क्रिकेट न्यूज़ डेस्क।भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टी 20 मैच को 15 रनों से जीतने में सफल तो रही, लेकिन कनकशन सब्स्टीट्यूट नियम को लेकर विवाद खड़ा हो गया। मुकाबले में इस नियम से भारत को फायदा हुआ, जिस पर इंग्लैंड ने सवाल खड़े किए हैं। हम यहां बता रहे हैं कि कनकशन सब्स्टीट्यूट नियम आखिर क्या है ? सबसे पहले आपको बताते हैं कि मैच में आखिर हुआ क्या। बता दें कि भारतीय पारी के आखिरी ओवर में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेमी ओवरटन की गेंद बल्लेबाज शिवम दुबे के हेलमेट में लगी।
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हेल्मेट में गेंद लगते ही टीम इंडिया के फिजियो मैदान पर आए और उन्होंने दुबे की जांच की। उन्होंने देखा कि क्या दुबे फिट हैं और आगे खेलना जारी रख सकते हैं। पारी की दो गेंद ही शेष थीं और ऐसे में शिवम दुबे ने आगे खेलना जारी रखाा।इसके बाद जब फील्डिंग के लिए भारतीय टीम उतरी तो हर्षित राणा शिवम दुबे के कनकशन सब्सीट्यूट के रूप में खेलने उतरे। बीसीसीआई ने भी इसकी जानकारी दी। इस दौरान हर्षित राणा ने मैच में गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट झटककर भारत को जीत दिलाने में योगदान दिया।
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यहां सवाल यह है कि हर्षित राणा शिवम दुबे के आदर्श सब्स्टीट्यूट नहीं थे क्योंकि शिवम दुबे पार्ट टाइम गेंदबाज हैं। अब आपको बताते हैं कि Concussion Substitute नियम आखिर है क्या ? असल में आमतौर पर सिर में लगाने वाली ऐसी चोट या किसी भी तरह की टक्कर को कनकशन कहा जाता है जिसका असर दिमाग पर पड़ता है। क्रिकेट में अक्सर देखा जाता है कि गेंद कई बार बल्लेबाज या फील्डर के सिर पर लग जाती है और कभी खिलाड़ी आपस में टकरा जाते हैं।
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कनकशन के मामले में खिलाड़ी की जांच मेडिकल टीम से की जाती है और अगर वह आगे खेलने की स्थिति में नहीं होता है तो फिर उसका सब्स्टीट्यूट उतारा जाता है। इस नियम के साथ आईसीसी ने सबसे अहम शर्त रखी है कि सब्स्टीट्यूट ‘लाइक फॉर लाइक’ होना चाहिए, यानि जिस खिलाड़ी को चोट लगी है, वैसे ही खिलाड़ी को शामिल करना होगा।क्रिकेट में पहले कनकशन को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी लेकिन 2013 में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिल ह्यूज की गेंद लगने से हुई मौत के बाद इसे लेकर गंभीरता से लिया गया और आखिरकार 2019 में आईसीसी ने इस नियम को लागू कर दिया ।