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कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए ग्रीन स्टील के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही केंद्र सरकार : मंत्री

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नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। देश में ग्रीन स्टील मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए स्टील मंत्रालय ने दो पायलट प्रोजेक्ट प्रदान किए हैं, जिसमें वर्टिकल शाफ्ट में 100 प्रतिशत हाइड्रोजन का उपयोग करके डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) का उत्पादन किया जाएगा और एक पायलट प्रोजेक्ट में कोयले की खपत और कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करने के लिए मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाएगा। यह जानकारी सरकार द्वारा शुक्रवार को दी गई।

स्टील राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत स्टील इंडस्ट्री में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन के लिए स्टील मंत्रालय को वित्त वर्ष 2029-30 तक 455 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि स्टील मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम भी लो कार्बन स्टील उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया से बीएचपी, जर्मनी से एसएमएस, यूनाइटेड किंगडम से प्राइमेटल टेक्नोलॉजीज, बेल्जियम से जॉन कॉकरिल इंडिया लिमिटेड, चेन्नई की राम चरण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, आईआईटी, बॉम्बे के कार्बन कैप्चर और उपयोग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र और ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसे प्रतिष्ठित टेक्नोलॉजी प्रदाताओं के साथ साझेदारी कर रहे हैं।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि भारत और जापान ने स्टील क्षेत्र में सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की, जिसमें आर्थिक रुझानों, उद्योग के विकास और दोनों देशों को प्रभावित करने वाली वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

बातचीत में भारत और जापान में स्टील उद्योग की वर्तमान स्थिति, भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों, कुछ देशों द्वारा किए जा रहे अधिक उत्पादन के प्रभाव और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर सहयोग को लेकर भी चर्चा की गई।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच स्टील उद्योग में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय स्टील मंत्रालय और जापान की इकोनॉमी, ट्रेड और इंडस्ट्री मंत्रालय (एमईटीआई) के बीच पहले से ही एक सहयोग ज्ञापन मौजूद है। हालांकि, स्टील क्षेत्र के विनियमन मुक्त होने के कारण, स्टील कंपनियां सरकार की भागीदारी के बिना वाणिज्यिक हित के आधार पर निवेश के फैसले लेती हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/सीबीटी

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