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गरुड़ पुराण के अनुसार इन 8 लोगों के घर नहीं टिकती लक्ष्मी माता, 2 मिनट के वीडियो में जानिए कौन सी आदतें कर देती हैं सुख-समृद्धि को दूर

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हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय ग्रंथ माना गया है। यह न केवल मृत्यु के बाद की यात्रा और कर्मफल की व्याख्या करता है, बल्कि जीवन के दौरान किए जाने वाले कार्यों और उनके प्रभावों की भी विस्तृत जानकारी देता है। गरुड़ पुराण में ऐसे कई संकेत और निर्देश दिए गए हैं, जो यह स्पष्ट करते हैं कि कौन से कर्म और प्रवृत्तियाँ व्यक्ति की सुख-समृद्धि को दूर कर देती हैं। यह ग्रंथ बताता है कि कुछ आदतें और स्वभाव ऐसे होते हैं जिनसे ईश्वर की कृपा और अच्छा समय भी व्यक्ति के द्वार से लौट जाता है।आइए जानते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार किन लोगों के घर सुख-समृद्धि और शुभ समय आने से पहले ही लौट जाता है—

” style=”border: 0px; overflow: hidden”” title=”गरुड़ पुराण के अनुसार अच्छा वक्त आने से पहले मिलते हैं ये 8 संकेत। सकारात्मक संकेत | Garud Puran |” width=”695″>
1. अभिमानी और अहंकारी व्यक्ति

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के भीतर अत्यधिक अहंकार होता है, उसके जीवन में लक्ष्मी कभी स्थायी रूप से निवास नहीं करती। ऐसा व्यक्ति अपनी सफलता का श्रेय केवल स्वयं को देता है और दूसरों को तुच्छ समझता है। यह अहंकार न केवल रिश्तों को तोड़ता है, बल्कि भगवान की कृपा को भी दूर कर देता है। अहंकार को विनाश का मूल कहा गया है और यही कारण है कि ऐसे लोगों से अच्छा समय दूर रहता है।

2. माता-पिता और बुजुर्गों का अनादर करने वाले
गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता, गुरु या बुजुर्गों का सम्मान नहीं करता, उसकी समृद्धि धीरे-धीरे छीन ली जाती है। ऐसे लोग चाहे कितनी भी मेहनत कर लें, उनका भाग्य उनका साथ नहीं देता। बुजुर्गों का आशीर्वाद सबसे बड़ा पुण्य माना गया है, और उनका अनादर उस पुण्य को नष्ट कर देता है।

3. धोखेबाज और छल कपट करने वाले
जो व्यक्ति दूसरों को धोखा देता है, झूठ बोलता है और कपट से धन अर्जित करता है, उसे गरुड़ पुराण में पापी कहा गया है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़े समय के लिए सुख-समृद्धि आ सकती है, लेकिन वह स्थायी नहीं रहती। समय के साथ उसके पाप उसे घेर लेते हैं और उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। यह कर्म का सिद्धांत है जो जीवन में हर मोड़ पर लागू होता है।

4. आलसी और निष्क्रिय व्यक्ति
गरुड़ पुराण के अनुसार आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जो लोग मेहनत करने से बचते हैं और केवल भाग्य पर भरोसा करते हैं, उनके पास आने वाला अच्छा समय भी उनके पास रुकता नहीं। आलस्य से केवल समय ही नहीं, अवसर और लक्ष्मी भी हाथ से निकल जाती हैं। कर्मशीलता को इस ग्रंथ में सर्वोपरि बताया गया है।

5. ईर्ष्या और द्वेष से भरे लोग
ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता। गरुड़ पुराण कहता है कि जो लोग दूसरों की सफलता से जलते हैं, उनके अपने जीवन में सफलता नहीं आती। द्वेष और ईर्ष्या मन को अशांत कर देती है और इससे मानसिक शांति के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि भी दूर हो जाती है।

6. अन्याय और अत्याचार करने वाले
जो व्यक्ति दूसरों पर अन्याय करता है, कमजोरों को सताता है या अपने पद या शक्ति का दुरुपयोग करता है, उसके जीवन से सुख-शांति और पुण्य दोनों ही चले जाते हैं। ऐसे लोगों के घर में अकारण कलह, मानसिक अशांति और आर्थिक संकट प्रवेश कर जाते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अन्याय करने वाले व्यक्ति को ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते।

7. अतिथि का अपमान करने वाले
भारतीय परंपरा में अतिथि को ‘भगवान’ का स्थान दिया गया है – “अतिथि देवो भव:”। गरुड़ पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति अपने घर आए अतिथि का सत्कार नहीं करता, या उन्हें तिरस्कार की दृष्टि से देखता है, उसके घर से लक्ष्मी माता स्वयं चली जाती हैं। अतिथि का अपमान सीधे भाग्य का अपमान माना गया है।

8. दान से भागने वाले
जो व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग केवल अपने लिए करता है और कभी किसी जरूरतमंद की मदद नहीं करता, उसके धन में न तो पुण्य जुड़ता है और न ही शांति। गरुड़ पुराण कहता है कि दान से ही धन की पवित्रता और बढ़ोतरी होती है। जो लोग दान नहीं करते, वे दरिद्रता की ओर बढ़ते हैं, भले ही उनके पास अस्थायी रूप से धन हो।

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