भारत की जनसंख्या 140 करोड़ से अधिक है। लेकिन आज भी भारत के कुछ करोड़ लोग ही आयकर देते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 8.09 करोड़ थी। इनमें से 4.5 करोड़ लोगों ने शून्य कर योग्य आय घोषित की थी। यानि अगर देखा जाए तो सिर्फ 3.19 करोड़ लोगों ने ही आयकर का भुगतान किया।हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने बजट पूर्व ज्ञापन में केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि विवाहित जोड़ों को संयुक्त रूप से आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने यानी संयुक्त कराधान की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो पति-पत्नी दोनों एक साथ टैक्स रिटर्न दाखिल करके काफी पैसा बचा सकते हैं। आइये हम आपको बताते हैं। इस संबंध में क्या नियम हैं?
भारतीय आयकर अधिनियम के तहत जब कोई भी नागरिक कर का भुगतान करता है। अतः व्यक्तिगत करदाता का नियम उस पर लागू होता है। अर्थात् प्रत्येक नागरिक अपनी आय के अनुसार कटौती और कर का भुगतान करता है। आयकर रिटर्न का मूल्यांकन व्यक्तिगत आधार पर किया जाता है। यदि पति और पत्नी दोनों कर भुगतान के दायरे में आते हैं। इसलिए दोनों अलग-अलग आयकर रिटर्न दाखिल करेंगे। यानी फिलहाल भारत में एक साथ आयकर रिटर्न दाखिल करना संभव नहीं है। लेकिन आपको बता दें कि अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में संयुक्त कराधान प्रणाली काम कर रही है। इससे पति-पत्नी को बहुत लाभ होता है।
संयुक्त कराधान में पति और पत्नी दोनों मिलकर आयकर दाखिल करते हैं। इसमें अलग-अलग जानकारी देने की आवश्यकता न है। अलग-अलग कटौतियों के बारे में बताने की कोई आवश्यकता नहीं है। संयुक्त कराधान से उन विवाहित लोगों को सबसे अधिक लाभ होता है जिनमें एक व्यक्ति की आय दूसरे की तुलना में बहुत अधिक होती है।संयुक्त कराधान, कार्य और अतिरिक्त आय दोनों को मिलाकर, उच्च आय वाले पति या पत्नी की कर देयता को कम करता है। फिर दोनों की आय को जोड़कर औसत आय तय की जाती है। और उसके आधार पर आयकर रिटर्न तैयार किया जाता है। जिससे उन्हें समग्र रूप से लाभ मिलता है।