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आखिर कौन है शेयर बाजार में आई इस सुनामी का जिम्मेदार? भारत से जापान तक सबसे बड़ा सवाल

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दुनिया भर के शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट देखी जा रही है। भारत का बाजार इतना नीचे चला गया है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। शुरुआती कारोबार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 3000 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी करीब 1000 अंक गिर गया। पिछले दो-तीन सत्रों से बाजार दबाव में था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि दबाव इतना बढ़ जाएगा।

ट्रम्प को उनके ‘घर’ में घेरा गया

दुनिया में इस अराजकता के लिए केवल एक व्यक्ति जिम्मेदार है – डोनाल्ड ट्रम्प। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में धकेल दिया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी संकट में है। कई विशेषज्ञों ने अमेरिका में मंदी की चेतावनी दी है। ट्रम्प का विरोध घर से ही शुरू हो गया है। अमेरिकी फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल का कहना है कि ट्रम्प के नए टैरिफ अपेक्षा से अधिक बड़े हैं और इनका मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे बेरोजगारी बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।

एक नये खतरे की आहट

ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा, उसने 10 अमेरिकी कंपनियों के व्यापार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। चीन के इस कदम से डोनाल्ड ट्रंप नाराज हैं। ऐसे में उनके पलटवार की आशंका भी पैदा हो गई है। इसके कारण विश्व एक नए खतरे की दहलीज पर पहुंच गया है। वहीं वैश्विक मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है। ब्रेंट क्रूड 3.16% गिरकर 63.51 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड 3.45% गिरकर 59.85 डॉलर पर आ गया।

हर जगह एक जैसी स्थिति

भारत का सेंसेक्स करीब 3000 अंक गिर गया है। वहीं, जापान का निक्केई 225 6.04%, हांगकांग का हैंगसेंग 11.55%, चीन का शंघाई 6.85%, कोरिया का कोस्पी 4.97% और ताइवान का टीएआईईएक्स 9.70% गिर गया। इससे पहले अमेरिकी बाजार भी भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे। इससे पता चलता है कि अमेरिकी निवेशक भी डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से सहमत नहीं हैं और उनमें भी बाकी दुनिया जैसा ही डर है।

निवेशकों में भय

भारत का अस्थिरता सूचकांक (इंडिया VIX) 55% से अधिक उछलकर 21 के पार चला गया, जो निवेशकों में बढ़ते डर का संकेत है। दूसरे शब्दों में, निवेशक ट्रम्प के टैरिफ के प्रभाव से भयभीत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में अन्य देशों की कार्रवाई से स्थिति और खराब हो सकती है। इसलिए निवेशक घबराकर बेच रहे हैं।

आगे क्या?

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही रहने की संभावना है। इस मामले में निवेशकों को धैर्य बनाए रखना होगा। उन्हें घबराहट में बेचने से बचना चाहिए। साथ ही इस गिरावट को निवेश का मौका मानकर बड़े निवेश से दूर रहना चाहिए, क्योंकि फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है कि बाजार यहां से कहां जाएगा। अगले कुछ दिन बाजार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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