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आखिर सच्चा प्यार करने वालों को ही क्यों बहाने पड़ते है आंसू ? 3 मिनट के वीडियो में जाने Osho के गहन विचार जो बदल देंगे जीवन

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आज के बदलते दौर में लोग सच्चे प्यार की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। लेकिन उन्हें ऐसा प्रेमी कहीं नहीं मिलता। जिस व्यक्ति को वे अपना सबकुछ मानते हैं, वह भी उनके भरोसे पर खरा नहीं उतरता और बीच राह में ही उन्हें धोखा दे देता है। वे सोचने लगते हैं कि उन्हें सच्चा प्यार क्यों नहीं मिलता। इसके पीछे कई लोगों की अलग-अलग राय है। लेकिन महान दार्शनिक और विचारक ओशो ने इसके लिए मनोविज्ञान और मानव स्वभाव को जिम्मेदार ठहराया है। इस लेख में हम जानेंगे कि सच्चा प्यार करने वालों को प्यार क्यों नहीं मिलता।

ओशो के अनुसार प्यार की परिभाषा क्या है?
ओशो के अनुसार प्यार किसी लेन-देन या स्वार्थ पर आधारित नहीं है। यह एक ऐसी अवस्था है, जहां किसी भी तरह के सौदे की कोई जगह नहीं है। उन्होंने प्यार को एक ध्यान के रूप में देखा, जिसमें स्वतंत्रता और समझ सर्वोपरि है।

सच्चा प्यार बंधन नहीं बनाता
ओशो कहते हैं, “जब प्यार बंधन बन जाता है, तो वह प्यार नहीं रह जाता। वह स्वामित्व बन जाता है।” एक सच्चा प्रेमी कभी भी अपने साथी को अपना ‘अधिकार’ नहीं मानता। आज के समय में ज़्यादातर प्रेम संबंध अपेक्षाओं और नियंत्रण पर आधारित हैं। इसलिए सच्चे प्रेमी को समाज की पारंपरिक प्रेम प्रणाली में जगह नहीं मिलती।

समाज को सत्य पसंद नहीं
ओशो कहते हैं, “सच्चा प्रेम हमेशा क्रांतिकारी होता है।” जब कोई सच्चा प्रेमी बिना किसी डर, दिखावे और लालच के प्रेम करता है, तो समाज उसे स्वीकार नहीं करता। क्योंकि समाज को ऐसे प्रेमियों की ज़रूरत है जो उसके नियमों से बंधे हों, न कि ऐसे प्रेमी जो प्रेम में स्वतंत्रता और आत्मा की पवित्रता चाहते हों।

सच्चे प्यार में एक दूसरे के साथ एक बंधन होता है
ओशो ने कहा है कि जिस व्यक्ति से आप प्यार करते हैं, उसकी आपको जरूरत नहीं होती, उसके साथ रहना खुशी की बात है, जरूरत नहीं।” जब प्यार ‘जरूरत’ से सिर्फ ‘मौजूदगी’ बन जाता है, तो वह शारीरिक रिश्तों में टिक नहीं पाता। यही वजह है कि सच्चे प्रेमी अक्सर रिश्तों से दूर रहते हैं। क्योंकि वे प्यार को भावनात्मक निर्भरता नहीं बनाते।

अकेलेपन से दोस्ती
ओशो का मानना ​​है कि सच्चा प्यार अकेलेपन से डरता नहीं है, बल्कि उसे स्वीकार करता है। लेकिन ज्यादातर लोग अकेले रहने से डरते हैं और इसलिए रिश्तों में आ जाते हैं। सच्चे प्रेमी अकेले भी खुश रह सकते हैं, इसलिए वे किसी पर निर्भर नहीं होते और यहीं पर वे पारंपरिक ‘प्रेम संबंधों’ से बाहर हो जाते हैं।

ओशो ने सच्चे प्यार पर क्या सुझाव दिए हैं?
ओशो बार-बार ध्यान की बात करते हैं। वे कहते हैं, “अगर आप प्यार करना चाहते हैं, तो पहले खुद से प्यार करना सीखें। ध्यान आपको ऐसी स्थिति में ले जाएगा, जहां बिना किसी शर्त और उम्मीद के प्यार अपने आप पैदा होता है।

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