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अहंकार से क्यों टूट जाते हैं रिश्ते? 3 मिनट के दुर्लभ वीडियो में जानिए कैसे अहंकारी स्वभाव बना देता है व्यक्ति को सबसे अप्रिय और अकेला

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अहंकार, मानव स्वभाव की एक ऐसी प्रवृत्ति है जो व्यक्ति को न केवल आत्मकेंद्रित बना देती है, बल्कि उसे धीरे-धीरे समाज से भी काट देती है। जब कोई व्यक्ति अहंकार से ग्रस्त हो जाता है, तो उसका आचरण, विचार और व्यवहार दूसरों को असहज करने लगता है। ऐसा क्यों होता है कि अहंकारी व्यक्ति धीरे-धीरे सभी के लिए अप्रिय बन जाता है? क्या केवल उसका बर्ताव ही इसका कारण होता है या इसके पीछे कुछ गहरे मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलू भी हैं? इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


1. अहंकार क्या है?

अहंकार का सामान्य अर्थ होता है – आत्म-महत्व की अत्यधिक भावना। जब व्यक्ति को अपने ज्ञान, संपत्ति, रूप, पद या स्थिति पर अत्यधिक गर्व हो जाता है, और वह खुद को दूसरों से श्रेष्ठ मानने लगता है, तब यह भाव ‘अहंकार’ का रूप ले लेता है। यह व्यक्ति के अंदर ‘मैं श्रेष्ठ, बाकी सब तुच्छ’ का भाव भर देता है, जो धीरे-धीरे उसके रिश्तों और सामाजिक जीवन को प्रभावित करने लगता है।

2. अहंकार व्यक्ति के स्वभाव को कैसे प्रभावित करता है?
अहंकारी व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि वह दूसरों की राय को महत्व नहीं देता। उसे लगता है कि केवल वही सही है और बाकी सब गलत। वह आलोचना को सहन नहीं कर पाता, सुझावों को नकार देता है और बातचीत में हमेशा खुद को ऊपर साबित करने की कोशिश करता है। यह व्यवहार लोगों को उसके आसपास असहज कर देता है, और धीरे-धीरे लोग उससे दूरी बनाने लगते हैं।

3. संबंधों में आती है दरार
अहंकार की सबसे बड़ी मार व्यक्ति के निजी संबंधों पर पड़ती है – चाहे वो पारिवारिक हों, प्रेम संबंध हों या मित्रता। एक अहंकारी व्यक्ति कभी यह स्वीकार नहीं करता कि वह गलत हो सकता है। वह बहस करता है, दोष दूसरों पर डालता है और माफी मांगने से कतराता है। इसके परिणामस्वरूप रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती है और आत्मीयता समाप्त हो जाती है।

4. टीम वर्क में बाधा
आज की कार्य संस्कृति में टीम वर्क की अत्यधिक आवश्यकता होती है। परंतु अहंकारी व्यक्ति टीम का हिस्सा बनने के बजाय खुद को ‘लीडर’ समझता है, भले ही वह उस स्थिति में न हो। वह दूसरों के योगदान को कम आंकता है, और अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है। इससे सहयोगियों में असंतोष फैलता है और उसका बहिष्कार शुरू हो जाता है।

5. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से
मनोविज्ञान के अनुसार अहंकार, आत्म-संरक्षण की एक रक्षात्मक प्रणाली होती है। जिन लोगों में आत्म-संवेदना (self-esteem) की कमी होती है, वे अक्सर बाहरी आडंबर और आत्म-प्रशंसा के जरिए अपनी असुरक्षा को छुपाते हैं। ऐसे व्यक्ति भीतर से डरे हुए होते हैं और बाहर से मजबूत बनने का नाटक करते हैं। लेकिन यह कृत्रिम व्यवहार उन्हें और भी अधिक अकेला और अप्रिय बना देता है।

6. अध्यात्म क्या कहता है?
अध्यात्म के अनुसार अहंकार ‘अविद्या’ (अज्ञान) की निशानी है। भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं – “अहंकार विनाश का कारण है।” जब व्यक्ति खुद को सर्वश्रेष्ठ मानता है, तो वह ईश्वर और जीवन की सच्चाई से दूर चला जाता है। वह विनम्रता खो देता है, सेवा और प्रेम की भावना समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि संत, साधु और योगी सबसे पहले अहं को समाप्त करने की बात करते हैं।

7. अहंकार का अंत दुख में
इतिहास और पुराणों में अनेक उदाहरण हैं जहां अहंकारी राजा, योद्धा या विद्वान अंततः विनाश की ओर बढ़े। रावण, कंस, दुर्योधन जैसे पात्रों का पतन उनके अहंकार के कारण ही हुआ। आधुनिक जीवन में भी देखा गया है कि जो व्यक्ति अपने अहंकार के कारण दूसरों को तुच्छ समझता है, अंततः वही अकेला, दुखी और असफल हो जाता है।

8. कैसे पाएं अहंकार से मुक्ति?
आत्मनिरीक्षण करें: हर दिन खुद से सवाल करें – क्या मैं दूसरों को नीचा दिखा रहा हूं? क्या मेरी बातें किसी को चोट पहुंचा रही हैं?
आभार व्यक्त करें: जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसके लिए कृतज्ञता का भाव रखें। यह अहं को कम करता है।
सुनने की आदत डालें: सिर्फ बोलें नहीं, दूसरों को भी सुनें। हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।
विनम्रता अपनाएं: ‘मैं नहीं, हम’ का भाव रखें। यह संबंधों को मजबूत करता है।
अध्यात्म का सहारा लें: ध्यान, प्रार्थना और सत्संग अहंकार को कम करने में सहायक होते हैं।

अहंकार एक ऐसा छिपा हुआ जहर है जो धीरे-धीरे व्यक्ति को भीतर से खोखला कर देता है। यह न केवल रिश्तों को बिगाड़ता है, बल्कि व्यक्ति की सामाजिक और मानसिक स्थिति को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए, यदि हम चाहते हैं कि लोग हमें पसंद करें, सम्मान दें और हमारे साथ जुड़ाव महसूस करें, तो सबसे पहले हमें अपने भीतर के अहंकार को पहचानना और त्यागना होगा। क्योंकि सच्चा बड़प्पन विनम्रता में होता है, न कि घमंड में।

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