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इस शानदार वीडियो में जानिए कैसे आपकी नाकामयाबी की वजह बनता है अहंकार ? जाने कैसे अन्दर से आपको कर रहा खोखला

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हममें से अधिकतर लोग अपनी नाकामयाबी के लिए बाहरी परिस्थितियों, किस्मत या दूसरों को दोष देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपकी असफलता की जड़ कहीं आपके अहंकार (Ego) में तो नहीं छुपी है? यह एक ऐसा अदृश्य दुश्मन है जो हमें खुद के भीतर की कमज़ोरियों को देखने से रोकता है और धीरे-धीरे हमें उस राह पर ले जाता है, जहां न तो विकास होता है, न आत्मबोध, और न ही वास्तविक सफलता।

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अहंकार क्या है?

अहंकार का अर्थ केवल “घमंड” नहीं है। यह एक मानसिक स्थिति है जहाँ व्यक्ति खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है, अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता और हमेशा सही साबित होने की कोशिश में लगा रहता है। यह भाव मनुष्य को आत्मविश्लेषण से रोकता है और उसे सीखने की प्रवृत्ति से दूर कर देता है।

अहंकार कैसे बनता है असफलता की वजह?
सीखने से इनकार
जब व्यक्ति अहंकारी हो जाता है, तो वह यह मान लेता है कि उसे सब कुछ आता है और किसी से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। ऐसे में जब कोई सुझाव देता है, तो वह उसे या तो नज़रअंदाज़ करता है या उसका विरोध करता है। परिणामस्वरूप, वह व्यक्ति नई चीजें नहीं सीख पाता और वही पुरानी सोच और गलतियाँ उसकी प्रगति में बाधा बन जाती हैं।

आलोचना को नकारना
अहंकारी व्यक्ति आलोचना को अपना अपमान मानता है, जबकि आलोचना अगर सकारात्मक रूप से ली जाए तो वह सुधार का माध्यम बनती है। जो व्यक्ति आलोचना सुनने से डरता है, वह सुधार की दिशा में कदम नहीं बढ़ा पाता और धीरे-धीरे पिछड़ने लगता है।

टीमवर्क में बाधा
अहंकार अकेले चलना सिखाता है, जबकि आज का युग सहयोग का है। टीम में काम करने वाले व्यक्ति को सामंजस्य और समझदारी की जरूरत होती है, लेकिन अहंकार टीमवर्क को नष्ट कर देता है। ऐसे में लोग उस व्यक्ति से दूर भागने लगते हैं और धीरे-धीरे वह अकेला हो जाता है।

विकास की राह रोक देना
अहंकार व्यक्ति को अपनी कमियों को स्वीकार करने नहीं देता। जब तक हम अपनी कमियों को नहीं पहचानेंगे, तब तक उन्हें सुधार नहीं पाएंगे। इस प्रकार, अहंकार आपके आत्मविकास और सफलता की राह में दीवार खड़ी कर देता है।

अवसरों से मुँह मोड़ना
कई बार हम अहंकार के कारण ऐसे अवसरों को ठुकरा देते हैं जो हमारे करियर या जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। हम सोचते हैं कि “यह मेरे स्तर का नहीं”, “मैं इससे बेहतर हूं” या “मुझे झुकना क्यों पड़े?” – ये सभी सोच की जड़ में अहंकार होता है, जो हमें मौका गंवाने पर मजबूर करता है।

अहंकार और आत्मसम्मान में फर्क समझिए
बहुत से लोग अहंकार को आत्मसम्मान समझ लेते हैं, जबकि दोनों में जमीन-आसमान का फर्क होता है। आत्मसम्मान वह होता है जो हमें हमारे मूल्यों पर टिके रहने की ताकत देता है, जबकि अहंकार हमें दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को ऊँचा साबित करने पर मजबूर करता है। आत्मसम्मान सकारात्मक ऊर्जा देता है, वहीं अहंकार नकारात्मकता से भर देता है।

अहंकार को कैसे पहचानें?
क्या आप आलोचना सुनते ही रक्षात्मक हो जाते हैं?
क्या आपको अपनी गलतियों को स्वीकार करने में कठिनाई होती है?
क्या आप हमेशा दूसरों से बेहतर दिखना चाहते हैं?
क्या आप यह मानते हैं कि आपसे बेहतर कोई नहीं?
यदि इन सवालों के जवाब ‘हाँ’ हैं, तो यह संकेत हैं कि आपका अहंकार आपके जीवन पर हावी हो रहा है।

अहंकार से छुटकारा कैसे पाएँ?
आत्मविश्लेषण करें

रोजाना कुछ समय अपने विचारों और व्यवहार की समीक्षा करें। खुद से सवाल करें कि आपने किसी की बात क्यों नहीं मानी, या किसी पर गुस्सा क्यों किया?

सीखने की आदत डालें
हर इंसान से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है – चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अनुभवी हो या नया। जब आप सीखने लगते हैं, तो आपका अहंकार धीरे-धीरे कम होने लगता है।

‘सुनना’ सीखें
अक्सर अहंकारी व्यक्ति केवल बोलता है, लेकिन सुनता नहीं। अगर आप ध्यान से सुनना शुरू करेंगे, तो आप दूसरों के अनुभवों और भावनाओं को समझ सकेंगे।

आभार प्रकट करें
आभार जताने की आदत से अहंकार कमजोर होता है। जब आप दूसरों के योगदान को सराहते हैं, तो आप विनम्र बनते हैं।

माफी माँगने से न डरें
माफी माँगना कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है। यह दिखाता है कि आप अपने व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार हैं और उसमें सुधार की इच्छा रखते हैं।

निष्कर्ष
अहंकार एक ऐसी दीवार है जो आपको खुद से, दूसरों से और सफलता से अलग कर देती है। इसे समय रहते पहचानना और सुधारना जरूरी है। जब आप विनम्र बनते हैं, आलोचना को स्वीकारते हैं और सीखने की प्रवृत्ति रखते हैं, तभी आप अपने असली विकास की ओर बढ़ते हैं। इसलिए अगली बार जब आप असफल हों, तो बाहर नहीं, अपने अंदर झाँकिए – कहीं आपकी नाकामयाबी का कारण आपका अहंकार तो नहीं?

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