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अमिताभ बच्चन की इस फिल्म को देखकर भड़क गए थे फैंस, तोड़ दी थी कुर्सियां, फाड़ दिया था पर्दा, अभिषेक बच्चन ने सुनाया रिलीज के बाद का वाकया

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अमिताभ बच्चन ने कभी नहीं सोचा था कि जिस फिल्म के लिए उन्होंने अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, उस पर इतना बवाल मच जाएगा। दर्शकों ने थिएटर में सीटें फाड़ दी थीं। काफी विरोध हुआ था, जिसकी वजह से अमिताभ को पूरी रात बैठकर फिल्म की डबिंग करनी पड़ी थी। ऐसा क्या हुआ, यह हाल ही में अभिषेक बच्चन ने एक इंटरव्यू में बताया।

अमिताभ बच्चन ने 80 के दशक में फिल्मों से लंबा ब्रेक लिया और राजनीति में आ गए। अमिताभ को लगा कि अब फिल्म इंडस्ट्री उन पर दांव लगाने को तैयार नहीं है। इसी दौरान उन्होंने फिल्म ‘अग्निपथ’ की, जिससे विजय दीनानाथ चौहान का किरदार घर-घर में मशहूर हो गया। लेकिन इस किरदार को डब करते समय अमिताभ ने इसे अलग आवाज में डब करने का फैसला किया। लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई, तो अमिताभ की बदली हुई आवाज सुनकर दर्शक भड़क गए और उन्होंने थिएटर की सीटें तक फाड़ दीं।

अभिषेक बच्चन ने ‘अग्निपथ’ की रिलीज के बाद सुनाया किस्सा

अभिषेक बच्चन ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि उनके पिता अमिताभ को फिल्म ‘अग्निपथ’ की दोबारा डबिंग के लिए पूरी रात जागना पड़ा था, क्योंकि फिल्म रिलीज होने के बाद दर्शकों ने उनकी आवाज को पूरी तरह से नकार दिया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि एक रात मैं अपने पिता के साथ बैठा था और उन्हें ‘अग्निपथ’ की दोबारा डबिंग करते हुए देख रहा था। जब फिल्म रिलीज हुई, तो उन्हें खबरें मिलने लगीं कि लोग सिनेमाघरों में साउंड सिस्टम तोड़ रहे हैं, क्योंकि वे कह रहे थे, “अमिताभ बच्चन की आवाज को क्या हुआ?” उन्हें लगा कि शायद स्पीकर बंद हो गए हैं।’

उल्टा पड़ा प्रयोग, उत्साहित दर्शक और प्रशंसक

अमिताभ अपनी गहरी और भारी आवाज के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जब उन्होंने कुछ अलग आवाजों में डबिंग की तो यह प्रयोग उल्टा पड़ गया। लेकिन एक बार अमिताभ को इस भारी आवाज की वजह से रिजेक्ट कर दिया गया था।

स्टूडियो में जाने के बाद अमिताभ बच्चन ने पूरी रात फिर से डबिंग की

अभिषेक बच्चन ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि शुक्रवार की रात वे डबिंग स्टूडियो गए थे। मैं उनके साथ बैठा और सो गया। मैं बहुत छोटा था। उन्होंने पूरी रात पूरी फिल्म को अपनी सामान्य आवाज़ में डब किया। और शनिवार को सुबह 8 बजे वे चले गए। मुकुल आनंद ने मिक्सिंग के लिए कैन लिया और फिर शनिवार की रात को नई आवाज़ के साथ प्रिंट्स को सभी जगह भेज रहे थे।’ लेकिन तमाम मेहनत और कोशिशों के बावजूद ‘अग्निपथ’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही। यह साल 1990 में रिलीज़ हुई थी। लेकिन फ्लॉप होने के बावजूद अमिताभ के अभिनय को खूब सराहा गया और उन्हें इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

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