‘वो लम्हे’, ‘मर्डर 2’, ‘जन्नत 2’, ‘आशिकी 2’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में लिखने वाली लेखिका शगुफ़्ता रफ़ीक का नाम आज हर कोई जानता है। लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब आर्थिक तंगी से जूझते हुए शगुफ़्ता को कई ऐसे काम करने पड़े, जिन्हें समाज में कलंक माना जाता है। शर्म से शोहरत तक की शगुफ़्ता की कहानी किसी फ़िल्म से कम नहीं है।
सोशल मीडिया के ज़माने में शोहरत पाना बेहद आम बात हो गई है। लेकिन असली कामयाबी के मायने क्या होते हैं, ये फ़िल्म लेखिका शगुफ़्ता रफ़ीक की ज़िंदगी देखकर पता चलता है। लेखिका का बचपन बेहद गरीबी में बीता। वक़्त की मार ने उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया। उन्होंने बार डांसर बनकर गुज़ारा किया। लेकिन बचपन से ही कहानी सुनाने के अपने शौक को उन्होंने मरने नहीं दिया। उनकी यही प्रतिभा उन्हें सपनों की नगरी ले आई। जहाँ उन्होंने सुपरहिट फ़िल्मों की कहानियाँ लिखकर इमरान हाशमी और आदित्य रॉय कपूर को सुपरस्टार बनाया।
शगुफ्ता रफीक ने ‘वो लम्हे’, ‘मर्डर 2’, ‘जन्नत 2’, ‘आशिकी 2’, ‘जिस्म 2’ और ‘राज 3डी’ जैसी फिल्मों की कहानियाँ लिखी हैं। अगर वह फिल्मों के लिए बेहतरीन कहानियाँ लिख पाईं, तो इसका श्रेय उनके लंबे संघर्ष और जीवन के अनुभवों को जाता है। शगुफ्ता को एक महिला ने गोद लिया था, जिसके संबंध कलकत्ता के एक अमीर व्यापारी से थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस व्यापारी की मौत के बाद, शगुफ्ता और उनका परिवार बेहद गरीब हो गया।
जब शगुफ्ता 11 साल की हुईं, तो उन्होंने अपनी माँ की मदद के लिए निजी पार्टियों में नाचकर पैसे कमाए। उन्हें प्रति रात 700 से 800 रुपये मिलते थे। एक चैनल से बातचीत में पुराने दिनों को याद करते हुए शगुफ्ता रफीक ने कहा कि ‘मुझे बहुत पहले ही एहसास हो गया था कि महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं। पैसा तय करता है कि किसे सम्मान मिलेगा… किसे नहीं।’
शगुफ्ता का 17 साल की उम्र में एक अमीर आदमी के साथ रिश्ता था, जिसे उन्होंने अपनी ज़िंदगी का सबसे बुरा दौर बताया। स्थिरता पाने के लिए वह लंबे समय तक एक बुरे रिश्ते में रहीं। जब वह इससे बाहर निकलीं, तो वेश्यावृत्ति के दलदल में फंस गईं। आखिरकार, उन्हें गुज़ारा चलाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ा।
शगुफ्ता ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि यह मेरी ज़िंदगी का दुष्चक्र था। इससे निकलने के लिए मैं वेश्यावृत्ति के दलदल में फंस गई। वहाँ से निकलने के लिए मुझे फिर से बार डांसर बनना पड़ा। फिर मैं मुंबई से भागकर दुबई पहुँच गई। तमाम मुश्किलों के बावजूद, कहानी कहने का उनका जुनून खत्म नहीं हुआ। लेकिन बॉलीवुड में मुकाम पाना मुश्किल था। शगुफ्ता ने कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है। शुरुआत में उन्हें कई प्रोडक्शन हाउस और टीवी शोज़ ने रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘मैं बतौर राइटर काम मांगने प्रोडक्शन हाउस और टीवी शोज़ में गई, लेकिन बिना अनुभव के कोई भी मेरे साथ काम नहीं करना चाहता था।’
राइटर ने बताया कि उनकी ज़िंदगी तब बदल गई जब महेश भट्ट के प्रोडक्शन हाउस ‘विशेष फिल्म्स’ ने उन्हें काम दिया। यहाँ उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका मिला। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों की पटकथाएँ लिखीं। समय के साथ उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। आज वह फिल्म जगत में एक जाना-माना नाम हैं।