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क्या कुंवारी लड़कियां निर्जला एकादशी का व्रत कर सकती हैं, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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कुंवारी लड़कियां निर्जला एकादशी का व्रत कर सकती हैं या नहीं, यह सवाल अक्सर धार्मिक आस्था और स्वास्थ्य की दृष्टि से पूछा जाता है। निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष व्रत होता है, जिसमें पूरे दिन और रात जल तक नहीं पीया जाता है। इसे भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और इसे करने से विशेष पुण्य मिलता है।

क्या हैं निर्जला एकादशी के नियम?

  • निर्जला एकादशी पर व्रती व्यक्ति पूरे 24 घंटे तक पानी सहित किसी भी प्रकार का जल ग्रहण नहीं करता।

  • यह व्रत सबसे कठोर व्रतों में गिना जाता है क्योंकि इसमें भोजन और पानी दोनों से परहेज होता है।

  • इसका मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि और भगवान विष्णु की भक्ति है।

कुंवारी लड़कियों के लिए क्या है सलाह?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंवारी लड़कियां भी निर्जला एकादशी का व्रत कर सकती हैं, क्योंकि यह व्रत पूजा और भक्ति से जुड़ा होता है। हालांकि, व्रत के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। विशेषज्ञों और पंडितों के अनुसार:

  • यदि लड़की का स्वास्थ्य अच्छा है और वह बिना किसी परेशानी के निर्जला एकादशी का व्रत कर सकती है, तो उसे इस व्रत को करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

  • यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जैसे कि कमजोरी, रक्ताल्पता, मधुमेह या कोई दूसरी गंभीर बीमारी, तो निर्जला एकादशी का कठोर व्रत न करने की सलाह दी जाती है।

  • खासकर किशोरावस्था में जहां शरीर विकासशील होता है, वहां शरीर की जरूरतों को समझते हुए व्रत का पालन करना चाहिए।

  • कई बार माता-पिता या गुरु से परामर्श लेकर ही व्रत करना बेहतर होता है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

धार्मिक विशेषज्ञ और आयुर्वेदाचार्य दोनों यह सुझाव देते हैं कि व्रत करते समय अपने शरीर की सुननी चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत करने से यदि शरीर में कमजोरी या चक्कर आने लगे, तो तुरंत व्रत तोड़ लेना चाहिए।

कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक भी मानते हैं कि अगर पूरी तरह निर्जला व्रत कठिन लगे तो उपवास के नियमों में थोड़ी लचीलेपन के साथ फलाहार या सुपाच्य चीजें खाई जा सकती हैं, लेकिन यह धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार व्रत के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।

निष्कर्ष

कुंवारी लड़कियां निर्जला एकादशी का व्रत कर सकती हैं, परन्तु यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक हो और वे इस कठोर व्रत को बिना किसी दिक्कत के पूरा कर सकें। स्वास्थ्य की दृष्टि से असुविधा होने पर व्रत में नरमी बरतना या व्रत का विकल्प चुनना बेहतर होता है।

यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहती हैं, तो अपने परिवार के बड़े बुजुर्ग या धार्मिक गुरु से सलाह अवश्य लें और स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर से परामर्श करें। इस प्रकार व्रत का धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से सही पालन हो सकेगा।

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