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अहंकार कैसे बनता है आपके विकास में बाधा ? 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में Osho से जाने इसे त्यागने का सबसे बड़ा तरीका

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आज के तेजी से बदलते जीवन में अहंकार न केवल व्यक्तिगत विकास में बाधा बनता है, बल्कि हमारे संबंधों और मानसिक शांति पर भी गहरा असर डालता है। दुनिया भर के विचारकों और आध्यात्मिक गुरुओं ने अहंकार के नुकसान और उसके त्याग के महत्व पर बार-बार प्रकाश डाला है। इसी संदर्भ में भारतीय रहस्यवादी और ध्यान गुरु ओशो के विचार आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक बने हुए हैं।

ओशो के अनुसार, अहंकार एक ऐसा मानसिक निर्माण है जो हमें अपने आप से और दूसरों से अलग कर देता है। यह हमारे भीतर के वास्तविक स्वभाव को दबा देता है और हमें भ्रमित कर देता है कि हम केवल अपनी सोच, अपने अनुभव और अपने नाम से ही पहचाने जाते हैं। ओशो कहते हैं कि जब तक हम अहंकार के बंधन में हैं, तब तक हम जीवन की सच्ची स्वतंत्रता और आनंद का अनुभव नहीं कर सकते।

ओशो अहंकार को छोड़ने का मार्ग आत्म-जागरूकता और ध्यान के माध्यम से बताते हैं। उनका मानना है कि अहंकार अपने आप में कोई शत्रु नहीं है, बल्कि इसे समझना और पहचानना आवश्यक है। अहंकार तभी खत्म हो सकता है जब हम अपने भीतर झांककर यह समझने की कोशिश करें कि “मैं कौन हूँ?”। इसके लिए ध्यान, ध्यान-साधना और मौन की स्थिति में बैठना बेहद महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा ओशो यह भी कहते हैं कि अहंकार को त्यागने का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति कमजोर या निष्क्रिय बन जाए। बल्कि इसका उद्देश्य आत्म-ज्ञान और सच्ची स्वतंत्रता की ओर बढ़ना है। अहंकार हमें अक्सर दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा और तुलना की ओर खींचता है। ओशो के अनुसार, जब हम अपने भीतर की असली पहचान को पहचान लेते हैं, तो तुलना और प्रतिस्पर्धा का महत्व स्वतः ही समाप्त हो जाता है।

ओशो अहंकार के त्याग के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव भी देते हैं। वे कहते हैं कि हमें अपने अंदर की नकारात्मक प्रवृत्तियों और भय का सामना करना चाहिए। यह भय अक्सर अहंकार की जड़ में छिपा होता है। जब हम इसे स्वीकार करते हैं और उसके ऊपर काम करना शुरू करते हैं, तो अहंकार धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। इसके अलावा, ओशो सिखाते हैं कि सेवा भाव, सहानुभूति और दूसरों की मदद करने का तरीका भी अहंकार को कम करने में कारगर है। जब हम किसी के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं, तो हमारी आत्मा की महानता और अहंकार का विरोधाभास स्पष्ट रूप से सामने आता है।

अहंकार का त्याग केवल व्यक्तिगत लाभ ही नहीं देता, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी लाभकारी साबित होता है। व्यक्ति के रिश्ते अधिक संतुलित और सहज बनते हैं, मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में सच्ची खुशी का अनुभव होता है। ओशो के विचार इस बात पर जोर देते हैं कि अहंकार त्यागना कोई असंभव कार्य नहीं, बल्कि एक सतत अभ्यास है। इसे रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे कदमों से अपनाया जा सकता है, जैसे आत्म-मूल्यांकन करना, दूसरों की प्रशंसा करना और अपने स्वभाव पर ध्यान देना।

अंततः, ओशो के विचार हमें यह संदेश देते हैं कि अहंकार केवल एक बाधा नहीं, बल्कि आत्म-विकास का अवसर भी है। जब हम इसे पहचानते हैं और त्यागते हैं, तो हम न केवल अपने भीतर की शांति और आनंद पाते हैं, बल्कि अपने जीवन और समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। अहंकार का त्याग करना कोई एक दिन का काम नहीं है, बल्कि यह निरंतर प्रयास और आत्म-निरीक्षण का परिणाम है।

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