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गीता के वो 5 चमत्कारी उपदे, जिन्हें जीवन में उतार लिया तो हर फील्ड में कदम चूमेगी कामयाबी

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लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क, श्रीमद्भगवद्गीता एक सार्वकालिक यानी हर युग और समय का महान ग्रंथ है। आज के मैनेजमेंट गुरु गीता को मैनेजमेंट का एक बहतरीन स्रोत मानते हैं। मैनेजमेंट गुरुओं के अनुसार, गीता के हर अध्याय में ऐसे-ऐसे नायाब श्लोक हैं, जो मॉडर्न मैनेजमेंट की बुक्स में मॉडल के रूप में मिलते हैं। यह पूरी तरह सच है कि इसमें मानव जीवन, निर्णय-प्रक्रिया यानी डिसीजन मेकिंग, नेतृत्व, टीमवर्क और आत्म-प्रबंधन या सेल्फ मैनेजमेंट के ऐसे गूढ़ सिद्धांत दिए गए हैं, जो हर युग में प्रासंगिक हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान उस समय प्रदान किया था, जब महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन का आत्मविश्वास डगमगा रहा था। जीवन के उद्देश्य और कर्तव्य को लेकर उनकी शंका को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिए, वे आज भी हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं। कहा जाता है कि गीता में जीवन की हर समस्या का समाधान छिपा है। भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को उनकी दिव्य अमृतवाणी माना गया है। आइए जानते हैं गीता के 5 महत्वपूर्ण उपदेश, जिन्हें अपनाकर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

कर्तव्य और निष्काम कर्म
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमारा अधिकार अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में नहीं। इसलिए कर्म के फल की चिंता नहीं करनी चाहिए और न ही आलस में कर्म करना छोड़ो। यहां मैनेजमेंट के जिस फंडा का उपयोग किया गया है, वह है ‘फोकस ऑन प्रोसेस, नॉट रिज़ल्ट्स’। यह गीता उपदेश सिखाता है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया पर ध्यान दें, परिणाम की चिंता से बचें।

आत्म-नियंत्रण और आत्म-अनुशासन
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को स्वयं ही अपने द्वारा ऊपर उठाना चाहिए, न कि स्वयं को नीचे गिराना चाहिए, क्योंकि आत्मा ही मनुष्य का मित्र है और आत्मा ही उसका शत्रु है। यह गीता उपदेश सेल्फ-डिसिप्लिन और मोटिवेशन को पॉलिसी को समझाता है। इससे सीख मिलती है कि एक मैनेजर को आत्म-नियंत्रण और अनुशासन के साथ अपने टीम में सकारात्मकता बनाए रखनी चाहिए। यह पर्सनल लीडरशिप की प्रेरणा देता है।

नेतृत्व और टीमवर्क
‘यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥’ गीता के इस श्लोक का अर्थ है, जो श्रेष्ठ व्यक्ति करता है, वही अन्य लोग अनुसरण करते हैं। वह जो मानक स्थापित करता है, लोग उसी का अनुसरण करते हैं। यह श्लोक ‘लीड बाय एग्जांपल’ का मैनेजमेंट टिप्स देता है कि एक प्रभावी नेता यानी रोल मॉडल वही होता है, जो अपनी टीम के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। बता दें कि एक लीडर के गुण, निर्णय और आचरण संस्थान और संगठन की संस्कृति को आकार देते हैं। एक अच्छे नेतृत्व और टीमवर्क में काम करने पर हर फील्ड में सफलता मिलती है।

समता का सिद्धांत
भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि जो ज्ञानी व्यक्ति हैं, वे विद्या और विनम्रता से युक्त ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चांडाल में समान दृष्टि रखते हैं। यदि सही देखा जाए तो यह उपदेश ‘इंक्लूसिव लीडरशिप’ और ‘डाइवर्सिटी और इक्विटी’ मैनेजमेंट मंत्र की बात करता है कि सभी कर्मचारियों को समान दृष्टि से देखना और उनका सम्मान करना चाहिए और संगठनों में विविधता और समानता को प्रोत्साहित करना चाहिए।

क्राइसिस मैनेजमेंट
गीता सिखाती है कि संकट के समय आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखना अनिवार्य है। किसी भी संकट के समय नेतृत्वकर्ता को दृढ़ता और साहस के साथ निर्णय लेना चाहिए। आधुनिक मैनेजमेंट में ‘मोटिवेटिंग इन डिफिकल्ट टाइम्स’ की संकल्पना गीता के ही इस सिद्धांत पर आधारित है। यह तभी संभव है, जब हर कार्य में संतुलन और संयम का पालन होगा।

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