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क्या है मानसरोवर के पास स्थित राक्षस ताल का रहस्य, क्यों है इसके पास जाने की मनाही?

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हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और इसके आध्यात्मिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता। कैलाश पर्वत के आसपास की जगहों में मानसरोवर झील के साथ ही एक रहस्यमयी झील है, जिसे राक्षस ताल के नाम से जाना जाता है। यह झील अपने विषैले पानी और रहस्यों की वजह से न केवल धार्मिक मान्यताओं में बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली बनी हुई है। आज हम आपको राक्षस ताल से जुड़ी कुछ खास जानकारियां और पौराणिक मान्यताएं बताएंगे।

राक्षस ताल का परिचय

राक्षस ताल कैलाश पर्वत के नजदीक स्थित है और इसे ‘शैतान की झील’ के नाम से भी जाना जाता है। यह झील आकार में अर्धचंद्राकार है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार, यह अंधकार का प्रतीक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, राक्षस ताल वह स्थान है जहां रावण ने तपस्या की थी। इस कारण इसे राक्षस ताल कहा जाता है, क्योंकि माना जाता है कि रावण के प्रभाव से यह झील आसुरी शक्तियों से भर गई थी।

धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि रावण ने इसी झील में स्नान कर भगवान शिव की तपस्या शुरू की थी। रावण की इस तपस्या के कारण ही झील की जलवायु विषैली और खतरनाक हो गई। तिब्बती लोग इस झील को ‘लांगगर चो’ या ‘ल्हानाग त्सो’ कहते हैं और इसे ‘जहर की काली झील’ भी कहा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इससे दूर रहते हैं और झील के आसपास जाने से परहेज करते हैं।

राक्षस ताल के विषैले पानी का रहस्य

राक्षस ताल का पानी अत्यंत खारा और विषैला है। वैज्ञानिकों ने भी आज तक यह नहीं समझ पाया है कि इस झील के पानी में इतनी विषमता क्यों है। इस झील में मछलियां नहीं पाई जातीं और इसके आसपास वनस्पतियां भी नहीं उगतीं, जबकि पास ही स्थित मानसरोवर झील मछलियों और वनस्पतियों से भरी होती है।

मान्यता है कि राक्षस ताल में स्नान करने वाला व्यक्ति गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है, यहां तक कि उसकी मृत्यु भी हो सकती है। झील का पानी पीना भी सख्त मना है। इन कारणों से चीन सरकार ने राक्षस ताल के आसपास बाउंड्री बना रखी है ताकि कोई अनजाने में इसके खतरों का सामना न करे।

नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र

अनेक यात्रियों ने राक्षस ताल के निकट जाने के बाद नकारात्मक ऊर्जा और अजीबोगरीब अनुभवों की बात कही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस झील में असुरों का वास है और इसे अशुद्धता और अंधकार का प्रतीक माना जाता है। यहां के वातावरण में एक रहस्यमयी भयावहता और अनजानी शक्ति का प्रभाव महसूस किया जाता है, जो इसे और भी अधिक रहस्यमयी बनाता है।

निष्कर्ष

राक्षस ताल केवल एक झील नहीं बल्कि एक रहस्यमयी स्थल है जो धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अनगिनत सवाल खड़े करता है। कैलाश पर्वत के आसपास की इस विषैली झील ने अपनी अनूठी पहचान बनाई है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए एक चेतावनी और रहस्य दोनों है।

यदि आप मानसरोवर की पवित्रता का अनुभव करना चाहते हैं तो राक्षस ताल के पास जाने से बचना चाहिए क्योंकि यहां की नकारात्मक ऊर्जा और विषैली जल प्रकृति के नियमों से परे प्रतीत होती है। राक्षस ताल की यह रहस्यमयी कहानी आज भी विज्ञान और धर्म के बीच एक पुल बनाती है, जो हमें प्रकृति और आध्यात्मिकता के गूढ़ रहस्यों की ओर ले जाती है।

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