बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – भारतीय शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार 9 जनवरी को घरेलू बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स 528 अंक गिरकर 77,619.80 पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी 160 अंक गिरकर 23,528 पर पहुंच गया। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टूब्रो, जोमैटो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सन फार्मा, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस और एनटीपीसी के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। मिडकैप और स्मॉलकैप भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
शेयर बाजार में इस गिरावट के पीछे 5 बड़ी वजहें रहीं
1. तिमाही नतीजों से पहले घबराहट
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नतीजों के ऐलान के साथ ही आज से आधिकारिक तौर पर अर्निंग सीजन की शुरुआत हो जाएगी। पिछली तिमाही में भारतीय कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से निवेशक निराश थे। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, “आज से तीसरी तिमाही के नतीजों का सीजन शुरू होने के साथ ही बाजार कॉरपोरेट्स के प्रदर्शन के हिसाब से ही प्रतिक्रिया देगा। टीसीएस के नतीजों से आईटी सेक्टर की भविष्य की ग्रोथ के बारे में संकेत मिलेंगे। वह भी ऐसे समय में जब डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती के चलते आईटी सेक्टर के लिए स्थितियां अनुकूल नजर आ रही हैं।”
इस बीच, डाबर इंडिया और हीरो मोटोकॉर्प समेत अब तक आए बिजनेस अपडेट भी इस बात का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं कि निफ्टी-50 में लिस्टेड कंपनियों के नतीजे पिछली तिमाही से बेहतर होंगे। यह भी घबराहट की वजह है क्योंकि पिछली सितंबर तिमाही में इन कंपनियों के नतीजे पिछले 4 साल में सबसे खराब रहे थे। मिराए एसेट शेयरखान के संजीव होता ने रॉयटर्स को बताया, “दिसंबर तिमाही में आय में धीमी वृद्धि, ट्रंप की नीतियों पर अनिश्चितता और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में उम्मीद से कम कटौती की चिंताओं के कारण बाजार दबाव में है।
2. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
भारतीय रुपये में गिरावट जारी है। गुरुवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे गिरकर 85.92 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपये में गिरावट का यह लगातार तीसरा दिन है। रुपये में गिरावट के अलावा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने भी बाजार पर अतिरिक्त दबाव डाला है। विदेशी फंडों की लगातार निकासी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल ने डॉलर को मजबूत करने में योगदान दिया है।
3. अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर चिंता
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करेंगे। उनकी व्यापार और टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चितता है, जिसके कारण दुनिया भर के निवेशक सतर्क हैं। साथ ही, आगामी बजट 2025 के कारण निवेशक थोड़े सतर्क हैं। विजयकुमार ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उम्मीदें ट्रंप की व्यापार नीतियां और बजट आने वाले हफ्तों में बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ाएंगे।
4. अमेरिकी फेड की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें खत्म हो रही हैं
अमेरिकी व्यापार और आव्रजन नीतियों को लेकर चिंताओं ने बाजार की बेचैनी बढ़ा दी है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप कथित तौर पर वैश्विक आयात पर 10 फीसदी और चीनी वस्तुओं पर करीब 60 फीसदी शुल्क लगा सकते हैं। इन शुल्कों को उचित ठहराने के लिए वह राष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल की घोषणा भी कर सकते हैं।
इसके अलावा ट्रंप कुछ अप्रवासी समूहों को निर्वासित करने की भी योजना बना रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों का मानना है कि इसके चलते अमेरिका में महंगाई से जुड़ी चिंताएं फिर से लौट सकती हैं। इसके चलते फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। बाजार अब 2025 में सिर्फ 0.25 फीसदी की एक कटौती का अनुमान लगा रहा है। दूसरी कटौती की संभावना बहुत कमजोर हो गई है।
5. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से लगातार बिकवाली
इस बीच, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसे निकालना जारी रखा है। एफआईआई ने बुधवार को 3,362.18 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। अकेले जनवरी में ही एफआईआई ने अब तक 10,419 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।