पिछले कुछ समय से सोने की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिल रही थी और सोने की कीमत एक लाख रुपये के स्तर से 5 से 7 रुपये नीचे थी। जिससे देश की महिलाएं राहत की सांस ले रही थी। वहीं दूसरी तरफ दुनियाभर के अर्थशास्त्री कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहे थे। इसकी एक वजह यह भी थी कि अमेरिका के साथ-साथ ओपेक देशों ने भी कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की बात कही थी। इसके अलावा शेयर बाजार में एक बार फिर रौनक देखने को मिली थी। मार्च की शुरुआत से लेकर 12 जून तक सेंसेक्स ने निवेशकों को 13 फीसदी का रिटर्न दिया था। वहीं रुपये में भी लगातार तेजी देखने को मिली थी। अब इजरायल द्वारा ईरान पर सुबह-सुबह किए गए मिसाइल हमले ने इस पूरी तस्वीर को बदल दिया है। पश्चिमी संस्कृति में अशुभ माने जाने वाले शुक्रवार 13 तारीख ने एक बार फिर अपना रंग दिखाया। इसे एक बार फिर बाजार का ब्लैक फ्राइडे कहना गलत नहीं होगा। जहां शेयर बाजार में सुबह-सुबह 1300 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली। वहीं, निफ्टी भी सुबह 415.2 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
दूसरी ओर, ईरान में बमबारी के कारण पूरे मध्य पूर्व में तनाव फैल गया। जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों में देखने को मिला। खाड़ी देशों का ब्रेंट क्रूड ऑयल दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा देश में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। भू-राजनीतिक तनाव के कारण निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की ओर रुख करना जरूरी समझा। भारत में सोने की कीमतें एक बार फिर न सिर्फ एक लाख रुपये के पार पहुंच गईं, बल्कि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। वहीं, मुद्रा बाजार में रुपये को भी भारी नुकसान हुआ है और यह एक बार फिर 86 के स्तर को पार कर गया है। आइए इन चार मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
कच्चा तेल दो महीने के उच्चतम स्तर पर
ईरान-इजराइल युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। मध्य पूर्व में तनाव और तेल आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं के चलते ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 13 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 78.50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। जो दो महीने का उच्चतम स्तर है। यह उन देशों के लिए बड़ा झटका है जो कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर हैं। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। वहीं अमेरिकी कच्चे तेल WTI में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जिसके बाद कीमत 77.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है।
कच्चा तेल (3)
जबकि एक दिन पहले अमेरिकी तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे थीं। खास बात यह है कि जून के महीने में अमेरिकी तेल की कीमत में करीब 28 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि खाड़ी देशों का कच्चा तेल करीब 23 फीसदी महंगा हो गया है। जेपी मॉर्गन के विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे खराब स्थिति में तेल की कीमत 120 डॉलर तक बढ़ सकती है। बैंक ने कहा कि ईरान पर हमला तेल की कीमतों को 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा सकता है, जिससे अमेरिकी मुद्रास्फीति 5 फीसदी तक बढ़ सकती है।
सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर
दूसरी ओर, भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोने की कीमत में उछाल देखने को मिला है। देश के वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने की कीमत 1,00,403 रुपये प्रति दस ग्राम के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। खास बात यह है कि एमसीएक्स पर सोने की कीमत में 2,011 रुपये का उछाल देखा गया। जबकि एक दिन पहले सोने की कीमत 98,392 रुपये प्रति दस ग्राम थी। खास बात यह है कि जून महीने में सोने की कीमत में 4,528 रुपये की बढ़ोतरी देखी गई है।
सोने की कीमत (17)
दूसरी ओर, अगर विदेशी बाजारों की बात करें तो सोने की कीमतों में अच्छी तेजी देखने को मिली है। आंकड़ों के मुताबिक, न्यूयॉर्क के कॉमेक्स बाजार में सोने की कीमत एक फीसदी से ज्यादा की तेज बढ़त के साथ 3,437.80 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही है। जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सोने की कीमतों ने 3,466.75 डॉलर प्रति औंस का इंट्रा-डे हाई छुआ। वहीं, सोने के हाजिर भाव में करीब एक फीसदी की तेजी देखने को मिली है और भाव 3,416.39 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सोने के हाजिर भाव 3,444.53 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गए थे। शेयर बाजार में तेजी दूसरी ओर शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। दोपहर 1:40 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 550 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था, लेकिन कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 1,337.39 अंकों की गिरावट के साथ 80,354.59 अंकों पर कारोबार कर रहा था। खास बात यह है कि मार्च की शुरुआत से लेकर 12 जून तक सेंसेक्स ने निवेशकों को करीब 13 फीसदी का रिटर्न दिया है। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य सूचकांक निफ्टी में 415.2 अंकों की तेज गिरावट देखने को मिली और कारोबारी सत्र में निफ्टी 24,473 अंकों के साथ दिन के निचले स्तर पर आ गया। जबकि निफ्टी 1:42 बजे 160 अंकों की गिरावट के साथ 24,730.75 अंकों पर कारोबार कर रहा था।
शेयर बाजार (64)
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार, कभी-कभी बुरी खबरें बाढ़ की तरह आती हैं। अहमदाबाद हवाई त्रासदी के ठीक बाद, ईरान पर इजरायल के हमले की खबर आई है। अगर ईरान द्वारा हमला और जवाबी हमला लंबे समय तक जारी रहा तो इस इजरायली हमले के आर्थिक परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। इजरायल ने घोषणा की है कि यह ऑपरेशन कई दिनों तक चलेगा। उन्होंने कहा कि बाजार पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि संघर्ष कितने समय तक चलता है। विमानन, पेंट, चिपकने वाले और टायर जैसे तेल डेरिवेटिव का उपयोग करने वाले क्षेत्र को तगड़ा झटका लगेगा। ONGC और Oil India जैसे तेल उत्पादक लचीले बने रहेंगे। निफ्टी को 24500 के स्तर पर मजबूत समर्थन मिलने की संभावना है।
बॉन्ड बाजार दबाव में
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण शुक्रवार को भारतीय सरकारी बॉन्ड की पैदावार पांच सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। साप्ताहिक ऋण नीलामी से पहले सतर्कता ने भावनाओं को कमजोर कर दिया है। भारत कच्चे तेल का एक प्रमुख आयातक है और उच्च कीमतें मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दो सप्ताह के भीतर एकतरफा टैरिफ लगाने की धमकी से अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे निवेशकों को पारंपरिक सुरक्षित-हेवन परिसंपत्तियों की ओर और अधिक धक्का लगा है।
रुपये में बड़ी गिरावट
शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 56 पैसे गिरकर 86.08 पर आ गया। ईरान के परमाणु स्थलों पर इजरायल के हमले के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच वैश्विक तेल की बढ़ती कीमतों और मजबूत होते डॉलर ने घरेलू मुद्रा पर दबाव डाला। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत और विदेशी पूंजी के भारी बहिर्वाह से भी स्थानीय मुद्रा में गिरावट आई। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 86.25 पर खुला। इसके बाद यह 86.08 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से 56 पैसे कम है। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.52 पर बंद हुआ। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.31 प्रतिशत बढ़कर 98.22 पर पहुंच गया।