त्योहारों के बाद अब शादियों का सीजन शुरू हो गया है। इस दौरान लोग सोने के आभूषण खरीदते हैं। सोने के आभूषण खरीदते समय वस्तु पर हॉलमार्किंग वाला बिल भी मांगना चाहिए। यह जांचना चाहिए कि दुकानदार द्वारा दिए गए बिल में महत्वपूर्ण जानकारी हो।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) सोने की शुद्धता और बिलिंग जैसे अन्य नियम बनाता है। बीआईएस के मुताबिक, केवल हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही खरीदनी चाहिए और दुकानदार से इसका प्रामाणिक बिल लेना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आपको आभूषण खरीदते समय कोई समस्या या शिकायत है तो रसीद का होना बहुत जरूरी है।
बीआईएस के नियमों के मुताबिक, खरीदी गई ज्वेलरी की रसीद में हॉलमार्क ज्वेलरी की जानकारी होनी चाहिए। रसीद में गहनों की संख्या, उनके विभिन्न कारण और कैरेट की जानकारी के साथ-साथ हॉलमार्क की जानकारी भी होनी चाहिए।
आभूषण बिल में वस्तु का नाम, उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने एक अंगूठी खरीदी, अंगूठी क्या है, इसका वजन, शुद्धता, जैसे यह 22 कैरेट, 18 कैरेट है आदि। इसमें सोने की मौजूदा कीमत, मेकिंग चार्ज, हॉलमार्क चार्ज और जीएसटी शामिल होना चाहिए।
अगर सोने के आभूषण में अलग से पत्थर या कोई अन्य वस्तु लगी है तो इसकी जानकारी दुकानदार के बिल में देनी होगी। कौन से और कितने पत्थरों का उपयोग किया जाता है और उनका वजन कितना है।
अगर आप सोने की शुद्धता को लेकर संदेह में हैं तो बीआईएस इसकी शुद्धता जांचने की सुविधा भी देता है। इसे किसी भी बीआईएस समर्थित असाइनमेंट और हॉलमार्किंग सेंटर (ए एंड एच सेंटर) पर जाकर जांचा जा सकता है। इसके लिए आपको टेस्टिंग चार्ज देना होगा.