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ज‍िस मोबाइल नंबर को आप कर रहे हैं यूज, उसका देना होगा दोगुना चार्ज

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आजकल लगभग हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है। अगर किसी को किसी से बात करनी हो. तो उसके लिए एक मोबाइल फोन नंबर की जरूरत होती है. जिससे एक नंबर से दूसरे नंबर पर कॉल किया जा सकता है। सभी स्मार्टफोन डुअल सिम के साथ आते हैं।

लेकिन बहुत कम लोग हैं जो फोन के अंदर दोनों सिम को एक्टिव नहीं रखते हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई अब ऐसे लोगों से पैसे वसूलने की योजना बना रही है। यह शुल्क ट्राई द्वारा सालाना वसूला जा सकता है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण टेलीकॉम कंपनियों से यह चार्ज वसूलने की योजना बना रहा है। जानिए क्या है पूरा मामला.

ट्राई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत में बड़ी संख्या में नंबर एक्टिव नहीं हैं। ट्राई के नियमों के मुताबिक, अगर कोई नंबर लंबे समय तक एक्टिव नहीं है तो ऐसे नंबरों को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए। और इन नंबरों को टेलीकॉम कंपनियों द्वारा फिर से विपणन किया जाना चाहिए।

लेकिन वे अपने यूजर्स खोने के डर से नंबर बंद नहीं करते हैं, इसी के चलते अब ट्राई टेलीकॉम कंपनियों पर जुर्माना लगाने की योजना बना रही है। अगर ऐसा होता है तो टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स से यह चार्ज वसूल सकती हैं। जिसके चलते यूजर्स को बिना बात किए एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ सकता है।

देश की आबादी के हिसाब से कई नंबरों की जरूरत होती है. लेकिन वर्तमान में मोबाइल नंबरों की कमी हो गई है। देश में ज्यादातर यूजर्स दो नंबरों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इनमें से एक नंबर एक्टिव है और एक नंबर इनएक्टिव है. अब टेलीकॉम कंपनियां ऐसे यूजर्स से चार्ज वसूल सकती हैं।

ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 219 मिलियन नंबर ऐसे हैं जिन्हें बंद कर देना चाहिए लेकिन कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हैं। आपको बता दें कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों को नंबरों की एक सीरीज देती है। जिसे टेलीकॉम कंपनियां बाद में यूजर्स को देती हैं। फिलहाल ज्यादा नंबर उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में जो हैं उनका उचित उपयोग किया जाना चाहिए।

अगर भारत में मोबाइल नंबर चार्ज करना शुरू किया जाता है तो भारत ऐसा करने वाला पहला देश नहीं होगा। बल्कि ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, पोलैंड, कुवैत, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, हांगकांग, नाइजीरिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, फिनलैंड, लिथुआनिया, बुल्गारिया, डेनमार्क और ग्रीस जैसे देश पहले से ही इस सूची में शामिल हैं।

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