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खुद पर यकीन फिर से पाना है तो सबसे पहले बदलें अपनी चाल-ढाल, वीडियो में जानिए कैसे बॉडी लैंग्वेज से लौट सकता है आत्मविश्वास

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क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि आप में काबिलियत तो है, लेकिन लोग आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते? क्या इंटरव्यू, मीटिंग या सार्वजनिक बोलचाल में घबराहट महसूस होती है? तो इसका एक बड़ा कारण आपकी बॉडी लैंग्वेज (Body Language) हो सकती है। आत्मविश्वास सिर्फ बोलने से नहीं, आपकी चाल-ढाल, हावभाव और आंखों के संपर्क से भी झलकता है। अगर आप आत्मविश्वास खो चुके हैं या खुद को कमजोर महसूस करते हैं, तो सबसे पहला कदम है — अपनी बॉडी लैंग्वेज को बदलना।

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बॉडी लैंग्वेज क्या है और ये इतनी अहम क्यों है?
बॉडी लैंग्वेज यानी हमारे शरीर की वह भाषा जो हम शब्दों के बिना बोलते हैं। इसमें हमारी मुद्रा (Posture), चेहरे के हाव-भाव, आंखों का संपर्क, हाथों की स्थिति, चाल, बैठने का तरीका आदि शामिल हैं।मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी बातचीत में 55% प्रभाव बॉडी लैंग्वेज का होता है, 38% टोन का और सिर्फ 7% शब्दों का।इसका अर्थ है कि हम क्या बोल रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा अहमियत है कि हम कैसे बोल रहे हैं और खुद को कैसे प्रस्तुत कर रहे हैं।

आत्मविश्वास और बॉडी लैंग्वेज का गहरा संबंध
जब व्यक्ति का आत्मविश्वास डगमगाता है, तो उसका असर सबसे पहले उसकी बॉडी लैंग्वेज पर दिखाई देता है:
वह अक्सर झुका हुआ चलता है
आँखों में आंखें डालकर बात नहीं कर पाता
हाथ-पैरों की हरकतें असंतुलित और घबराई हुई होती हैं
हावभाव में अस्थिरता और बेचैनी रहती है

इसके उलट, जब कोई आत्मविश्वास से भरा होता है तो:
उसकी पीठ सीधी होती है

वह खुलकर मुस्कुराता है
उसकी आवाज़ स्पष्ट और संतुलित होती है
उसका शरीर स्थिर और सहज होता है

कैसे बदलें अपनी बॉडी लैंग्वेज और पाएं खोया आत्मविश्वास?
1. सिर ऊंचा, पीठ सीधी

अपने चलने और बैठने के तरीके पर ध्यान दें। कंधे झुकाकर बैठना या चलना न सिर्फ आत्मविश्वास की कमी दर्शाता है, बल्कि यह आपके मूड को भी प्रभावित करता है। सीधी मुद्रा अपनाने से दिमाग को सकारात्मक सिग्नल मिलता है और आप खुद को मजबूत महसूस करते हैं।

2. आंखों में आंख डालकर बात करें
कई लोग नजरें मिलाने से कतराते हैं, खासकर जब वे नर्वस होते हैं। लेकिन आंखों में आत्मविश्वास से देखना आपके शब्दों को और अधिक प्रभावी बनाता है। यह सामने वाले को यह संदेश देता है कि आप अपने विचारों के प्रति आश्वस्त हैं।

3. हाथों का उपयोग करें, लेकिन संतुलित तरीके से
हाथों को छुपाना या बार-बार उन्हें मसलना घबराहट दिखाता है। जब आप बात करें, तो हाथों की नैचुरल मूवमेंट होने दें। इससे संवाद में ऊर्जा आती है और आप ज़्यादा ओपन दिखाई देते हैं।

4. मुस्कान सबसे बड़ी ताकत
सच्ची मुस्कान आत्मविश्वास का परिचायक होती है। यह तनाव कम करती है, संबंध बेहतर बनाती है और आपके अंदर की ऊर्जा को सामने लाती है। मुस्कुराना खुद को भरोसा दिलाने का सरल लेकिन प्रभावशाली तरीका है।

5. धीरे और स्पष्ट बोलें
तेजी से बोलना, रुक-रुक कर बात करना या बहुत धीमा बोलना आत्मविश्वास की कमी दर्शाता है। अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। सोच-समझकर बोलें और ज़रूरत से ज़्यादा शब्दों का प्रयोग न करें।

6. “पावर पोज़” आज़माएं
मनोवैज्ञानिक एमी कड्डी के अनुसार, पावर पोज़ यानी शरीर को खुला और ऊर्जावान रखने वाली मुद्राएं न केवल सामने वाले को आत्मविश्वास का संकेत देती हैं, बल्कि आपके अंदर भी आत्मबल पैदा करती हैं।
जैसे— दोनों हाथ कमर पर रखकर खड़े होना, दोनों हाथ ऊपर उठाकर स्ट्रेच करना आदि।

बॉडी लैंग्वेज बदलना मतलब सोच बदलना
जब आप अपनी बॉडी लैंग्वेज बदलते हैं, तो आप अपने अंदर के विचारों और भावनाओं को भी बदलते हैं। यह एक तरह से अंदर-बाहर दोनों तरफ से खुद को सशक्त बनाने का तरीका है। शुरुआत में यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन रोज़ाना अभ्यास से यह आपकी आदत बन जाएगी।

समाज की सोच को चुनौती देना भी ज़रूरी
हमारे समाज में कई बार आत्मविश्वास की कमी को “कमजोरी” या “निकृष्टता” समझा जाता है। ऐसे में लोग खुद को और भी ज़्यादा छुपाने लगते हैं। जबकि ज़रूरत इस बात की है कि हम लोगों को बेहतर बनने के मौके दें, बजाय उन्हें जज करने के। बॉडी लैंग्वेज सुधारना सिर्फ दिखावा नहीं, यह खुद को स्वीकारने और उन्नत करने का कदम है।

निष्कर्ष:
अगर आप खुद को बदलना चाहते हैं, तो शब्दों से नहीं बल्कि अपने शरीर की भाषा से शुरुआत करें। आत्मविश्वास कोई जादू नहीं, यह एक अभ्यास का परिणाम है — और आपकी बॉडी लैंग्वेज उसका पहला पड़ाव हो सकती है।तो अगली बार जब आप किसी से मिलें, खुद को खुलकर पेश करें, मुस्कराएं, और सीना तानकर खड़े हों — क्योंकि खोया आत्मविश्वास वापस पाने की पहली कुंजी है: आपका शरीर आपकी ताकत बन जाए।

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