम्मत को सलाम!” वहीं, एक अन्य यूजर ने आलोचना करते हुए कहा, “फिल्म रिलीज़ से पहले ऐसा विवाद खड़ा करना पुरानी रणनीति है।”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर की भी तारीफ

जॉन अब्राहम ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलित कूटनीति का परिचय दिया है। भारत ने न केवल रूस के साथ आर्थिक और सामरिक रिश्ते बनाए रखे, बल्कि युद्ध को खत्म करने के लिए संवाद और शांति की भी वकालत की।

फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ की कहानी

जॉन अब्राहम की फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ एक भारतीय राजनयिक जेपी सिंह की कहानी है, जो पाकिस्तान से एक भारतीय लड़की को भारत वापस लाने के मिशन पर निकलता है। यह फिल्म अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, जटिल कूटनीतिक बातचीत और राष्ट्रहित से जुड़े मसलों पर आधारित है। ऐसे में अब्राहम के हालिया बयान को कई लोग फिल्म के कथानक से जोड़कर देख रहे हैं। फिल्म के निर्देशक शिवम नायर हैं और इसे जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज़ किया जाएगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म को जॉन के इन बयानों का कितना फायदा या नुकसान होता है।

क्या यह प्रचार की रणनीति है?

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जॉन अब्राहम का बयान सोची-समझी रणनीति हो सकता है ताकि फिल्म के रिलीज़ से पहले चर्चा और उत्सुकता बढ़ाई जा सके। वहीं, कुछ लोग इसे उनकी व्यक्तिगत राय भी मान रहे हैं। जॉन अब्राहम इससे पहले भी सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते रहे हैं। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि ‘द डिप्लोमैट’ दर्शकों को कितना आकर्षित कर पाती है।

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