भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज आकाश दीप ने एजबेस्टन टेस्ट में इतिहास रच दिया। इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए इस मैच में, जहां उन्हें जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में मौका मिला, आकाश ने शानदार प्रदर्शन किया और कुल 10 विकेट लिए। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई, बल्कि बिहार के सासाराम के एक छोटे से गांव बद्दी के इस खिलाड़ी की कहानी को भी सुर्खियों में ला दिया। मैच के बाद उनका एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की चुनौतियों और क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को साझा किया।
अब आकाश दीप का दुख सामने आया है
बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के पास बद्दी गांव में जन्मे आकाश दीप का क्रिकेटर बनने का सफर आसान नहीं था। उनके पिता स्वर्गीय रामजी सिंह एक स्कूल शिक्षक थे, जो अपने बच्चों को शिक्षा के माध्यम से बेहतर भविष्य देने का सपना देखते थे। आकाश ने कहा कि उनके गांव में क्रिकेट को गंभीरता से नहीं लिया जाता था। उन्हें छिपकर क्रिकेट खेलना पड़ता था।
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आकाश दीप ने यूट्यूब चैनल स्पोर्ट्स लॉन्चपैड को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मेरे पिता शिक्षक थे और क्रिकेट खेलने के बाद देर रात घर लौटना मुश्किल था। रात के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के बाद कभी-कभी इतनी देर हो जाती थी कि हम मैदान पर ही सो जाते थे और सुबह घर लौटते थे।’ आकाश के लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जुनून था। लेकिन उनके गांव में खेल को लेकर जागरूकता की कमी थी। उन्होंने इंटरव्यू में खुलासा किया कि गांव के लोग क्रिकेट को समय की बर्बादी मानते थे। माता-पिता अपने बच्चों को मुझसे दूर रहने के लिए कहते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि क्रिकेट खेलने से उनका भविष्य खराब हो जाएगा। उन्हें खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
आकाश दीप का सफर मुश्किलों से भरा रहा
आकाश की जिंदगी तब और मुश्किल हो गई जब 19 साल की उम्र में उनके पिता और कुछ महीने बाद उनके भाई का निधन हो गया। इन दुख भरे समय में क्रिकेट उनका सहारा बना। परिवार की आर्थिक तंगी और गांव में क्रिकेट की सुविधाओं की कमी के बावजूद आकाश ने हार नहीं मानी। लेकिन असली मौका तब मिला जब वे बंगाल गए। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर प्रतिबंध के कारण उन्हें बंगाल में घरेलू क्रिकेट खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा।