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एनपीसीआई यूपीआई से डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए बैंकों से कर रहा बातचीत, होंगे बड़े बदलाव

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मुंबई, 18 मार्च (आईएएनएस)। डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) यूपीआई पर ‘पुल ट्रांजैक्शन’ को हटाने के लिए बैंकों से बातचीत कर रहा है।

यूपीआई के माध्यम से ज्यादातर डिजिटल फ्रॉड पुल ट्रांजैक्शन के जरिए किए जाते हैं। अब एनपीसीआई की कोशिश इस फीचर को हटाकर फ्रॉड को कम करना है।

जब मर्चेंट्स की ओर से ग्राहकों को भुगतान के लिए रिक्वेस्ट भेजी जाती है, तो उसे ‘पुल ट्रांजैक्शन’ कहा जाता है। वहीं, जब ग्राहक क्यूआर या अन्य किसी माध्यम से लेनदेन करता है, तो उसे ‘पुश ट्रांजैक्शन’ कहा जाता है।

एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट में बताया गया कि ‘पुल ट्रांजैक्शन’ को हटाने से फ्रॉड के मामलों की संख्या में कमी आ सकती है, लेकिन कुछ बैंकर्स का कहना है कि इससे सही लेनदेन भी प्रभावित होंगे और इसका असर दक्षता पर होगा।

भारत में रिटेल पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम का संचालन करने वाली सरकारी कंपनी एनपीसीआई द्वारा इस पर फिलहाल कोई बयान नहीं दिया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि बातचीत अभी शुरुआती चरण में और इसे लागू करने पर अंतिम निर्णय होना बाकी है।

यह डेवलपमेंट ऐसे समय में हुआ है जब देश में यूपीआई भुगतान के लिए तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अकेले फरवरी में यूपीआई लेनदेन की संख्या 16 अरब को पार कर गई थी, जिसका कुल लेनदेन मूल्य 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।

2024 में यूपीआई लेनदेन की संख्या में सालाना आधार पर 46 प्रतिशत बढ़कर 172.2 अरब हो गई है, जो कि 2023 में 117.7 अरब थी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में लोगों को इन फ्रॉड के बारे में शिक्षित करने के लिए एक जागरूकता पहल के महत्व पर जोर दिया।

आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि डिजिटल भुगतान और लोन से संबंधित शिकायतें एक बड़ी चिंता बनी हुई हैं। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जून के बीच, आरबीआई लोकपाल को 14,401 शिकायतें मिलीं। वहीं, जुलाई से सितंबर की अगली तिमाही में 12,744 शिकायतें दर्ज की गई हैं।

दिसंबर 2024 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में लोन और डिजिटल भुगतान से संबंधित मुद्दों का हिस्सा कुल शिकायतों में 70 प्रतिशत से अधिक था।

–आईएएनएस

एबीएस/

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