आज के समय में आर्थिक आत्मनिर्भरता केवल पढ़े-लिखे लोगों तक सीमित नहीं रह गई है। ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में रहने वाली अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी महिलाएं भी अब छोटे-छोटे कामों के जरिए न सिर्फ खुद के लिए रोज़गार सृजित कर रही हैं, बल्कि अपने परिवार को भी आर्थिक मजबूती दे रही हैं। सबसे खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर कामों में लागत बेहद कम है और मुनाफा कई गुना ज़्यादा। यदि इच्छाशक्ति और थोड़ी मेहनत हो, तो ये महिलाएं भी खुद की पहचान बना सकती हैं।
1. अगरबत्ती या धूपबत्ती बनाना
अगरबत्ती बनाना एक ऐसा काम है, जिसे कोई भी महिला अपने घर से ही शुरू कर सकती है। इसकी लागत बहुत कम होती है, क्योंकि सामग्री जैसे बांस की काठी, पाउडर और खुशबूदार तेल आसानी से उपलब्ध होते हैं। एक किलो अगरबत्ती बनाने में 50-70 रुपये का खर्च आता है और इसे बेचने पर 150-200 रुपये तक की आमदनी हो जाती है। कई NGO और सरकारी ट्रेनिंग सेंटर भी यह सिखाते हैं।
2. पापड़, अचार और मुरब्बा बनाना
गृहिणियों के लिए सबसे पारंपरिक लेकिन आज भी लाभकारी काम है पापड़, अचार और मुरब्बा बनाना। यदि स्वाद और गुणवत्ता अच्छी हो, तो ये उत्पाद बाज़ार में आसानी से बिकते हैं। कई महिलाएं आज सोशल मीडिया या व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए अपने होममेड प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करती हैं। इसकी शुरुआत मात्र 500-1000 रुपये से हो सकती है।
3. सिलाई और कपड़ों की मरम्मत
अनपढ़ महिलाएं सिलाई का काम सीखकर बहुत अच्छा रोजगार कमा सकती हैं। गांवों और कस्बों में शादी-ब्याह के समय महिलाएं नए कपड़े सिलवाने के लिए टेलर की तलाश करती हैं। यदि महिला की सिलाई अच्छी हो, तो ग्राहक खुद-ब-खुद बढ़ते हैं। एक सस्ती सिलाई मशीन 4-5 हजार रुपये में आ जाती है और एक महीने में 5-10 हजार रुपये तक की कमाई की जा सकती है।
4. फूलों की खेती और माला बनाना
कम जमीन और निवेश में फूलों की खेती एक मुनाफेदार व्यवसाय है। महिलाएं गेंदा, गुलाब या चमेली के फूल उगाकर स्थानीय बाजार या मंदिरों में बेच सकती हैं। इसके अलावा माला बनाने का काम भी ज्यादा तकनीकी नहीं होता। त्योहारों और विशेष अवसरों पर इस काम से अच्छी कमाई होती है।
5. देसी गाय का दूध और घी बेचना
ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पारंपरिक रूप से गाय-भैंस पालती हैं। वे दूध निकालकर सीधे ग्राहकों को बेच सकती हैं, जो आजकल शुद्ध देसी घी और दूध की तलाश में रहते हैं। इससे न केवल मुनाफा होता है, बल्कि शुद्धता के कारण ग्राहक बार-बार लौटते हैं। इससे दैनिक आय सुनिश्चित हो सकती है।
6. ब्यूटी पार्लर या मेहंदी लगाना
शादी और त्योहारों के दौरान महिलाओं को सजने-संवरने की ज़रूरत होती है। ऐसे में अनपढ़ महिलाएं अगर मेहंदी लगाना या बेसिक ब्यूटी पार्लर का कोर्स कर लें, तो यह काम बहुत कम लागत में शुरू किया जा सकता है। केवल कुछ ब्यूटी प्रोडक्ट्स और मेहंदी की सामग्री से शुरू होकर यह रोजगार हजारों की कमाई करा सकता है।
7. झाड़ू और मूंज की रस्सी बनाना
झाड़ू और मूंज की रस्सी बनाना एक पारंपरिक लेकिन कभी भी खत्म न होने वाला काम है। आज भी ग्रामीण भारत में बड़ी मात्रा में झाड़ू की मांग होती है। यह काम सीखने में आसान है और इसमें उपयोग आने वाली कच्ची सामग्री बेहद सस्ती होती है। कई महिलाएं आज इसे छोटे समूह में करके सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं से मिल रही है मदद
सरकार अब महिला सशक्तिकरण के लिए मुद्रा योजना, स्वयं सहायता समूह, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना और रूरल स्किल डेवलपमेंट मिशन जैसी योजनाओं के तहत महिलाओं को लोन, ट्रेनिंग और मार्केटिंग की सुविधा दे रही है। इससे उन महिलाओं को विशेष लाभ मिल रहा है जो पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन कुछ कर गुजरने की हिम्मत रखती हैं।