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आखिर क्यों आता है इंसान का बुरा समय ? 3 मिनट के वायरल फुटेज में जाने वो 7 कारण जो लाते है दुर्भाग्य और विनाश

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हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को अत्यंत महत्वपूर्ण और रहस्यमयी ग्रंथों में से एक माना जाता है। यह पुराण न केवल मृत्यु और परलोक के रहस्यों को उजागर करता है, बल्कि जीवन में अच्छे और बुरे समय के पीछे के कारणों की भी गहराई से विवेचना करता है। विशेष रूप से जब व्यक्ति जीवन में लगातार संघर्षों, असफलताओं और दुखों से जूझता है, तो अक्सर यह प्रश्न उठता है—आखिर बुरा समय क्यों आया? गरुड़ पुराण इस प्रश्न का उत्तर आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से देता है।

अधार्मिक और अनैतिक कर्म बनते हैं बुरे समय का कारण

गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के कर्म ही उसके भविष्य का निर्माण करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में अधर्म, झूठ, कपट, हिंसा या किसी के साथ अन्याय करता है, तो ये कर्म भविष्य में उसके जीवन में कष्ट बनकर लौटते हैं। यह नियम अटल है। पुण्य कर्म सुख देते हैं, जबकि पाप कर्म दुख और विपत्तियों का कारण बनते हैं।

माता-पिता का अनादर और गुरु का अपमान

पुराणों में माता-पिता को देवताओं के समान बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो संतान अपने माता-पिता का अपमान करती है, उनका तिरस्कार करती है या उन्हें कष्ट देती है, उसका जीवन बुरे समय से घिर जाता है। इसी प्रकार, गुरु का अपमान भी व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है और वह गलत निर्णय लेने लगता है, जिससे उसका पतन होता है।

दान-पुण्य से विमुख होना

दान और सेवा भारतीय संस्कृति के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। गरुड़ पुराण कहता है कि जो व्यक्ति जरूरतमंद की मदद नहीं करता, गरीबों का तिरस्कार करता है या अपने धन का उपयोग केवल भोग-विलास में करता है, उसका पुण्य धीरे-धीरे क्षीण हो जाता है। जैसे ही पुण्य समाप्त होते हैं, जीवन में समस्याएं आना शुरू हो जाती हैं।

अहंकार और घमंड

अहंकार को शास्त्रों में विनाश का मूल कहा गया है। गरुड़ पुराण में स्पष्ट लिखा है कि जब व्यक्ति अपने धन, रूप, बल या पद का घमंड करने लगता है और दूसरों को तुच्छ समझने लगता है, तो वह धीरे-धीरे आत्मिक ऊर्जा खो देता है। ऐसे लोग समाज में सम्मान खो बैठते हैं और बुरा समय उनके द्वार पर दस्तक देता है।

गलत संगति और नीच विचार

जिस प्रकार संगति का प्रभाव मनुष्य के स्वभाव और निर्णयों पर पड़ता है, उसी प्रकार गलत संगति व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाती है। गरुड़ पुराण कहता है कि बुरे लोगों की संगति से व्यक्ति भी उनके जैसे ही कर्म करने लगता है, जिससे पाप बढ़ते हैं और उसका जीवन संकटों से भर जाता है।

स्त्री का अपमान या शोषण

गरुड़ पुराण में स्त्री को सम्मान देने पर विशेष बल दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जो पुरुष स्त्री का अपमान करता है, धोखा देता है या मानसिक-शारीरिक कष्ट पहुंचाता है, उसका जीवन कभी सुखी नहीं रहता। ऐसे कर्म करने वालों को दैविक शक्ति से दंड मिलता है और उनके जीवन में शांति खत्म हो जाती है।

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