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आर्थिक विकास और सामाजिक समानता के लिए ‘समावेशी वित्तीय’ अप्रोच जरूरी : सरकारी अधिकारी

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नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक व्यापक और समावेशी फाइनेंशियल अप्रोच की जरूरत है, जो अर्थव्यवस्था और सामाजिक समानता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

आईईपीएफ प्राधिकरण की सीईओ और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की संयुक्त सचिव अनीता शाह अकेला ने कहा कि पेमेंट सिस्टम, क्रेडिट, इंश्योरेंस और निवेश के अवसरों तक पहुंच वित्तीय समावेशन के प्रमुख तत्व हैं, जिन्हें प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकारी नीतियों की आवश्यकता होती है।

एसोचैम द्वारा आयोजित तीसरे ‘वित्तीय समावेशन पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ में अकेला ने कहा, “जेएएम (जन धन, आधार, मोबाइल) त्रिमूर्ति ने सभी के लिए बैंकिंग तक पहुंच को इतना आसान और सरल बना दिया है कि दुनिया इस पर ध्यान दे रही है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में इनोवेश ने डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है और नीतिगत उपायों और पहलों ने वित्तीय सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

वित्तीय संस्थाओं ने खुद समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर माइक्रोफाइनेंस सेवाओं के माध्यम से जो कम आय वाली आबादी को सेवाएं प्रदान करती हैं।

उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, “डिजिटल लेनदेन प्लेटफॉर्म और तत्काल भुगतान सेवाओं, आईएमपीएस और डिजिटल वॉलेट जैसी सेवाओं के विस्तार ने लेनदेन को अधिक सहज, सुरक्षित और लागत प्रभावी बना दिया है।”

वित्तीय समावेशन के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता की भी जरूरत है और आईईपीएफए, बीएसई, सेबी और आरबीआई जैसे संगठन लोगों में वित्तीय साक्षरता फैलाने के लिए काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “निवेशक दीदी और निवेशक सारथी जैसे कार्यक्रम खासकर महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।”

वित्तीय समावेशन पर अपने विचार साझा करते हुए, साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड के एमडी और सीईओ पी.आर. शेषाद्रि ने कहा कि वित्तीय समावेशन पहुंच से शुरू होता है और हमें पहुंच को इतना सर्वव्यापी बनाने में राष्ट्रीयकृत बैंकिंग प्रणाली द्वारा निभाई गई शानदार भूमिका की सराहना करनी चाहिए।

शेषाद्रि ने कार्यक्रम में कहा, “आज, हमारे देश में पहुंच का स्तर समान स्थिति वाले हमारे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी अधिक है। देश में ब्याज दरों में कमी आई है, जो इस बात को उजागर करती है कि पहुंच से क्या फर्क पड़ता है।”

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी

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