दिल्ली की गर्मियां इस बार सिर्फ मौसम के तापमान से ही नहीं, बल्कि बिजली के बढ़ते बिलों से भी दिल्लीवासियों को खूब तंग करेंगी। गर्मी के सीजन में जब AC और कूलर का इस्तेमाल ज़रूरत बन जाता है, तब बिजली का बिल अपने आप ही बढ़ जाता है। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। वजह सिर्फ बढ़ी हुई खपत नहीं, बल्कि बिजली कंपनियों द्वारा Power Purchase Adjustment Cost (PPAC) में किया गया इजाफा है।
क्या है PPAC और क्यों बढ़ा?
PPAC यानी पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट, वह अतिरिक्त शुल्क होता है जो बिजली उत्पादन में लगी ईंधन की लागत में बढ़ोतरी के चलते उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। आसान भाषा में कहें तो जब कोयला, गैस या अन्य ईंधन महंगे होते हैं, तो उसका बोझ बिजली कंपनियां ग्राहकों पर डालती हैं।
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने मई की शुरुआत में तीनों प्रमुख डिस्कॉम कंपनियों को 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए PPAC वसूलने की अनुमति दी है। इसका मतलब ये है कि मई-जून के बिजली बिलों में 7% से 10% तक की बढ़ोतरी संभव है।
अलग-अलग डिस्कॉम के लिए अलग-अलग दरें
दिल्ली में तीन मुख्य बिजली वितरण कंपनियां काम करती हैं, और इन तीनों के लिए PPAC दरें अलग-अलग तय की गई हैं:
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BSES राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) – 7.25%
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BSES यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) – 8.11%
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टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) – 10.47%
इसका मतलब है कि जिन उपभोक्ताओं का खपत स्तर अधिक है, और जिनके घरों में AC-कूलर लगातार चलते हैं, उन्हें आने वाले महीनों में बिजली का बिल सैकड़ों या हजारों रुपये तक ज्यादा चुकाना पड़ सकता है।
URD ने जताया विरोध, फैसले पर उठाए सवाल
यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (URD) नाम की संस्था, जो दिल्ली की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों का प्रतिनिधित्व करती है, ने इस बढ़ोतरी को “मनमाना और असंवेदनशील” करार दिया है।
URD के महासचिव सौरभ गांधी ने आरोप लगाया कि:
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इस फैसले में कानूनी प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं हुआ।
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स्टेकहोल्डर्स को वर्चुअल पब्लिक हियरिंग में बोलने का पूरा मौका नहीं मिला।
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तीनों डिस्कॉम के लिए अलग-अलग PPAC प्रतिशत तय करना अनुचित है, क्योंकि फ्यूल कॉस्ट लगभग समान होती है।
उन्होंने मांग की कि सभी डिस्कॉम कंपनियों के लिए एक समान PPAC दर लागू की जाए।
डिस्कॉम का जवाब: बिजली सप्लाई सुनिश्चित करना जरूरी
डिस्कॉम कंपनियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि:
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ये दरें DERC रेगुलेशन के अनुसार तय की गई हैं।
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बढ़ती उत्पादन लागत की भरपाई के लिए PPAC जरूरी है, ताकि बिजली सप्लाई में कोई बाधा न आए।
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हर कंपनी की बिलिंग साइकिल और फ्यूल सोर्स अलग-अलग होते हैं, इसलिए दरों में भिन्नता स्वाभाविक है।
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अगर समय पर लागत की वसूली नहीं की गई तो बिजली उत्पादन कंपनियों को भुगतान करने में दिक्कत होगी, जिससे सप्लाई प्रभावित हो सकती है।
उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?
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मौजूदा गर्मी के मौसम में AC और कूलर चलाने की वजह से पहले से ही खपत बढ़ गई है।
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अब बढ़ा हुआ PPAC इसे और महंगा बना देगा।
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मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन सकता है।
समाधान क्या हो सकता है?
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दिल्ली सरकार या DERC को उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कोई योजना लानी चाहिए, जैसे सब्सिडी या स्लैब रिव्यू।
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उपभोक्ताओं को ऊर्जा बचत के उपाय अपनाने चाहिए, जैसे कि:
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AC को 24-26 डिग्री पर चलाना
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सीलिंग फैन और क्रॉस वेंटिलेशन का सहारा लेना
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इनवर्टर AC या एनर्जी-एफिशिएंट उपकरणों का इस्तेमाल
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निष्कर्ष:
दिल्ली की गर्मी इस बार सिर्फ पारे से नहीं, बिजली के बिलों की तपन से भी जलाएगी। ऐसे में जरूरत है कि उपभोक्ता सतर्क रहें, ऊर्जा बचत के उपाय अपनाएं और इस नए शुल्क की वजह से आने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए पहले से तैयार रहें। साथ ही, प्रशासनिक स्तर पर भी इस बोझ को कम करने के प्रयास जरूरी हैं।