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इंग्लैंड में बदल गए कामकाज के नियम, भारतीय छात्रों के लिए ही नहीं इन लोगों के लिए भी खतरा

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ब्रिटेन ने 22 जुलाई 2025 से अपने आव्रजन नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जिनका असर भारत, चीन और कई अन्य देशों के लोगों पर पड़ेगा। यह बदलाव ब्रिटेन की लेबर पार्टी सरकार की नेट माइग्रेशन (देश में आने और जाने वाले लोगों के बीच का अंतर) को कम करने, स्थानीय लोगों को ज़्यादा रोज़गार देने और आव्रजन प्रणाली पर नियंत्रण कड़ा करने की रणनीति का हिस्सा है। इन नियमों से भारत-चीन समेत कई देशों के छात्रों और पेशेवरों के लिए चुनौतियाँ बढ़ेंगी। आइए जानते हैं क्या हैं ये नियम और इनका क्या असर होगा?

क्या हैं नए नियम?

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने 82 पन्नों के एक श्वेत पत्र में इन बदलावों का विस्तृत विवरण दिया है। ये बदलाव मुख्य रूप से कुशल श्रमिक वीज़ा, छात्र वीज़ा और स्थायी निवास (सेटलमेंट) के नियमों पर केंद्रित हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

कुशल श्रमिक वीज़ा में सख्ती

अब कुशल श्रमिक वीज़ा के लिए नौकरी का स्तर RQF स्तर 6, यानी स्नातक स्तर होना चाहिए। पहले यह RQF स्तर 3 (12वीं के समकक्ष) था। इसका मतलब है कि अब केवल डिग्री स्तर की नौकरी वाले ही वीज़ा प्राप्त कर पाएँगे। इसके साथ ही, आतिथ्य, रसद और देखभाल जैसे क्षेत्रों में लगभग 180 नौकरियाँ वीज़ा के दायरे से बाहर हो जाएँगी। भारत और चीन से आने वाले लोगों को अब वीज़ा प्राप्त करने में समस्याएँ होंगी।

केयर वर्कर वीज़ा पर प्रतिबंध

ब्रिटेन ने नर्सिंग सहायकों जैसे केयर वर्कर के लिए विदेशों से भर्ती पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। ये बदलाव 22 जुलाई 2025 से लागू हो गए हैं। हालाँकि, जो लोग पहले से ही इस वीज़ा पर काम कर रहे हैं, उनके लिए 2028 तक एक संक्रमण काल रहेगा, यानी वे वीज़ा का नवीनीकरण करा सकेंगे। हालाँकि, नए लोगों को इस क्षेत्र में वीज़ा नहीं मिल पाएगा। भारत के केरल और पंजाब से बड़ी संख्या में लोग इस क्षेत्र में काम करने जाते हैं। उनके लिए यह रास्ता अब बंद हो गया है।

अंग्रेजी भाषा की सख्त आवश्यकताएँ

आश्रितों (परिवार के सदस्यों) सहित सभी वीज़ा श्रेणियों के लिए अब अंग्रेजी में दक्षता अनिवार्य होगी। मुख्य आवेदक को पहले CEFR B2 स्तर पर अंग्रेजी बोलनी और समझनी होगी, जबकि आश्रितों को बेसिक लेवल (A1) पास करना होगा। वीज़ा नवीनीकरण के लिए A2 स्तर और बसने के लिए B2 स्तर की आवश्यकता होगी। भारत और चीन जैसे देशों के उन लोगों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है जिनकी अंग्रेजी कमज़ोर है।

बसावट का समय दोगुना

पहले, लोग ब्रिटेन में 5 साल रहने के बाद अनिश्चितकालीन निवास अवकाश (ILR) यानी स्थायी निवास के लिए आवेदन कर सकते थे। अब यह समय बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। हालाँकि, डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर या कृत्रिम बुद्धिमत्ता विशेषज्ञ जैसे लोग, जिनका अर्थव्यवस्था या समाज में योगदान अधिक होगा, कम समय में बस सकते हैं। यह छूट किसे मिलेगी, यह बाद में तय किया जाएगा। यह उन भारतीय और चीनी प्रवासियों के लिए एक बड़ा झटका है जो लंबे समय तक ब्रिटेन में रहने का सपना देखते हैं।

स्नातक वीज़ा की अवधि कम

छात्रों के लिए स्नातक वीज़ा (जो पढ़ाई पूरी करने के बाद काम करने की अनुमति देता है) की अवधि 2 साल से घटाकर 18 महीने कर दी गई है। पहले पीएचडी धारकों को 3 साल मिलते थे, लेकिन अब यह सभी के लिए 18 महीने होगा। भारत और चीन से लाखों छात्र हर साल यूके जाते हैं और इस बदलाव से उन्हें नौकरी ढूँढने में लगने वाला समय कम हो जाएगा।

आव्रजन कौशल शुल्क में वृद्धि

नियोक्ताओं को अब प्रत्येक विदेशी कर्मचारी के लिए ज़्यादा आव्रजन कौशल शुल्क देना होगा, जो 32% बढ़ गया है। यह शुल्क छोटी कंपनियों के लिए £480 और बड़ी कंपनियों के लिए £1320 प्रति वर्ष हो गया है। इससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिसका असर भारतीय और चीनी पेशेवरों की नियुक्ति पर पड़ सकता है।

भारत पर क्या असर?

भारत ब्रिटेन में गैर-यूरोपीय प्रवासियों का सबसे बड़ा समूह है। 2023 में, 2.5 लाख भारतीय यूके गए, जिनमें ज़्यादातर छात्र और कुशल कर्मचारी थे। जानिए नए नियमों का क्या असर होगा?

स्वास्थ्य और देखभाल क्षेत्र: भारत से बड़ी संख्या में नर्सिंग सहायक और देखभाल कर्मी यूके जाते थे। अब इस क्षेत्र में नई भर्तियाँ बंद होने से हज़ारों लोगों के लिए यह रास्ता बंद हो गया है। ख़ासकर केरल और पंजाब जैसे राज्यों से जाने वालों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।
कुशल श्रमिक: वीज़ा अब केवल डिग्री स्तर की नौकरियों के लिए ही उपलब्ध होंगे। आईटी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को इससे लाभ हो सकता है, क्योंकि उन्हें शीघ्र ही बसने का मौका मिलेगा। हालाँकि, कम कुशल नौकरियों वाले लोगों के लिए यूके जाना मुश्किल होगा।
छात्र: 2023-24 में 1.07 लाख भारतीय छात्र यूके गए। स्नातक वीज़ा की अवधि कम करने से उन्हें पढ़ाई के बाद नौकरी ढूँढ़ने में मुश्किल होगी। राष्ट्रीय भारतीय छात्र एवं पूर्व छात्र संघ (NISAU) ने चिंता व्यक्त की है कि इससे भारतीय छात्रों की संख्या कम हो सकती है, जो यूके की अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
आश्रित: नई अंग्रेजी परीक्षा की आवश्यकता परिवार के साथ यूके जाने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ा देगी। खासकर उन परिवारों के लिए जिनके आश्रितों की अंग्रेजी कमजोर है।

चीन पर क्या प्रभाव?

2023-24 में 98,400 छात्र और हजारों पेशेवर चीन से यूके गए। भारत की तरह, चीन के लोग भी इन बदलावों से प्रभावित होंगे।

छात्र: पढ़ाई के बाद ब्रिटेन में नौकरी ढूँढ़ने की कोशिश कर रहे चीनी छात्रों को अब 18 महीने तक काम करने का मौका मिलेगा। इससे उनके लिए स्थायी नौकरी पाना और स्थायी रूप से बसना मुश्किल हो जाएगा।
पेशेवर: चीनी पेशेवर, खासकर प्रौद्योगिकी और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में, त्वरित पुनर्वास से लाभान्वित हो सकते हैं। हालाँकि, अब उनके लिए कम-कुशल नौकरियाँ भी उपलब्ध हैं।

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