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क्यों महिलाएं होती हैं जल्दी भावुक? वायरल वीडियो में जाने स्त्रियों के मन का मनोविज्ञान और पुरुषों को इससे क्या है लाभ ?

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समाज में अक्सर यह धारणा देखने को मिलती है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा इमोशनल होती हैं। यह बात कई बार तंज़ के रूप में कही जाती है, लेकिन अगर गहराई से समझा जाए तो महिलाओं का भावुक स्वभाव उनकी कमजोरी नहीं, बल्कि एक मजबूत सामाजिक और पारिवारिक स्तंभ होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाएं आखिर ज्यादा इमोशनल क्यों होती हैं, इसके पीछे क्या हैं वैज्ञानिक और सामाजिक कारण, और इससे पुरुषों को कैसे मिलता है लाभ?


भावनात्मकता का जैविक आधार

विज्ञान कहता है कि महिलाओं की भावनात्मक प्रकृति के पीछे उनका हार्मोनल सिस्टम एक अहम भूमिका निभाता है। महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और ऑक्सिटोसिन जैसे हार्मोन ज्यादा सक्रिय रहते हैं, जो सहानुभूति, देखभाल और जुड़ाव जैसी भावनाओं को बढ़ाते हैं। ऑक्सिटोसिन को ‘लव हार्मोन’ या ‘बॉन्डिंग हार्मोन’ भी कहा जाता है, जो खासकर मातृत्व और रिश्तों को मजबूत करने में मदद करता है। यही वजह है कि महिलाएं न सिर्फ जल्दी भावुक हो जाती हैं, बल्कि दूसरों की भावनाओं को भी बेहतर ढंग से समझती हैं।

सामाजिक परवरिश और संस्कार
भारत जैसे पारंपरिक समाजों में लड़कियों को बचपन से ही ‘संवेदनशील’, ‘कोमल’ और ‘दूसरों की फिक्र करने वाली’ के रूप में तैयार किया जाता है। उन्हें यह सिखाया जाता है कि रोना कमजोरी नहीं, बल्कि भावना की अभिव्यक्ति है। वहीं, लड़कों को भावनाओं को दबाने और ‘मर्द बनने’ की सीख दी जाती है। इस सामाजिक ढांचे का भी महिलाओं की भावनात्मकता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

इमोशनल इंटेलिजेंस में महिलाएं आगे
एक ओर जहां महिलाएं जल्दी भावुक हो जाती हैं, वहीं उनका इमोशनल इंटेलिजेंस (EQ) भी अधिक होता है। कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि महिलाएं भावनाओं को न केवल जल्दी महसूस करती हैं, बल्कि उन्हें संभालने, व्यक्त करने और दूसरों की भावनाओं को समझने में भी माहिर होती हैं। यही वजह है कि वे अपने बच्चों, परिवार और रिश्तों को अधिक बेहतर तरीके से संभाल पाती हैं।

पुरुषों को कैसे होता है इससे फायदा?
महिलाओं की यह इमोशनल सेंसिटिविटी पुरुषों के लिए कई स्तरों पर फायदेमंद होती है:
रिश्तों में गहराई: महिलाएं रिश्तों में संवाद और भावना का महत्व समझती हैं, जिससे वैवाहिक या प्रेम संबंध अधिक मजबूत और सहनशील बनते हैं।
सहयोग और सहानुभूति: जब पुरुष जीवन की कठिन परिस्थितियों से गुजरते हैं, तो महिलाएं उनके लिए भावनात्मक सहारा बनती हैं, बिना किसी निर्णय के।
घर का माहौल: महिलाओं की भावनात्मक समझ परिवार में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। उनके कारण बच्चे सुरक्षित और समझदार माहौल में पलते हैं।
सामाजिक दायरा: महिलाएं रिश्ते निभाने में अधिक सक्रिय होती हैं, जिससे पुरुषों का सामाजिक दायरा भी मजबूत होता है।

भावुकता कोई कमजोरी नहीं
अक्सर इमोशनल होने को कमजोरी समझ लिया जाता है, जबकि यह मानवीय जुड़ाव की सबसे खूबसूरत विशेषता है। जब एक महिला अपने पति, बच्चे, माता-पिता या दोस्तों के लिए भावुक होती है, तो वह केवल भावनाएं नहीं दिखा रही होती — वह जुड़ाव, सुरक्षा और अपनापन दे रही होती है। और यही बात पुरुषों के लिए सबसे बड़ा फायदा है — उन्हें एक ऐसा साथी मिलता है, जो उनके मन की थकान को समझ सकता है।

बदलते दौर में समझदारी जरूरी
हालांकि, बदलते समय में यह भी जरूरी है कि महिलाएं अपनी भावनाओं के साथ संतुलन बनाना सीखें। जरूरत से ज्यादा भावुकता कभी-कभी आत्मसम्मान या निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। वहीं, पुरुषों को भी यह समझने की ज़रूरत है कि महिला की भावनात्मकता को ‘कमजोरी’ के रूप में नहीं, बल्कि एक ‘सपोर्ट सिस्टम’ के रूप में देखा जाए।

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