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इलेक्ट्रीशियन पिता नहीं, इस कोच ने बदली तिलक वर्मा की जिंदगी, जानें संघर्ष की कहानियां

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देश भर में भारतीय क्रिकेट प्रशंसक एशिया कप फ़ाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जीत का जश्न मना रहे हैं। भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले खिलाड़ी तिलक वर्मा ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। जब तिलक दुबई में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी करने उतरे, तब तक तीन भारतीय खिलाड़ी 20 रन पर आउट हो चुके थे। अभिषेक शर्मा, कप्तान सूर्यकुमार यादव और एशिया कप में धमाकेदार पारी खेलने वाले सलामी बल्लेबाज़ शुभमन गिल पवेलियन लौट गए। तिलक वर्मा ने इस नाज़ुक मोड़ पर शानदार पारी खेली। उन्होंने न सिर्फ़ पाकिस्तानी गेंदबाज़ों के सामने लड़खड़ाती दिख रही भारतीय पारी को संभाला, बल्कि नाबाद 69 रन बनाकर भारत को नौवीं बार ख़िताब जिताया। इस मैच में उनके प्रदर्शन के बाद, कुछ लोग तिलक वर्मा की तुलना विराट कोहली से कर रहे हैं। खेल विशेषज्ञ भी उनके शानदार प्रदर्शन की तारीफ़ कर रहे हैं।

एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का

नंबूरी ठाकुर तिलक वर्मा तेलंगाना के मेडचल से हैं। वह एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। छोटी उम्र में ही तिलक बीएसईएल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड) के कर्मचारियों के लिए बने एक क्षेत्र में बस गए। उनके पिता एक इलेक्ट्रीशियन हैं और माँ गायत्री देवी एक गृहिणी हैं। उनके बड़े भाई तरुण वर्मा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। तिलक वर्मा ने 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। तिलक वर्मा का चयन वर्ष 2023 में भारतीय टीम में हुआ। उनके पिता नम्बूरी नागराजू ने बीबीसी को बताया, “मैं चाहता था कि मेरे दोनों बेटे तरुण और तिलक डॉक्टर बनें और लोगों की सेवा करें। लेकिन तरुण ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया और तिलक को क्रिकेट से प्यार हो गया।”

उन्होंने कहा, “तिलक ने मुझसे कहा था कि अगर मैं डॉक्टर बनूँगा, तो सिर्फ़ मेरे करीबी लोग ही मुझे जानेंगे, लेकिन अगर मैं क्रिकेट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूँगा, तो पूरी दुनिया मुझे जानेगी।” नागराजू के पिता ने बीबीसी को बताया कि आर्थिक तंगी के बावजूद, उन्होंने कड़ी मेहनत की और बचत करना शुरू कर दिया ताकि मुश्किल समय में ये बचत काम आ सके। तिलक वर्मा ने 2019 में विजयनगरम में आंध्र प्रदेश बनाम हैदराबाद मैच में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने पहली पारी में 5 और दूसरी पारी में 34 रन बनाए। उसी वर्ष, उन्होंने हैदराबाद के लिए सौराष्ट्र के खिलाफ अपना पहला लिस्ट ए मैच और सर्विसेज के खिलाफ टी20 मैच खेला। इसके बाद, तिलक ने 2022 में पहली बार आईपीएल में अपना जलवा दिखाया। उन्होंने 14 मैचों में 36.09 की औसत और 131.02 के स्ट्राइक रेट से 397 रन बनाए। इस दौरान तिलक ने दो अर्धशतक भी लगाए।

22 वर्षीय तिलक वर्मा क्रिकेटर सुरेश रैना से प्रेरित हैं। रैना की तरह, तिलक वर्मा भी बाएँ हाथ से बल्लेबाजी और दाएँ हाथ से गेंदबाजी करते हैं। उन्हें कवर ड्राइव और स्ट्रेट ड्राइव खेलना पसंद है। तिलक वर्मा के पिता ने कहा, “मेरे बेटे को सुरेश रैना पसंद हैं। इसलिए वह उनकी तरह बाएँ हाथ से बल्लेबाजी और दाएँ हाथ से गेंदबाजी करता है।”क्रिकेट विश्लेषक सी. वेंकटेश ने तिलक वर्मा के चयन के दौरान बीबीसी से बात की। उन्होंने आगे कहा, “वह निरंतरता के साथ खेलते हैं। उनका स्ट्राइक रेट अच्छा है। रोहित शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि उनमें तीनों प्रारूपों में खेलने की क्षमता है। वह टीम इंडिया के लिए बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के तौर पर एक अच्छा हथियार साबित हो सकते हैं। अगर वह आने वाले दिनों में टी20 विश्व कप में खेलते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।”

कोच की भूमिका

11 साल की उम्र में, तिलक वर्मा अपने खेल को और निखारने के लिए सलोना चले गए, जहाँ उन्होंने कोच सलाम बयाश से क्रिकेट की बारीकियाँ सीखीं। यहीं पर तिलक वर्मा की प्रतिभा को पहचाना गया और उन्हें प्रशिक्षित किया गया। परिवार के अनुसार, कोच ने उनका भरपूर साथ दिया। कोच सलाम ने उन्हें पुराने शहर से भेल ले जाने और वापस लाने की ज़िम्मेदारी ली। तिलक के पिता नागराजू ने बीबीसी को बताया, “कोच सलाम ने तिलक वर्मा को क्रिकेट का जीवन दिया।” कभी-कभी तिलक पुराने शहर में मेरी बहन के घर रुक जाता था। जब सलाम लिंगमपल्ली स्थित अकादमी में आता था, तो वह उसे बाइक पर ले जाता था।”

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