आज के बदलते दौर में लोग सच्चे प्यार की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। लेकिन उन्हें ऐसा प्रेमी कहीं नहीं मिलता। जिस व्यक्ति को वे अपना सब कुछ मानते हैं, वही उनके भरोसे पर खरा नहीं उतरता और बीच रास्ते में ही उन्हें धोखा दे देता है। वे सोचने लगते हैं कि उन्हें सच्चा प्यार क्यों नहीं मिलता। इसके पीछे कई लोगों की अलग-अलग राय है। लेकिन महान दार्शनिक और विचारक ओशो ने इसके लिए मनोविज्ञान और मानव स्वभाव को ज़िम्मेदार ठहराया है। इस लेख में हम जानेंगे कि सच्चे प्रेमियों को प्यार क्यों नहीं मिलता।
ओशो के अनुसार प्रेम की परिभाषा क्या है?
ओशो के अनुसार, प्रेम किसी लेन-देन या स्वार्थ पर आधारित नहीं है। यह एक ऐसी अवस्था है, जहाँ किसी भी तरह के सौदे की कोई जगह नहीं है। उन्होंने प्रेम को एक ध्यान के रूप में देखा, जिसमें स्वतंत्रता और समझ सर्वोपरि है।
सच्चे प्रेमी अकेले क्यों रहते हैं?
सच्चा प्रेम बंधन नहीं बनाता
ओशो कहते हैं, “जब प्रेम बंधन बन जाता है, तो वह प्रेम नहीं रह जाता। वह स्वामित्व बन जाता है।” एक सच्चा प्रेमी कभी भी अपने साथी पर ‘अपना अधिकार’ नहीं मानता। आजकल के प्रेम में, ज़्यादातर रिश्ते उम्मीदों और नियंत्रण पर टिके होते हैं। इसलिए, एक सच्चे प्रेमी को समाज की पारंपरिक प्रेम व्यवस्था में जगह नहीं मिलती।
समाज को सच्चाई पसंद नहीं
ओशो कहते हैं, “सच्चा प्रेम हमेशा क्रांतिकारी होता है।” जब एक सच्चा प्रेमी बिना किसी डर, दिखावे और लालच के प्रेम करता है, तो समाज उसे स्वीकार नहीं करता। क्योंकि समाज को ऐसे प्रेमियों की ज़रूरत होती है जो उसके नियमों से बंधे हों, न कि ऐसे प्रेमियों की जो प्रेम में स्वतंत्रता और आत्मा की पवित्रता पाते हों।
सच्चे प्रेम में एक-दूसरे से जुड़ाव होता है
ओशो ने कहा है कि जिस व्यक्ति से आप प्रेम करते हैं, उसकी आपको ज़रूरत नहीं है, उसके साथ रहना एक आनंद है, ज़रूरत नहीं।” जब प्रेम एक ‘ज़रूरत’ से महज़ एक ‘मौजूदगी’ बन जाता है, तो वह शारीरिक रिश्तों में टिक नहीं पाता। यही कारण है कि सच्चे प्रेमी अक्सर रिश्तों से दूर रहते हैं। क्योंकि वे प्रेम को भावनात्मक निर्भरता नहीं बनाते।
अकेलेपन से दोस्ती
ओशो का मानना है कि सच्चा प्रेम अकेलेपन से नहीं डरता, बल्कि उसे स्वीकार करता है। लेकिन ज़्यादातर लोग अकेले रहने से डरते हैं और इसलिए रिश्तों में पड़ जाते हैं। सच्चे प्रेमी अकेले भी खुश रह सकते हैं, इसीलिए वे किसी पर निर्भर नहीं होते और यहीं पर वे पारंपरिक ‘प्रेम संबंधों’ से अलग हो जाते हैं।
ओशो ने सच्चे प्रेम पर क्या सुझाव दिए हैं?
ओशो बार-बार ध्यान की बात करते हैं। वे कहते हैं, “अगर तुम प्रेम करना चाहते हो, तो पहले खुद से प्रेम करना सीखो। ध्यान तुम्हें एक ऐसी अवस्था में ले जाएगा जहाँ प्रेम बिना किसी शर्त और अपेक्षा के अपने आप जन्म लेता है।”