अहंकार को शास्त्रों में मानव का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। यह न केवल रिश्तों को तोड़ता है बल्कि मनुष्य को भीतर से इतना खाली कर देता है कि उसके पास सब कुछ होने के बावजूद वह अकेला महसूस करता है। अहंकार धीरे-धीरे इंसान के जीवन को इस तरह प्रभावित करता है कि वह समाज, परिवार और मित्र मंडली से कटने लगता है।
अहंकार का पहला प्रभाव – रिश्तों में दरार
मनुष्य जब अहंकार में डूब जाता है, तो उसे लगता है कि वही श्रेष्ठ है और बाकी सब उससे छोटे हैं। यही सोच सबसे पहले रिश्तों में दूरी लाती है। परिवार के सदस्य, मित्र और सहयोगी धीरे-धीरे ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाने लगते हैं। क्योंकि कोई भी इंसान हर समय खुद को नीचा दिखाए जाने या अपमानित होने की स्थिति में रहना पसंद नहीं करता। अहंकारी व्यक्ति के लिए दूसरों की भावनाओं का कोई महत्व नहीं रह जाता, और यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है।
सामाजिक जीवन में अलगाव
अहंकारी इंसान का सामाजिक जीवन भी प्रभावित होता है। ऐसे लोग दूसरों से बातचीत करने में सम्मानजनक भाषा का प्रयोग नहीं करते। समाज में उनका व्यवहार रूखा और कठोर माना जाने लगता है। धीरे-धीरे लोग ऐसे व्यक्ति से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं। जहां दूसरों के पास मित्र, सहयोगी और शुभचिंतक होते हैं, वहीं अहंकारी व्यक्ति खुद को अकेला पाता है। यह अकेलापन उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है।
कार्यक्षेत्र में नुकसान
कामकाजी जीवन में भी अहंकार किसी के करियर की राह में बाधा बन जाता है। एक नेता, अधिकारी या कर्मचारी अगर हमेशा अपने अहंकार में जीता है, तो उसकी टीम उससे खुश नहीं रह सकती। कार्यस्थल पर सहयोग की कमी और सहकर्मियों के साथ बिगड़ते रिश्ते व्यक्ति को धीरे-धीरे अलग-थलग कर देते हैं। यहां तक कि प्रतिभा और मेहनत के बावजूद अहंकारी स्वभाव इंसान को सफलता की ऊंचाई तक नहीं पहुंचने देता।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अहंकार
शास्त्रों और पुराणों में भी अहंकार को विनाश का कारण बताया गया है। रावण, कौरव और हिरण्यकशिपु जैसे पात्र इसके उदाहरण हैं। अहंकार ने न केवल उनके जीवन को नष्ट किया, बल्कि उनके परिवार और समाज को भी विनाश की ओर धकेल दिया। आध्यात्मिक दृष्टि से अहंकार मनुष्य को ईश्वर से भी दूर कर देता है। जब व्यक्ति अहंकार में रहता है, तो वह प्रार्थना, भक्ति और साधना की वास्तविक शक्ति को नहीं समझ पाता।
मानसिक और भावनात्मक असर
अहंकार का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि यह मनुष्य को भीतर से तोड़ देता है। उसे लगता है कि वह सबसे बड़ा है, लेकिन भीतर से वह खाली और असुरक्षित महसूस करता है। समय के साथ जब उसके आसपास के लोग उससे दूर हो जाते हैं, तो वह अकेलापन और भी गहरा हो जाता है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि अहंकार व्यक्ति को अवसाद और तनाव की ओर ले जाता है।
समाधान – विनम्रता और आत्मचिंतन
अहंकार से बचने का सबसे अच्छा उपाय है विनम्रता। जब इंसान खुद को दूसरों से ऊपर नहीं बल्कि बराबर या उनसे सीखने योग्य समझता है, तभी रिश्ते मजबूत होते हैं। आत्मचिंतन से अहंकार पर काबू पाया जा सकता है। यदि व्यक्ति समय-समय पर यह सोचे कि उसका अस्तित्व समाज और परिवार के सहयोग से ही है, तो वह कभी अकेला नहीं पड़ेगा।