जब टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था, तो उम्मीद थी कि टाटा के मज़बूत प्रबंधन और संसाधनों से इस पुरानी और प्रतिष्ठित एयरलाइन को नया जीवन मिलेगा। लेकिन हाल ही में हुई तकनीकी गड़बड़ियों और सुरक्षा संबंधी घटनाओं ने एयर इंडिया की प्रतिष्ठा के साथ-साथ टाटा की वर्षों से बनाई गई मज़बूत छवि को भी नुकसान पहुँचाया है।
ताज़ा मामला दिल्ली हवाई अड्डे का है, जहाँ एयर इंडिया के एक विमान की सहायक विद्युत इकाई (APU) में आग लग गई। इस घटना में विमान के सभी यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित रहे, लेकिन इस दुर्घटना ने एयर इंडिया की तकनीकी और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है। अब लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या टाटा समूह एयर इंडिया की स्थिति को पूरी तरह से ठीक कर पाएगा?
एयर इंडिया के विमान के पिछले हिस्से में आग
दिल्ली हवाई अड्डे पर मंगलवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब हांगकांग से आ रहे एयर इंडिया के एयरबस A321 (TV-TVG) के सहायक विद्युत इकाई (APU) में अचानक आग लग गई। एपीयू कोई छोटा-मोटा हिस्सा नहीं है, यह जेट इंजन ही है जो ज़मीन पर विमान को पावर और एयर कंडीशनिंग प्रदान करता है। गनीमत रही कि इस दुर्घटना में सभी यात्री बच गए, लेकिन विमान को भारी नुकसान पहुँचा और उसे जाँच के लिए रोक दिया गया। यह घटना रखरखाव में किसी बड़ी चूक की ओर इशारा करती है। इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? यह सवाल हर किसी के मन में है।
यह कोई अकेली घटना नहीं है। अभी एक दिन पहले, सोमवार को, एयर इंडिया का एक विमान मुंबई में लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसल गया। नतीजतन, विमान के तीन टायर फट गए और इंजन भी क्षतिग्रस्त हो गया। यह घटना विमान के संचालन और सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाती है। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं से यात्रियों के मन में डर पैदा हो रहा है। क्या एयर इंडिया की उड़ानें अब सुरक्षित नहीं रहीं? यह सवाल अब हर हवाई यात्री के मन में है।
एयर इंडिया की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं
पिछले छह महीनों में एयर इंडिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सरकार ने बताया कि इस दौरान सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और यात्रियों की शिकायतों के चलते एयरलाइन को नौ बार कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन नोटिसों से साफ़ ज़ाहिर होता है कि नियामक संस्थाएँ भी एयर इंडिया के कामकाज से खुश नहीं हैं। यात्रियों की शिकायतें भी कम नहीं हैं, कभी उड़ान में देरी, कभी खराब सेवा, तो कभी तकनीकी गड़बड़ियाँ। ये सब मिलकर एयर इंडिया की साख को और कमज़ोर कर रहे हैं।
टाटा की साख पर संकट
टाटा समूह का नाम भारत में भरोसे और गुणवत्ता का दूसरा नाम है। चाहे टाटा मोटर्स की कारें हों, टाटा स्टील का लोहा हो या टीसीएस की तकनीक, हर जगह टाटा ने अपनी साख बनाई है। एयर इंडिया को खरीदने का मकसद भी यही था कि टाटा के प्रबंधन और संसाधनों के बल पर यह एयरलाइन फिर से चमक उठे। लेकिन बार-बार हो रही गड़बड़ियाँ इस उम्मीद को ठेस पहुँचा रही हैं।
जब किसी एयरलाइन में ऐसी घटनाएँ बार-बार होती हैं, तो यात्रियों का भरोसा डगमगा जाता है। हर यात्री चाहता है कि उसकी यात्रा सुरक्षित और आरामदायक हो। अगर एयर इंडिया इस मोर्चे पर नाकाम रही, तो यात्री दूसरी एयरलाइन्स का रुख़ करेंगे। इससे न सिर्फ़ एयर इंडिया का कारोबार प्रभावित होगा, बल्कि टाटा समूह की पूरी ब्रांड इमेज को भी नुकसान पहुँच सकता है।
सिस्टम की मरम्मत ही आखिरी विकल्प है
एयर इंडिया के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपने सिस्टम को दुरुस्त करना है। रखरखाव से लेकर संचालन तक, हर मोर्चे पर सुधार की ज़रूरत है। टाटा समूह को न सिर्फ़ पैसा लगाना होगा, बल्कि प्रबंधन और तकनीकी स्तर पर भी बड़े बदलाव करने होंगे। यात्रियों का विश्वास जीतने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही ज़रूरी है। अगर एयर इंडिया अपनी कमियों को जल्द ही दूर नहीं करती, तो यह टाटा की प्रतिष्ठा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन सकता है।