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ऑस्ट्रेलिया-वेस्टइंडीज मैच में हुआ कांड… थर्ड अंपायर के फैसलों पर ही खडे हुए सवाल, कोच डेरेन सैमी भी हुऐ गुस्से में बुरी तरह लाल

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क्रिकेट न्यूज डेस्क।। क्रिकेट में तकनीक के आने के बाद जहां फैसलों की पारदर्शिता बढ़ी है, वहीं तीसरे अंपायर के निर्णय भी अब scrutiny (सूक्ष्म जांच) के दायरे में आने लगे हैं। हाल ही में खेले गए एक अहम मुकाबले में तीसरे अंपायर एड्रियन होल्डस्टॉक के पांच ऐसे फैसले सामने आए, जिन पर विवाद गहराता जा रहा है। फैंस से लेकर पूर्व खिलाड़ियों तक ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई है और सवाल किया है कि क्या तकनीक के होते हुए भी इतनी गलतियां स्वीकार्य हैं?

यह मुकाबला शुरू से ही बेहद रोमांचक रहा, लेकिन तीसरे अंपायर द्वारा लिए गए कुछ फैसलों ने मैच की दिशा और खिलाड़ियों के मनोबल दोनों पर असर डाला। सबसे पहली विवादित स्थिति तब पैदा हुई जब बल्लेबाज़ के पैड से लगकर गेंद स्लिप में गई और फील्ड अंपायर ने नॉट आउट दिया। रिव्यू पर मामला तीसरे अंपायर के पास गया, लेकिन होल्डस्टॉक ने स्पष्ट रिप्ले के बावजूद आउट करार दिया। इस फैसले के बाद दर्शकों के बीच से भी नाराजगी के स्वर उठे।

दूसरी घटना में कैच को लेकर विवाद हुआ। फील्डर के हाथ में गेंद जमीन छूने के बेहद करीब दिखी, लेकिन होल्डस्टॉक ने बिना पर्याप्त एंगल से दोबारा जांच किए आउट का फैसला सुना दिया। इस पर कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने टिप्पणी की कि इतने नाजुक मामलों में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।

तीसरा और सबसे ज्यादा चर्चित फैसला रनआउट से जुड़ा था। रिप्ले में साफ नजर आ रहा था कि बल्लेबाज का बल्ला क्रीज के अंदर था, लेकिन होल्डस्टॉक ने बैट को हवा में मानते हुए आउट दे दिया। इस पर न सिर्फ बल्लेबाज नाराज हुआ बल्कि डगआउट से भी नाराजगी के संकेत आए।

चौथे और पांचवें फैसले भी ऐसे रहे, जिनमें या तो कैमरा एंगल्स ठीक से उपयोग नहीं किए गए या फिर थर्ड अंपायर ने नियमों की व्याख्या संदिग्ध तरीके से की। इन सब फैसलों ने मैच की गंभीरता को प्रभावित किया और खेल प्रेमियों को भी भ्रम की स्थिति में डाल दिया।

पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा, “अगर तकनीक का सही इस्तेमाल नहीं किया जाए, तो उसका होना भी व्यर्थ है। तीसरे अंपायर को अतिरिक्त जिम्मेदारी और सावधानी से काम लेना चाहिए।”

फिलहाल ICC या मैच रेफरी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन क्रिकेट जगत में यह बहस तेज हो गई है कि क्या एड्रियन होल्डस्टॉक जैसे अनुभवी अंपायर से ऐसी चूकें स्वीकार्य हैं?

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भविष्य में ऐसे विवादित फैसलों को रोकने के लिए थर्ड अंपायर प्रक्रिया में कोई बदलाव किया जाएगा या नहीं। लेकिन इस मैच ने एक बार फिर दिखा दिया कि तकनीक के होते हुए भी मानवीय त्रुटि क्रिकेट का हिस्सा बनी हुई है।

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