मलयालम सिनेमा और टीवी इंडस्ट्री के कलाकारों ने सोमवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन फिल्म ‘जानकी बनाम केरल राज्य’ को लेकर हुआ, जिसकी रिलीज पर सेंसर बोर्ड ने रोक लगा दी है। प्रदर्शन का नेतृत्व एएमएमए (मलयालम मूवी एक्टर्स एसोसिएशन), प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन और एफईएफकेए (केरल फिल्म एम्प्लॉइज फेडरेशन) ने किया।
इस फिल्म में केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी ने अभिनय किया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म का नाम बदलने की मांग की है, क्योंकि ‘जानकी’ नाम देवी सीता से जुड़ा हुआ है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि उत्पीड़न की शिकार महिला किरदार का नाम देवी नहीं रखा जाना चाहिए।
क्या है विवाद?
फिल्म की कहानी एक महिला के संघर्ष और राज्य के खिलाफ उसकी कानूनी लड़ाई पर आधारित है। फिल्म को पहले तिरुवनंतपुरम स्थित क्षेत्रीय सेंसर कार्यालय ने यू/ए सर्टिफिकेट दिया था, लेकिन बाद में इसे मुंबई भेज दिया गया, जहां शीर्षक बदलने को कहा गया। अगर शीर्षक बदला जाता है तो फिल्म के कई संवाद भी बदलने पड़ेंगे।
फेफका के अध्यक्ष बी. उन्नीकृष्णन ने एएनआई से कहा कि यह मुद्दा सिर्फ फिल्म उद्योग का नहीं बल्कि कला, संस्कृति और विविधता में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति का है। उन्होंने सुरेश गोपी से भी उम्मीद जताई कि अब वह मंत्री हैं और उन्हें सिनेमा के प्रति सरकार की संस्कृति और सोच को समझना चाहिए।
सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने भी सेंसर बोर्ड की मांग का विरोध किया और कहा कि नाम बदलने की मांग मनमानी है। फिल्म के निर्देशक प्रवीण नारायणन और अभिनेत्री अनुपमा परमेश्वरन के मुताबिक फिल्म में ‘जानकी’ नाम का कोई धार्मिक अर्थ नहीं है। निर्देशक ने कहा है कि फिल्म में कोई धार्मिक संदर्भ नहीं है। फिल्म के निर्माता इस मुद्दे को लेकर केरल हाईकोर्ट भी गए हैं।
फेफका ने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों से सेंसर बोर्ड कई बार बिना वजह फिल्म के मामलों में दखल दे रहा है, जो निराशाजनक है। वे सरकार और अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसी समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं।