निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन पूरे 24 घंटे तक न पानी पीना होता है और न ही खाना। लोग इसे भगवान विष्णु की भक्ति और पुण्य प्राप्ति के लिए करते हैं। लेकिन कई लोग इस पवित्र दिन कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके स्वास्थ्य या धार्मिक आस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। उनमें से एक है निर्जला एकादशी के दिन बाल धोना।
निर्जला एकादशी पर बाल धोने से क्यों बचना चाहिए?
1. धार्मिक मान्यता:
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत कठोर और संयमित होता है। इस दिन व्यक्ति को पूरी तरह से पवित्र रहना होता है। बाल धोना या शरीर को अधिक बार नहलाना व्रत के नियमों के खिलाफ माना जाता है क्योंकि इससे शरीर पर पानी का प्रभाव पड़ता है, जो व्रत के नियमों से मेल नहीं खाता।
2. स्वास्थ्य की वजह:
निर्जला एकादशी के दिन शरीर में पानी की कमी होती है क्योंकि पूरे दिन पानी नहीं पीया जाता। ऐसे में बाल धोना या नहाना शरीर को ठंडक पहुंचा सकता है, जिससे ठंड लगने या सर्दी-जुकाम होने का खतरा बढ़ जाता है। खासकर ठंडे मौसम में यह और भी ज्यादा जोखिम भरा होता है।
3. शरीर पर प्रभाव:
शरीर को इस दिन ऊर्जा और शक्ति की जरूरत होती है क्योंकि व्रत के दौरान कोई पोषण या पानी नहीं लिया जाता। बाल धोने से शरीर कमजोर पड़ सकता है, जिससे कमजोरी या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
क्या करें और क्या न करें?
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निर्जला एकादशी के दिन बाल धोने से बचें। यदि बाल गंदे लग रहे हों तो हल्के गीले कपड़े से सिर साफ कर सकते हैं, लेकिन पूरी तरह बाल धोना उचित नहीं होगा।
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इस दिन ध्यान, पूजा, व्रत पालन और शांति बनाए रखना बेहतर होता है।
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अगर बाल धोना बहुत जरूरी हो तो निर्जला एकादशी से पहले या बाद के दिन ही करें।
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शरीर को गरम और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आराम करें और व्रत के नियमों का पालन पूरी श्रद्धा से करें।
निष्कर्ष
निर्जला एकादशी के दिन बाल धोना न केवल धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह सही नहीं है। इसलिए इस पवित्र दिन बाल धोने से बचें और व्रत को सफल और पुण्यकारी बनाने के लिए अपने आचार-व्यवहार पर विशेष ध्यान दें।