गरुड़ पुराण सनातन धर्म का एक ऐसा महान ग्रंथ है जिसमें जीवन, मृत्यु और कर्म के रहस्यों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसके अधिष्ठाता स्वयं भगवान विष्णु हैं और इसमें वे अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को धर्म, नीति और जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें समझाते हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति और मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार मिलने वाले फलों का भी वर्णन है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गरुड़ ऋषि कश्यप के पुत्र थे और उन्हें भगवान विष्णु का वाहन बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। एक बार पक्षीराज गरुड़ ने भगवान विष्णु से जानना चाहा कि किन कर्मों के कारण मनुष्य अपना सौभाग्य, स्वास्थ्य, ज्ञान और धन खो देता है। आइए जानते हैं कि किन कार्यों को करने से सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन का नाश होता है।
सौभाग्य और वैभव का नाश
माता लक्ष्मी को धन और सौभाग्य की देवी माना जाता है। उन्हें स्वच्छता और सादगी बहुत प्रिय है। जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं, घर और रसोई को साफ-सुथरा नहीं रखते और मुख्य द्वार की अनदेखी करते हैं, उनसे माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। ऐसे घरों में सौभाग्य और समृद्धि धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
ज्ञान की हानि
विद्या और बुद्धि समय-समय पर अभ्यास करने से ही जीवित रहती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अध्ययन और अभ्यास करना छोड़ देता है, तो धीरे-धीरे उसका अर्जित ज्ञान भी क्षीण हो जाता है। जिस ज्ञान को प्राप्त करने में वर्षों की मेहनत लगती है, वह अभ्यास न करने से नष्ट हो सकता है।
स्वास्थ्य का ह्रास
स्वास्थ्य मनुष्य के लिए सबसे बड़ी संपत्ति है। गरुड़ पुराण में सात्विक, सुपाच्य और शाकाहारी भोजन को सर्वोत्तम बताया गया है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से शुद्ध है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसके विपरीत, मांसाहारी, तैलीय और भारी भोजन व्यक्ति को रोगों की चपेट में ले लेता है और धीरे-धीरे स्वास्थ्य को नष्ट कर देता है।
धन की बर्बादी
हर व्यक्ति जीवन भर धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, लेकिन कुछ गलत आदतें भी अर्जित धन को बर्बाद कर सकती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, दान न देना, रात में गंदे बर्तन छोड़ना, अहंकार करना और सूर्यास्त के बाद सोना ऐसी आदतें हैं जो देवी लक्ष्मी को अप्रसन्न करती हैं। परिणामस्वरूप, धन प्राप्त होने के बाद भी व्यक्ति आर्थिक संकट से घिरा रहता है।