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गरुड़ पुराण से सीखें धन और समय का रहस्य, वीडियो में जाने क्यों कुछ लोग हमेशा गरीबी और दुर्भाग्य में डूबे रहते हैं?

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गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है, जिसे भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने स्वयं नारद मुनि को सुनाया था। यह पुराण न केवल मृत्यु के बाद के रहस्यों को उजागर करता है, बल्कि जीवित व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, धर्म और नीति से जुड़ी अनेक गूढ़ बातें भी बताता है। विशेष रूप से यह ग्रंथ इस बात की भी व्याख्या करता है कि क्यों कुछ लोगों के पास पैसा आने के बावजूद वह टिकता नहीं, और क्यों कई बार व्यक्ति चाहकर भी जीवन में ‘अच्छा समय’ नहीं देख पाता।

धन नहीं टिकने के प्रमुख कारण
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि व्यक्ति के जीवन में कुछ विशेष दोष होते हैं या वह कुछ विशेष गलतियां करता है, तो उसके पास आया हुआ धन भी जल्दी नष्ट हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को कभी स्थायी सुख और समृद्धि नहीं मिलती। आइए जानें कुछ ऐसे कारण जिनकी वजह से धन व्यक्ति के जीवन में टिक नहीं पाता:

अधर्म से प्राप्त धन
जो धन अधर्म, छल, कपट या धोखाधड़ी से कमाया गया हो, वह न तो टिकता है और न ही उससे सुख मिलता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि ऐसे धन में पवित्रता का अभाव होता है, और वह धन व्यक्ति को धीरे-धीरे मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक पीड़ा देने लगता है।

दान, धर्म और सेवा से विमुख रहना
यदि कोई व्यक्ति अपने धन का उपयोग सिर्फ भोग विलास में करता है और जरूरतमंदों की सेवा नहीं करता, तो उसका धन धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। दान धर्म से जुड़ा हुआ धन ही चिरस्थायी होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति अपने संसाधनों का एक अंश समाज और धर्म के लिए नहीं लगाता, उसके जीवन में कभी स्थायित्व नहीं आता।

माता-पिता और गुरु का अनादर
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता, गुरु या बड़ों का सम्मान नहीं करता, उनके आशीर्वाद से वंचित हो जाता है। ऐसे लोगों का धन भी बिना किसी कारण के समाप्त हो जाता है, और उन्हें जीवनभर संघर्ष करना पड़ता है।

अशुद्ध आहार और व्यसन
अशुद्ध या मांसाहारी आहार, शराब, तंबाकू जैसे व्यसनों में लिप्त व्यक्ति का मन और शरीर दोनों दूषित हो जाते हैं। यह न केवल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानसिक ऊर्जा को भी नष्ट करता है, जिससे निर्णय क्षमता कमजोर होती है और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।

क्यों नहीं आता अच्छा समय?
गरुड़ पुराण के अनुसार ‘अच्छा समय’ सिर्फ ग्रह-नक्षत्रों की कृपा से नहीं आता, बल्कि यह व्यक्ति की सोच, कर्म और जीवन शैली से जुड़ा होता है। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

बुरे कर्मों का फल
यदि व्यक्ति ने पिछले जन्म या इस जन्म में किसी के साथ अन्याय, हिंसा या धोखा किया हो, तो उसके पुण्य समाप्त हो जाते हैं। तब तक अच्छा समय नहीं आता जब तक वह प्रायश्चित न करे या सत्कर्मों के माध्यम से संतुलन न लाए।

नकारात्मक सोच और आलस्य
गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति हमेशा नकारात्मक सोच रखता है, कर्म करने से बचता है और दूसरों पर दोष डालता है, उसका भाग्य कभी नहीं चमकता। ऐसे लोगों के लिए अच्छा समय ‘कभी नहीं आता’ क्योंकि वे स्वयं उसके लिए प्रयास नहीं करते।

ईश्वर और धर्म से दूरी
जो व्यक्ति धर्म, पूजा-पाठ, ध्यान, साधना और ईश्वर के स्मरण से दूर रहता है, उसके जीवन में मानसिक शांति और आत्मबल का अभाव होता है। इससे उसकी निर्णय क्षमता कमजोर होती है और वह अवसरों को पहचान नहीं पाता।

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