आज के दौर में रिश्ते जितनी तेजी से बनते हैं, उतनी ही तेजी से टूट भी जाते हैं। पहले जहां एक रिश्ता निभाने के लिए लोग समझौते, धैर्य और आपसी सम्मान को महत्व देते थे, वहीं आज की तेज़ रफ्तार और डिजिटल ज़िंदगी में रिश्ते टिकाना एक चुनौती बनता जा रहा है। लोग अब पहले की तुलना में ज्यादा ‘स्मार्ट’ हो गए हैं, लेकिन क्या हम भावनात्मक रूप से भी उतने ही समझदार हैं?रिश्ते टूटने का दोष लड़कों पर मढ़ा जाए या लड़कियों पर, ये बहस तो लंबी है। लेकिन सच ये है कि आज के मॉडर्न रिलेशनशिप में दोनों ही पक्षों की जिम्मेदारियां और कमज़ोरियां हैं, जो इन बिखरते रिश्तों की वजह बनती हैं।
1. कम्युनिकेशन गैप: सबसे बड़ा कारण
सबसे आम वजहों में से एक है – बात ना करना या गलतफहमी पाल लेना। पहले के समय में लोग बात करके रिश्तों को सुलझाते थे, आज चैट, स्टेटस और इंस्टाग्राम पोस्ट से ही सब तय हो जाता है। जब सही बात समय पर नहीं होती, तो रिश्ता धीरे-धीरे ख़त्म होने लगता है।
2. अति-स्वतंत्रता और ‘मेरे लिए मैं’ वाला रवैया
आजकल लड़के और लड़कियां दोनों ही अपने करियर और निजी स्पेस को प्राथमिकता देते हैं, जो एक हद तक अच्छा भी है। लेकिन जब ‘मैं’ का दायरा इतना बड़ा हो जाता है कि ‘हम’ की कोई जगह नहीं बचती, तो रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। समझौते की भावना का अभाव रिश्ते को खोखला बना देता है।
3. सोशल मीडिया का दखल
जहां पहले के ज़माने में प्यार चिट्ठियों में होता था, आज वो इंस्टा-स्टोरी और रिलेशनशिप स्टेटस तक सिमट गया है। रिश्ते अब ‘ऑनलाइन’ एक्सेप्टेंस के मोहताज हो गए हैं। यदि कोई स्टोरी में पार्टनर को टैग नहीं करता, तो झगड़ा शुरू। इसी तरह, दूसरे लड़के या लड़की की तस्वीर पर लाइक करना भी शक का कारण बन जाता है।
4. ईगो और आत्मसम्मान में फर्क नहीं समझना
मॉडर्न रिलेशनशिप में ‘ईगो’ सबसे बड़ा विलेन बन गया है। माफ़ी मांगना अब ‘कमज़ोरी’ समझा जाता है, जबकि ये रिश्तों की मजबूती का आधार होता है। लड़के हों या लड़कियां, दोनों ही कई बार अपने अहम के कारण छोटी-छोटी बातें तूल पकड़ने देते हैं।
5. एक्सपेक्टेशन्स की अति
आज के रिश्तों में उम्मीदें बहुत ज्यादा हो गई हैं – महंगे गिफ्ट्स, रोमांटिक डेट्स, हर समय केयर और अटेंशन… और जब ये सब नहीं मिलता, तो लोग सोचते हैं कि शायद ये रिश्ता ‘सही’ नहीं है। लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि प्यार दिखाने के भी अलग-अलग तरीके होते हैं।
6. बोरियत और नएपन की चाह
रिश्तों में स्थायित्व की जगह अब एक्साइटमेंट ने ले ली है। जैसे ही किसी रिश्ते में ‘नयापन’ खत्म होता है, लोग ऊबने लगते हैं और नया साथी तलाशने लगते हैं। ये आदत खासकर सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स के चलते और भी आम हो गई है, जहां विकल्पों की भरमार है।
7. विश्वास की कमी और अधिक शक
आज के रिलेशनशिप में विश्वास की जगह शक ने ले ली है। हर फोन कॉल, हर मैसेज पर सवाल उठना अब आम बात हो गई है। ये अति-सतर्कता धीरे-धीरे विश्वास की नींव को हिला देती है।
8. करियर और रिश्तों में संतुलन न बना पाना
लड़कों पर करियर की ज़िम्मेदारी ज्यादा होती है, तो लड़कियां भी आजकल आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। ऐसे में समय की कमी और आपसी प्राथमिकताओं की असंतुलन भी रिश्तों में खटास पैदा करता है। कोई एक समझौता नहीं करना चाहता, और रिश्ता तनावपूर्ण हो जाता है।
9. फिजिकल अट्रैक्शन को प्यार समझ लेना
मॉडर्न रिश्तों में अक्सर लोग आकर्षण को ही प्यार मान लेते हैं। जब ये आकर्षण खत्म होता है, तो लगता है कि अब प्यार भी खत्म हो गया। जबकि सच्चा प्यार समय, परिपक्वता और भावनात्मक गहराई से बनता है।
10. समझ की नहीं, सिर्फ उम्मीद की कमी
रिश्ते निभाने के लिए सिर्फ एक-दूसरे से उम्मीद करना काफी नहीं है। उसके लिए जरूरी है समझ, संवेदना और धैर्य। आजकल लोग केवल अपनी बात समझाना चाहते हैं, दूसरे की बात सुनने का धैर्य कम होता जा रहा है।