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क्या हो जब प्रेम ही बन जाये ज़हर ? इस वायरल डॉक्यूमेंट्री में विस्तार से जाने कैसे ये आपके मानसिक स्वास्थ्य पर डालता है असर

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प्यार एक खूबसूरत एहसास है, जो जीवन को संपूर्णता देता है। लेकिन जब उसी प्यार में दरार आने लगती है, तकरारें बढ़ जाती हैं, और संवाद टूटने लगता है — तब यही रिश्ता मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती बन सकता है। बीते कुछ वर्षों में मनोवैज्ञानिक अध्ययनों और सामाजिक शोधों ने यह स्पष्ट किया है कि प्रेम संबंधों में तनाव, झगड़े और ब्रेकअप मानसिक स्वास्थ्य को गहरे स्तर पर प्रभावित करते हैं।

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जब प्यार में दरार आती है…
शुरुआत में जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तब सब कुछ खुशनुमा लगता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, अगर अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं या संवाद में कमी आती है, तो वही रिश्ता बोझ बन सकता है। रिश्ते में हुई अनबन न केवल भावनात्मक पीड़ा देती है, बल्कि यह व्यक्ति के सोचने, समझने और काम करने की क्षमता को भी प्रभावित करने लगती है।विशेषज्ञ मानते हैं कि रिलेशनशिप में लगातार तनाव, तकरार और विश्वास की कमी से व्यक्ति को एंजायटी (Anxiety), डिप्रेशन (Depression), और इमोशनल बर्नआउट (Emotional Burnout) जैसी समस्याएं घेर सकती हैं। खासकर अगर वह व्यक्ति इमोशनली डिपेंडेंट हो, तो ब्रेकअप या लगातार झगड़े उसे मानसिक रूप से टूटने की कगार पर ले जा सकते हैं।

कैसे होती है मेंटल हेल्थ पर असर?
अनबन से आत्म-सम्मान पर असर: जब कोई बार-बार रिश्ते में आलोचना, उपेक्षा या तिरस्कार झेलता है, तो उसका आत्म-सम्मान गिरने लगता है। वह खुद को कमतर समझने लगता है और ‘मैं ठीक नहीं हूं’, ‘मुझमें ही कमी है’ जैसे विचार आने लगते हैं।

नींद और भूख में बदलाव: जब मन अशांत होता है, तब इसका असर शरीर पर भी होता है। कई लोग तनाव में भूख खो देते हैं, जबकि कुछ लोग ओवरईटिंग करने लगते हैं। इसी तरह नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

सामाजिक अलगाव (Social Withdrawal): एक टॉक्सिक रिलेशनशिप या ब्रेकअप के बाद कई लोग खुद को समाज से अलग कर लेते हैं। वे दोस्तों से मिलना छोड़ देते हैं, परिवार से बात करना कम कर देते हैं और अकेलेपन में डूब जाते हैं।

नकारात्मक सोच का बढ़ना: लगातार तकरार और भावनात्मक अस्थिरता व्यक्ति को नेगेटिव सोच की ओर धकेल सकती है। जीवन की हर चीज निराशाजनक लगने लगती है और आत्मघाती विचार तक आने लगते हैं।

कैसे संभालें रिश्ते की अनबन से उपजे मानसिक तनाव को?
खुलकर संवाद करें (Open Communication
): किसी भी रिश्ते में समस्याओं का समाधान संवाद से ही निकलता है। जब आप अपने पार्टनर से खुलकर बात करते हैं, तो गलतफहमियां कम होती हैं।

सीमाएं तय करें (Set Boundaries): प्यार में अपनी पहचान को खो देना सही नहीं है। यह ज़रूरी है कि दोनों अपने व्यक्तिगत स्पेस और भावनाओं का सम्मान करें।

पेशेवर मदद लें (Seek Therapy): जब तनाव बढ़ने लगे और आप खुद को संभाल न पाएं, तो किसी साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर की मदद लेना बिल्कुल सामान्य बात है।

खुद से जुड़ें (Reconnect with Yourself): रिश्ते से बाहर आने या अनबन के समय खुद को समय दें। अपनी पसंद की चीजें करें, दोस्तों के साथ समय बिताएं और आत्मनिरीक्षण करें।

रिश्ते में रहकर भी खुद से प्यार ज़रूरी
हम अक्सर प्यार में इतना खो जाते हैं कि खुद को ही भूल जाते हैं। लेकिन अगर कोई रिश्ता बार-बार दर्द दे रहा है, आपको मानसिक रूप से तोड़ रहा है, तो उससे बाहर निकलना या दूरी बनाना भी एक हेल्दी निर्णय होता है। खुद से प्रेम करना, खुद की भावनाओं की कद्र करना ही पहला कदम है मेंटल हेल्थ को ठीक रखने का।

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