कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स को इन दिनों नौकरी पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिस क्षेत्र में कोडिंग सीखने में सालों लग जाते हैं और जहाँ मोटी तनख्वाह और तेज़ करियर ग्रोथ के विकल्प मौजूद थे, वहाँ आज पेशेवरों को छंटनी का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में एआई प्रोग्रामिंग टूल्स का बढ़ता चलन चुनौतियों को और बढ़ा रहा है। नतीजतन, जूनियर इंजीनियरों की माँग कम हो रही है।
एक साल भटकने के बाद भी नहीं मिला ऑफर
अब कैलिफ़ोर्निया के सैन रेमन की रहने वाली 21 वर्षीय मानसी मिश्रा का ही उदाहरण लीजिए। बचपन से ही मानसी को टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़े लोगों ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि इसमें तरक्की की अपार संभावनाएँ हैं। मानसी ने भी इस सलाह पर अमल किया और स्कूल के दिनों से ही कोडिंग सीखना शुरू कर दिया। उन्होंने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री भी हासिल की, लेकिन नौकरी की तलाश में एक साल तक इधर-उधर भटकने के बावजूद उन्हें कोई ऑफर नहीं मिला।
कभी कंप्यूटिंग सिखाने की मुहिम चली थी
2010 के दशक की शुरुआत से ही कई बड़ी हस्तियों ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई को बढ़ावा दिया है और मोटी तनख्वाह का वादा भी किया है। माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने 2012 में कहा था कि बोनस और स्टॉक से होने वाली कमाई के अलावा, शुरुआती वेतन आमतौर पर $100,000 से ज़्यादा होता है। स्मिथ ने ज़्यादा से ज़्यादा हाई स्कूलों में कंप्यूटिंग पढ़ाने का अभियान भी शुरू किया। इससे कंप्यूटिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और 2014 से 2024 तक अमेरिकी स्नातकों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा होकर 170,000 से ज़्यादा हो गई।
बेरोज़गारों की संख्या बढ़ रही है
हालाँकि, अब स्थिति यह है कि सबसे ज़्यादा छंटनी इसी क्षेत्र में हो रही है और बेरोज़गारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अमेज़न, इंटेल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कई बड़ी कंपनियों से लोगों को निकाला जा रहा है। कोड को तेज़ी से लिखने और डीबग करने वाले एआई टूल्स की वजह से शुरुआती स्तर की नौकरियाँ कम हो रही हैं। न्यूयॉर्क के फेडरल रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में कंप्यूटर साइंस और कंप्यूटर इंजीनियरिंग से स्नातक करने वाले छात्रों में बेरोज़गारी दर लगभग 6.1 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत है, जो जीव विज्ञान और कला इतिहास से दोगुनी है।
बेरोज़गारी भत्ते पर कट रही है ज़िंदगी
मानसी की तरह, 25 वर्षीय जैक टेलर ने भी NYT को बताया कि जब उन्होंने 2019 में ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी से सीएस प्रोग्राम शुरू किया था, तो नौकरी की अपार संभावनाएँ दिख रही थीं। 2023 में जब उन्होंने स्नातक किया, तो एआई के कारण छंटनी के दौर में उनके उज्ज्वल भविष्य का सपना बस एक ख्वाब बनकर रह गया। टेलर नौकरियों के लिए आवेदन करते-करते थक गए हैं।
पिछले साल उन्हें एक सॉफ्टवेयर फर्म में इंटर्नशिप करने का मौका मिला, लेकिन फिर नौकरी का सौदा नहीं हो पाया। 5,762 नौकरियों के लिए आवेदन करने के बाद, केवल 13 कंपनियों ने उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया, और किसी में भी बात आगे नहीं बढ़ी। अब टेलर अपने गृहनगर ओरेगन लौट आए हैं और यहाँ उन्हें अपना खर्च चलाने के लिए बेरोज़गारी भत्ता मिल रहा है। ऐसे में सिर्फ़ मानसी या टेलर ही नहीं, कई और युवा भी फँसे हुए हैं, जिनके सामने बस एक ही बड़ा सवाल है – आगे क्या…?