हमारे धर्म शास्त्रों में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, कुछ ऐसी आदतें बताई गई हैं, जो व्यक्ति के जीवन का आधार मानी जाती हैं और उसे मिलने वाले शुभ-अशुभ फलों के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं। आज हम गरुड़ पुराण के बारे में बात करने जा रहे हैं। गरुड़ पुराण में ऐसे 9 कामों के बारे में बताया गया है, जिनका अगर किसी परिवार में पालन किया जाए तो वह परिवार पीढ़ियों तक सुखी रहता है। ऐसे लोगों से दुख-दर्द कोसों दूर रहते हैं और भगवान का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता है। आइए जानते हैं शास्त्रों में बताए गए ऐसे 9 कामों के बारे में।
” style=”border: 0px; overflow: hidden”” title=”गरुड़ पुराण के अनुसार अच्छा वक्त आने से पहले मिलते हैं ये 8 संकेत। सकारात्मक संकेत | Garud Puran |” width=”695″>
कुलदेवता पूजा और श्राद्ध
कुल के पूर्वज और कुल देवता उस कुल के लोगों से संतुष्ट रहते हैं। उनकी सात पीढ़ियां सुखी रहती हैं। हिंदू धर्म में कुल देवी का मतलब कुल की देवी से है। मान्यता के अनुसार हर कुल की एक पूजनीय देवी होती है। जिनकी पूजा कुछ खास तिथियों पर पूरा परिवार करता है। वहीं तर्पण और श्राद्ध से पितृ संतुष्ट होते हैं। मृत्युतिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पूरे परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
घर को बचा हुआ खाना और गंदगी से दूर रखें
जिस घर में बिना चखे रसोई में भगवान को भोजन अर्पित किया जाता है, उस घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके घर पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहें तो ध्यान रखें कि रसोई में बचा हुआ खाना न रखें और भगवान को भोग लगाने के बाद ही भोजन करें। साथ ही घर में किसी भी तरह की गंदगी, मकड़ी के जाले आदि न हों। इसका खास ख्याल रखें।
इन पांच को खिलाएं खाना
भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए रखें। मछली को आटा खिलाएं। कुत्ते को रोटी दें। पक्षियों को अनाज और चींटियों को चीनी और आटा खिलाएं। जब भी मौका मिले, इन पांच में से एक को खिलाएं।
अन्न दान
धर्म पालन के लिए दान को महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकर भूखे को अनाज दान करना धार्मिक दृष्टि से बहुत पुण्य का काम है। संकेत है कि यदि ब्राह्मण सक्षम हैं, तो वे अदृश्य दोषों को नष्ट करके परिवार को संकट से बचाते हैं तथा गरीबों को भोजन कराने या दान करने से प्राप्त पुण्यों को प्राप्त करते हैं। दान से केवल एक पीढ़ी ही नहीं, बल्कि सात पीढ़ियों को लाभ होता है।
वेदों और शास्त्रों का अध्ययन
सभी को धर्म शास्त्रों में छिपे ज्ञान और बुद्धि से प्रकृति और मनुष्य के बीच के संबंध को समझना चाहिए। व्यावहारिक रूप से परिवार के सभी सदस्यों को धर्म, कर्म के साथ-साथ उच्च व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए।
तपस्या का महत्व
आत्मा और परमात्मा के मिलन के लिए मन, शरीर और विचारों से कठोर साधना करें। व्यावहारिक रूप से अच्छे परिवार के लिए तपस्या का अर्थ है कि परिवार के सदस्य सुख और शांति के लिए कड़ी मेहनत, परिश्रम और प्रयास करें। बेईमानी से कमाया गया धन कभी भी परिवार को खुश नहीं रख सकता। ऐसा करके हम क्षणिक शांति के लिए अपना पूरा जीवन दांव पर लगा देते हैं।
पवित्र विवाह
शास्त्रों में विवाह संस्कार को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। 16 संस्कारों में से यह पुरुषार्थ प्राप्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। व्यावहारिक दृष्टि से समान गुण, विचार और मूल्यों वाले प्रतिष्ठित या प्रतिष्ठित परिवार में परम्पराओं के अनुसार विवाह करने से दो परिवारों में खुशियाँ आती हैं। उचित विवाह से स्वस्थ और संस्कारवान बच्चे पैदा होते हैं, जो आगे चलकर परिवार का नाम रोशन करते हैं।
इंद्रिय संयम
कर्मेन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों पर नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका अर्थ है कि परिवार के सदस्य भोग विलास में इतने मग्न न हो जाएँ कि वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भूल जाएँ और परिवार दुखों और कष्टों से घिर जाए।
सद् आचरण का पालन
अच्छे विचार और व्यवहार। संदेश यह है कि परिवार के सदस्य संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़े रहें। अपने से बड़ों का सम्मान करें। हर सुबह अपने दिन की शुरुआत उनका आशीर्वाद लेकर करें ताकि सभी का स्वभाव, चरित्र और व्यक्तित्व उत्तम बने। महिलाओं का सम्मान करें और दूसरी महिलाओं पर बुरी नज़र न डालें। ऐसा करने से घर में हमेशा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।