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इन 6 वजहों से बिगड़ा शेयर बाजार का मूड, 600 अंक तक लुढ़कने के बाद सेंसेक्स ने फिर से की वापसी

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बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – बुधवार यानी 8 जनवरी को एक बार फिर शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 600 अंकों तक गिर गया। वहीं, निफ्टी 23,500 के नीचे आ गया। हालांकि दोपहर बाद बाजार ने कुछ वापसी की, लेकिन दोनों इंडेक्स मामूली गिरावट के साथ अभी भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सबसे ज्यादा बिकवाली ब्रॉडर मार्केट में देखने को मिली। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप दोनों इंडेक्स में करीब 1.4 फीसदी की गिरावट आई। सबसे ज्यादा गिरावट कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, पावर, बैंकिंग, फाइनेंशियल, यूटिलिटी और कैपिटल गुड्स शेयरों में देखने को मिली। दोपहर करीब 2.15 बजे बीएसई सेंसेक्स 29.08 अंकों की गिरावट के साथ 78,170.03 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी 21 अंक गिरकर 23,686 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि शेयर बाजार में आज हुई भारी उथल-पुथल के पीछे 6 प्रमुख कारण रहे-

1. जीडीपी ग्रोथ से जुड़ी चिंताएं
चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ पिछले 4 सालों के सबसे निचले स्तर 6.4 फीसदी पर रह सकती है। यह जानकारी भारत सरकार की ओर से मंगलवार को जारी जीडीपी के शुरुआती अनुमानों से मिली है। इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी ग्रोथ में 5.8 फीसदी की गिरावट आई थी। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में मंदी ने आर्थिक परिदृश्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। स्टॉकबॉक्स के रिसर्च हेड मनीष चौधरी ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ के सरकार के शुरुआती अनुमानों ने आज बाजार का सेंटीमेंट बिगाड़ दिया। हालांकि, यह आरबीआई की ओर से दिसंबर 2024 में दिए गए आर्थिक पूर्वानुमान के अनुरूप है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार निवेश और खपत को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय करती है।

2. फेड की ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें कम हुईं
अमेरिका में जॉब मार्केट के हालिया आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इससे फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में जल्द कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। नवंबर में अमेरिका में रोजगार के अवसर छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। इस बीच, 10 साल के अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर यील्ड भी बढ़कर 4.67 फीसदी हो गई। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, “अमेरिकी सेवा क्षेत्र और श्रम बाजार में लचीलापन दर्शाता है कि फेडरल रिजर्व जनवरी में ब्याज दरें बरकरार रख सकता है, जिससे डॉलर मजबूत होगा और बॉन्ड पर यील्ड बढ़ेगी।”

3. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ रही है। रूस और ईरान से आपूर्ति कम होने और चीन में मांग बढ़ने के कारण आज ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.38 फीसदी बढ़कर 77.34 डॉलर प्रति बैरल हो गई। तेल की ऊंची कीमतों का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है क्योंकि हम कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक हैं।

4. एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली
क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों से लौटने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने एक बार फिर बिकवाली तेज कर दी है। मंगलवार को उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में 1,491.46 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की। जनवरी महीने में अब तक उन्होंने भारत से करीब 8,569.73 करोड़ रुपये निकाले हैं। शेयर बाजार में गिरावट की यह सबसे बड़ी वजह बनी हुई है।

5. तीसरी तिमाही के नतीजों से जुड़ी चिंताएं
भारतीय कंपनियों के नतीजे इस तिमाही में भी खराब रहने की आशंका है। कंपनियां कल यानी 9 जनवरी से अपनी तीसरी तिमाही के नतीजे जारी करना शुरू करेंगी। पहला बड़ा नतीजा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का आने वाला है। इससे पहले सितंबर तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, जिससे न सिर्फ बाजार का सेंटिमेंट कमजोर हुआ, बल्कि ब्रोकरेज फर्मों को ज्यादातर शेयरों की रेटिंग और टारगेट प्राइस घटाने पर भी मजबूर होना पड़ा। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रुचित जैन ने कहा, “एफआईआई की लगातार बिकवाली के कारण बाजार तीन महीने से करेक्शन के दौर में है, जिसकी शुरुआत दूसरी तिमाही के आय सत्र के दौरान हुई थी। तब से हमें खरीदारी में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखी है।” साथ ही

6. कमज़ोर वैश्विक संकेत
वैश्विक बाज़ार में गिरावट के कारण आज शेयर बाज़ार की धारणा भी प्रभावित हुई। मज़बूत जॉब मार्केट डेटा और ब्याज दरों में कटौती की कमज़ोर उम्मीदों के कारण कल रात अमेरिकी शेयर बाज़ार गिरावट के साथ बंद हुआ। एशियाई बाज़ारों में भी टोक्यो, शंघाई और हांगकांग के ज़्यादातर प्रमुख बाज़ार लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।

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