शादी कोई बच्चों का खेल नहीं, बल्कि सात जन्मों का बंधन है। शादी को जीवन का अहम पड़ाव माना जाता था। लेकिन अब यह पड़ाव कमजोर होता जा रहा है। तलाक के मामले सामने आ रहे हैं। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह और क्यों होती है ये स्थिति, आइए जानते हैं।
शादी करने का दबाव नहीं
पहले शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता था। अगर दादा-दादी की पीढ़ी में नहीं तो एक बार शादी हो जाने के बाद जिंदगी भर का रिश्ता तय हो जाता है। इस रिश्ते को तोड़ना तो दूर, ऐसे ख्याल भी कभी उनके दिमाग में नहीं आते होंगे। इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जैसे उस समय महिलाओं के नाम पर बैंक अकाउंट नहीं होते थे और न ही कोई मदद होती थी। ऐसे में शादी एक सहारा बन जाती थी। लेकिन अब महिलाओं के पास विकल्प है। उन पर दिखावे के लिए शादी का बोझ नहीं है। वो अपना फैसला ले सकती हैं। वो प्यार से बनाए घर से बाहर निकल सकती हैं।
सिर्फ अच्छा होना ही काफी नहीं
एक पीढ़ी पहले एक महिला के लिए यही काफी होता था कि उसका पति धोखा न दे, मारपीट न करे आदि। लेकिन अब समय बदल गया है। अब महिलाएं छोटी-छोटी बातों पर सवाल उठाती हैं। वह भावनात्मक जुड़ाव, साझा विकास, आपसी सहयोग चाहती हैं। अगर यह नहीं मिलता है, तो वे दूर हो जाती हैं।
तलाक अब शर्म की बात नहीं
अब महिलाएं तलाक को शर्म की बात नहीं, बल्कि स्पष्टता की तरह देखती हैं। वे तलाक को अब अपमान की तरह नहीं, बल्कि एक फैसले की तरह देखती हैं। उन्हें अब इस बात की चिंता नहीं है कि पड़ोसी क्या कहेंगे और समाज क्या कहेगा। वे अपना फैसला लेती हैं।
बच्चों की खातिर, दर्द सहने लायक है
कई महिलाएं अपने बच्चों की खातिर दुखी शादीशुदा जिंदगी में फंसी रहती हैं। लेकिन बच्चों को एक आदर्श परिवार की नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से स्वस्थ परिवार की जरूरत होती है। वह अपने माता-पिता को देखकर सीखता है। जब एक महिला दिखावे के बजाय शांति चुनती है, तो वह घर को नहीं तोड़ रही होती है। महिलाएं अपने बच्चों को दिखा रही होती हैं कि आत्म-सम्मान कैसा होता है।
जब साथी अकेलापन महसूस करने लगता है
जब साथी किसी महिला की भावनाओं को नहीं समझता है, तो वह अकेलापन महसूस करने लगती है। उन पर कोई ध्यान नहीं देता है। कई महिलाएं इसलिए तलाक नहीं लेती हैं क्योंकि उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, बल्कि इसलिए लेती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई उनका ख्याल नहीं रख रहा है।
अब महिलाएं बदल रही हैं
अक्सर चर्चा होती है कि शादी के बंधन अब कमज़ोर होते जा रहे हैं। इसमें बदलाव आ रहा है। लेकिन सच तो यह है कि महिलाएं बदल गई हैं। यह कोई त्रासदी नहीं, बल्कि जीत है। वे प्यार से दूर नहीं जा रही हैं, बल्कि उसकी ओर बढ़ रही हैं। वे ऐसा रिश्ता चाहती हैं जिसमें गहरा प्यार हो।