अक्सर हम देखते हैं कि कई लोग मेहनत और प्रतिभा के बावजूद भी जीवन में उस ऊँचाई को नहीं छू पाते, जिसके वे हकदार होते हैं। उनकी राह में कोई और नहीं, बल्कि उनका खुद का अहंकार सबसे बड़ी बाधा बन जाता है। यह अहंकार धीरे-धीरे व्यक्ति को आत्ममुग्धता, अलगाव और मानसिक तनाव की ओर ले जाता है। आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश ने अहंकार को इंसान के भीतर की सबसे बड़ी बाधा बताया है, जो उसे न केवल दूसरों से, बल्कि खुद से भी दूर कर देता है।
क्या है अहंकार?
ओशो के अनुसार, “अहंकार वह झूठी पहचान है जिसे व्यक्ति समाज, नाम, काम और प्रतिष्ठा के आधार पर गढ़ता है। यह पहचान कृत्रिम होती है और जब यह टूटती है, तो व्यक्ति शून्यता और अवसाद में चला जाता है।”अहंकार हमें वास्तविकता से काट देता है और हम स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगते हैं। यही कारण है कि जैसे-जैसे हमारी उपलब्धियाँ बढ़ती हैं, वैसे-वैसे हमारा दंभ भी बढ़ता है। और यही घमंड एक दिन हमारी सफलता को छीन लेता है।
सफलता से कैसे दूर कर देता है अहंकार?
ओशो का मानना था कि जब व्यक्ति “मैं” की भावना से ओतप्रोत हो जाता है, तो वह टीम वर्क, सहयोग और विनम्रता जैसे मूल्यों को नजरअंदाज करने लगता है। इस वजह से वह न तो सलाह लेना पसंद करता है, न ही आलोचना सह पाता है। नतीजा यह होता है कि वह अकेला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे उसका पतन शुरू हो जाता है।एक सफल व्यक्ति को जितना ज़रूरी अपने ज्ञान और कौशल में निपुण होना है, उतना ही आवश्यक है खुद को ज़मीन से जोड़े रखना। ओशो ने कहा था, “अहंकारी व्यक्ति भीतर से सबसे ज्यादा डरपोक होता है, क्योंकि वह जानता है कि उसकी पहचान नकली है।”
ओशो का समाधान: अहंकार से कैसे पाएं छुटकारा?
ओशो ने अहंकार से मुक्ति पाने के लिए कुछ व्यावहारिक और ध्यान आधारित उपाय बताए थे, जो आज भी उतने ही प्रभावशाली हैं:
ध्यान (Meditation) करें:
ओशो के अनुसार ध्यान का मुख्य उद्देश्य “मैं” को मिटाना है। जब आप ध्यान करते हैं, तो विचारों की भीड़ शांत होने लगती है और आपका चित्त स्वच्छ हो जाता है। धीरे-धीरे आप उस मौन स्थिति में पहुंचते हैं जहाँ अहंकार का कोई स्थान नहीं होता।
गवाह बनना सीखें:
उन्होंने सिखाया कि खुद को एक “विटनेस” (गवाह) की तरह देखना शुरू करें। अपने विचारों, भावनाओं और प्रतिक्रियाओं का अवलोकन करें। जब आप खुद को देखना शुरू करते हैं, तो आप यह जानने लगते हैं कि अहंकार एक आवरण है – आप नहीं।
विनम्रता को अपनाएं:
ओशो ने विनम्रता को सबसे बड़ा बल बताया। उनका कहना था कि सच्चा ज्ञानी वही है जो कहे – “मैं कुछ नहीं जानता”। यह भावना आपको हर दिन नया सीखने का अवसर देती है और अहंकार को खत्म करती है।
प्राकृतिक जीवन को अपनाएं:
ओशो के अनुसार, जब आप प्रकृति के करीब होते हैं – जैसे जंगल, नदी, पर्वत या खुले आसमान के नीचे – तब आप समझते हैं कि आप कितने छोटे हैं। यह एहसास अपने आप अहंकार को मिटाने लगता है।
सत्य के साथ रहें:
ओशो कहते थे कि “झूठा व्यक्तित्व बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन सत्य में रहना सबसे सहज है।” जब आप जैसे हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करते हैं, तब अहंकार धीरे-धीरे छूटने लगता है।
आज के समय में, जहाँ हर व्यक्ति पहचान और प्रतिष्ठा की दौड़ में भाग रहा है, वहाँ ओशो की यह सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है। उनका कहना था, “तुम्हारा अहंकार तुम्हारी ही बनाई दीवार है, जो तुम्हें सत्य, प्रेम और परमात्मा से अलग कर देता है।”
अगर हम जीवन में सच्ची सफलता चाहते हैं – जो सिर्फ बाहरी नहीं बल्कि अंदरूनी संतोष और शांति भी लाए – तो हमें अपने अहंकार को पहचान कर उससे मुक्ति पानी ही होगी। ध्यान, आत्मनिरीक्षण और विनम्रता इस राह के सबसे कारगर उपाय हैं