भारतीय सेना अब आधुनिक तकनीक की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी कड़ी में सीमा पर निगरानी और ऑपरेशन को मजबूत करने के लिए ‘रोबोटिक म्यूल’ नाम की एक खास मशीन को जोड़ा गया है। यह कोई साधारण मशीन नहीं बल्कि एक रोबोट है जो बिना किसी मानवीय सहायता के दुश्मनों की निगरानी करने, उन्हें पहचानने और जरूरत पड़ने पर उन पर हमला करने की क्षमता रखता है। अब यह स्वचालित सैनिक चीन और पाकिस्तान जैसी संवेदनशील सीमाओं पर सेना के साथ सक्रिय है। यह न सिर्फ दूरदराज के इलाकों में पहुंच सकता है बल्कि गुप्त सैन्य मिशनों में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
अब यह स्वचालित सैनिक चीन और पाकिस्तान जैसी संवेदनशील सीमाओं पर सेना के साथ सक्रिय है। यह न सिर्फ दूरदराज के इलाकों में पहुंच सकता है बल्कि गुप्त सैन्य मिशनों में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इस रोबोटिक म्यूल में एके-47, इंसास, एलएमजी, स्नाइपर राइफल या टैवर जैसे कई तरह के हथियार फिट किए जा सकते हैं। इसके अलावा यह 12 से 15 किलोग्राम का सैन्य पेलोड ले जा सकता है जिससे यह लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी उपयोगी है।
यह रोबोट न सिर्फ समतल सड़कों पर बल्कि पहाड़ी, रेतीले, बर्फ से ढके इलाकों और सीढ़ियों पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह पानी पर चलने और छोटी धाराओं को पार करने में सक्षम है। यह 18 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 3.5 घंटे तक चल सकता है और सिर्फ एक घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाता है। इसकी बैटरी 21 घंटे तक चल सकती है, जो इसे लंबे मिशन के लिए आदर्श बनाती है। यह खच्चर 5 थर्मल कैमरों और कई उन्नत सेंसर से लैस है। इसकी निगरानी क्षमता 360 डिग्री तक फैली हुई है।
इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स और इंफ्रारेड तकनीक है, जो दुश्मन या किसी भी वस्तु की पहचान करने में मदद करती है। वजन करीब 51 किलोग्राम है। लंबाई 37.5 इंच, ऊंचाई 27 इंच और चौड़ाई 10 इंच यानी काफी कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब सेना को बहुत खतरनाक इलाकों में सैनिकों को भेजने की जरूरत कम पड़ेगी। रोबोट खच्चर इन दुर्गम इलाकों में जाकर दुश्मन की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी दे सकता है और कार्रवाई भी कर सकता है। सैनिकों की जान जोखिम में डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।