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दिल्ली में हमेशा से मुफ्त मिल रही इस चीज के अब देने होंगे पैसे, जानें कितनी कटेगी आपकी जेब

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दिल्ली की जनता को आने वाले दिनों में अपनी जेब थोड़ा और ढीली करनी पड़ सकती है। जिस सेवा का अब तक लोग मुफ्त में लाभ उठा रहे थे, वह सेवा अब चार्जेबल होने जा रही है। बात हो रही है घर से कूड़ा उठवाने की सेवा की, जो अब दिल्ली में मुफ्त नहीं रह जाएगी। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 7 साल बाद ठोस कचरा प्रबंधन उपनियम 2018 के तहत यूजर चार्ज वसूलने की तैयारी कर ली है। इस बदलाव के बाद दिल्ली के हर नागरिक को अब घर से कचरा उठवाने के लिए नगर निगम को हर महीने एक निश्चित राशि बतौर यूजर चार्ज देनी होगी।

यह निर्णय दिल्ली की स्वच्छता व्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। इस लेख में हम जानेंगे कि ये यूजर चार्ज कितने होंगे, किन-किन कैटेगरी के लिए क्या दरें तय की गई हैं और इसका असर आम जनजीवन पर कैसा पड़ेगा।

दिल्ली में क्यों लिया गया ये फैसला?

दिल्ली नगर निगम (MCD) हर साल ठोस कचरा प्रबंधन पर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करता है। वहीं, निगम पर 14,000 करोड़ रुपये की देनदारी भी है। ऐसे में नगर निगम को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने और खर्चों को संतुलित करने के लिए यूजर चार्ज का सहारा लेना पड़ रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि यदि यह योजना सफल रहती है, तो इससे हर साल नगर निगम को 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना है। यह राशि नगर निगम की कर्जदार स्थिति को सुधारने में और कचरा प्रबंधन को और बेहतर करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

अब तक मुफ्त थी सेवा, अब लगेगा शुल्क

दिल्ली में अब तक घर से कचरा उठवाने की सेवा आम नागरिकों के लिए मुफ्त थी। लेकिन अब जो लोग इस सेवा का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें हर महीने एक निश्चित यूजर चार्ज देना होगा। इसका निर्धारण पूरी तरह संपत्ति के आकार, उसके उपयोग और व्यवसायिक प्रकृति के आधार पर किया गया है।

कितनी देनी होगी रकम? यूजर चार्ज की पूरी सूची

🏠 आवासीय संपत्तियों के लिए यूजर चार्ज

संपत्ति का आकार मासिक यूजर चार्ज
0-50 वर्ग मीटर ₹50
51-200 वर्ग मीटर ₹100
200 वर्ग मीटर से अधिक ₹200

इस श्रेणी में वे लोग आते हैं जो अपने मकानों में रहते हैं। यानी यदि आपकी संपत्ति का आकार 200 वर्ग मीटर से अधिक है, तो हर महीने ₹200 नगर निगम को देने होंगे।

🛒 स्ट्रीट वेंडरों के लिए यूजर चार्ज

स्ट्रीट वेंडरों जैसे – रेहड़ी वाले, फल-सब्जी बेचने वाले, ठेले वाले आदि को भी अब कचरा प्रबंधन के लिए योगदान देना होगा।

कैटेगरी मासिक यूजर चार्ज
स्ट्रीट वेंडर ₹100

🏢 कमर्शियल संपत्तियों के लिए यूजर चार्ज

कमर्शियल इकाइयों से यूजर चार्ज अधिक लिया जाएगा, क्योंकि इनसे अधिक मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है।

संपत्ति का प्रकार मासिक यूजर चार्ज
दुकान, ढाबा, कॉफी हाउस ₹500
गेस्ट हाउस, बैंक, शादी हॉल, लॉन (50+ लोगों की क्षमता) ₹2000
बड़ी व्यावसायिक इकाइयां (उदाहरण: मॉल्स, मल्टीनेशनल ऑफिस) ₹5000

यह पहली बार है जब दिल्ली में व्यवसायिक संस्थानों को इतने बड़े पैमाने पर ठोस कचरा प्रबंधन शुल्क देना होगा।

दिल्ली की जनता की प्रतिक्रिया

दिल्ली में आम लोग इस फैसले को लेकर दो भागों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं।

  • एक वर्ग का मानना है कि यदि इससे कचरा प्रबंधन बेहतर होता है और शहर साफ रहता है, तो यह खर्च उचित है।

  • वहीं, दूसरे वर्ग का कहना है कि पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबे लोगों पर यह एक और आर्थिक बोझ होगा।

दिल्ली के एक स्थानीय निवासी ने कहा, “अब पहले ही बिजली-पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स, स्कूल फीस, ट्रैफिक चालान सब कुछ बढ़ गया है। अब घर से कचरा उठवाने पर भी पैसा देना होगा? गरीब आदमी कहां जाएगा?”

क्या यूजर चार्ज से व्यवस्था बेहतर होगी?

नगर निगम का दावा है कि इस चार्ज के जरिए:

  • ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था में सुधार होगा

  • नियमित समय पर कचरा उठाने वाली गाड़ियां आएंगी

  • डोर-टू-डोर कलेक्शन को और मजबूत किया जाएगा

  • नई तकनीकों और मशीनों का उपयोग किया जाएगा

यदि यह व्यवस्था सही ढंग से लागू होती है, तो दिल्ली जैसे भीड़भाड़ वाले शहर की सफाई व्यवस्था में बड़ा बदलाव संभव है।

क्या यह निर्णय राजनीतिक है?

दिल्ली नगर निगम फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के नियंत्रण में है। दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी के पास है। ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी ले सकता है। आने वाले निकाय चुनावों या विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा चर्चा का विषय बन सकता है।

क्या यह वाकई जनता के हित में है या सिर्फ नगर निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश? यह सवाल आम दिल्लीवासी अब खुद से पूछ रहे हैं।

किस तरह दिया जाएगा चार्ज?

नगर निगम द्वारा बताया गया है कि यूजर चार्ज को:

  • प्रॉपर्टी टैक्स के साथ मर्ज किया जा सकता है।

  • या फिर अलग-अलग मासिक बिलिंग व्यवस्था शुरू की जा सकती है।

  • डिजिटल पेमेंट, मोबाइल ऐप्स और काउंटर पेमेंट की सुविधा भी दी जाएगी।

यह चार्ज कब से लागू होगा?

हालांकि अभी इस योजना की अंतिम तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन नगर निगम इसे जल्द ही लागू करने के मूड में है। अधिकारियों के मुताबिक मई-जून 2025 तक इसे चरणबद्ध तरीके से सभी वार्डों में लागू कर दिया जाएगा।

निष्कर्ष: जनता को तैयार रहना होगा बदलाव के लिए

दिल्ली नगर निगम द्वारा लिया गया यह निर्णय एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव है। स्वच्छता व्यवस्था को सशक्त करने के लिए यदि जनता को थोड़ी अतिरिक्त राशि देनी पड़े, तो इसे बुरा नहीं कहा जा सकता। लेकिन इसका असर उन तबकों पर अधिक पड़ेगा जिनकी आमदनी सीमित है।

जरूरी है कि नगर निगम पारदर्शी ढंग से यह बताने में सक्षम हो कि जनता से लिया गया यूजर चार्ज कहां और कैसे खर्च किया जा रहा है। तभी जनता में इस निर्णय को लेकर विश्वास और समर्थन बन सकेगा।

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